उद्योग लगाना है तो आईये उत्तर प्रदेश: एमएसएमई उद्योग लगाने के लिए 3 दिन में मिलेगी स्वीकृति, 900 दिनों तक नहीं होगी किसी सरकारी विभाग से अनुमति

उत्तर प्रदेश सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (अवस्थापना एवं संचालन) अधिनियम को दी मंजूरी

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इकाई अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। इस बात को उत्तर प्रदेश सरकार ने सम­ा लिया है। एमएसएमई को बढ़ावा देने और छोटे लघु उद्योग लगाने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए योगी सरकार ने नया कानून बनाया है। यह नया कानून ना सिर्फ उद्योगों को बढ़ावा देने में कारगर साबित होगा बल्कि अफसरशाही और लालफीतशाही से छोटे उद्यमियों को राहत दिलायेगा। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (अवस्थापना एवं संचालन) अधिनियम को मंजूरी दे दी है। एमएसएमई उद्यमी लंबे समय से इसकी मांग करते रहे हैं। एमएसएमई को लेकर बनाये गये इस नये कानून के तहत प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग स्थापित करने के लिए निर्धारित प्रारूप में प्रपत्र भरकर देना होगा और प्रपत्र पूरे होने पर महज 3 दिनों में स्वीकृति दे दी जाएगी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अनुमति मिलने के अगले 900 दिनों तक उद्यमी को किसी भी सरकारी विभाग से कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। इस कानून पर ठीक ढ़ंग से अमल हुआ तो ना सिर्फ उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था काफी बढ़ जाएगी बल्कि लाखों की संख्या में नये रोजगार सृजित होंगे। प्रदेश सरकार ने नये एक्ट की मदद से एक वर्ष में 15 लाख नए रोजगार सजृत करने का लक्ष्य भी चिन्हित किया है।

29 विभागों के चक्कर काटने से मिलेगी राहत
अभी तक कोई नया औद्योगिक इकाई लगाने के लिए उद्यमी को लगभग 29 विभागों के चक्कर काटकर 80 अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना पड़ता है। उद्योग शुरू करने से पहले इन विभागों के चक्कर काटने में ही उसका कई महीना गुजर जाता है। लेकिन अब वह चंद दिनों में उद्योग शुरू कर सकेगा और कागजात पूरा करने के लिए उसे लगग ढ़ाई वर्ष का समय मिल जाएगा।

इन उद्योगों पर नहीं लागू होगा नया अधिनियम
प्रदेश सरकार द्वारा एमएसएमई के लिए बनाये गये इस नये अधिनियम से कुछ औद्योगिक इकाईयों को बाहर रखा गया है। तंबाकू उत्पाद, गुटखा, पान मसाला, वातयुक्त पेय पदार्थ, अल्कोहल, पटाखों का निर्माण, काबोर्नेटेड उत्पाद, 40 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक कैरी बैग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा चिन्हित लाल श्रेणी की इकाइयों पर यह अधिनियम नहीं लागू होगा।