बच्चों को मोबाइल और टीवी से दूर कर करें खेल के लिए प्रेरित: अशोक ध्यानचंद

-खेलों को बढ़ावा देने, खेल का वातावरण बनाने और खेल संस्कृति का विकास करने को लेकर शीतकालीन
सत्र में लिए कई अहम निर्णय
-नेशनल स्पोर्ट्स असेम्बली के शीतकालीन सत्र का आयोजन

गाजियाबाद। आईएमटी के गुरुकुल हॉल में सोमवार को नेशनल स्पोर्ट्स असेम्बली के शीतकालीन सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें देश के कई नामचीन खिलाडिय़ों ने भाग लिया। असेम्बली का आयोजन आईएमटी गाजियाबाद और स्पोर्ट्स: ए वे ऑफ लाईफ के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। असेम्बली में खेल संस्कृति के विकास और खेलों के विभिन्न प्रस्तावित मुद्दों पर चर्चा की गई।
असेम्बली में अशोक ध्यानचंद ने कहा कि आज के बच्चे खेल मैदान पर खेलने के बजाए मोबाइल और टीवी में अपना समय व्यतीत करते हैं। जब तक बच्चे मोबाइल और टीवी से दूर नही रहेंगे तब तक उनका बौद्धिक विकास संभव नही है। बच्चों को मोबाइल और टीवी से दूर रखकर खेल के प्रति प्रेरित करें। खेलों के गुणों से अवगत कराए ताकि बच्चा शारीरिक, मानसिक एवं चारित्रिक रूप से विकसित हो सकें।

बच्चों को शुरुआती समय से ही यदि खेलों से संबंधित पाठ्य सामग्री दी जाएगी, खेलों के बारे में समझाया जायेगा तो बच्चे अवश्य ही खेलों में बढ़चढ़कर भागीदारी करेंगे। असेम्बली को सम्बोधित करते हुऐ स्पोर्ट्स रिसर्च सेंटर, आईएमटी गाजियाबाद के हैड और स्पोर्ट्स ए वे ऑफ लाइफ एनजीओ के अध्यक्ष डॉ. कनिष्क पाण्डेय ने बताया कि आज के इस कार्यक्रम का आयोजन खेलों को बढ़ावा देने, खेल का वातावरण बनाने और खेल संस्कृति का विकास करने के लिए सदन के सभी सदस्यों ने प्रस्तावित सुधारों पर अपने-अपने मंतव्य रखे और प्रत्येक प्रस्ताव पर चर्चा उपरान्त यह तय किया गया कि सभी सदस्यों द्वारा बनी आम सहमति को केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को प्रेषित किया जाये। साथ ही यह अनुरोध किया जाये कि प्रेषित प्रस्ताव पर सरकार द्वारा कोई ठोस कार्यवाही की जाये।

असेम्बली के अध्यक्ष एवं आईएमटी गाजियाबाद के निदेशक डॉ. विशाल तलवार ने बताया कि आईएमटी गाजियाबाद पिछले कई वर्षों से खेल संस्कृति के विकास के लिए कार्यरत हैं। पिछले दो नेशनल स्पोर्ट्स असेम्बली में पारित किये गये प्रस्तावों को केन्द्र एवं राज्य सरकार को प्रेषित कर दिये गये हैं, जिस पर कई राज्य के सरकार द्वारा यथोचित कार्यवाही के लिए प्रतिउत्तर भी प्राप्त हुए हैं। सभी सदस्यों ने शीतकालीन सत्र के आयोजन के लिए डॉ. कनिष्क पाण्डेय की प्रशंसा की, साथ ही आयोजित असेम्बली के पारित प्रस्तावों को केन्द्र एवं राज्य सरकार को प्रेषित करने के धन्यवाद भी दिया कि सरकारें अवश्य ही इन प्रस्तावों पर कार्य करेगी और देश में एक नई खेल संस्कृति का निर्माण जरूर होगा।

असेम्बली के शीतकालीन सत्र में निम्न प्रस्तावों पर विस्तृत चर्चा
1. कॉर्पोरेट क्षेत्र में खिलाडिय़ों के लिए रोजगार के अवसर तलाशना।
2. खेल के अधिकार को मौलिक अधिकारों के रूप बढ़ावा मिले।
3. प्रत्येक राज्य में खिलाड़ी कल्याण बोर्ड का गठन किया जाये।

क्या है नेशनल स्पोर्ट्स असेंबली
1. आईएमटी गाजियाबाद द्वारा नेशनल स्पोर्ट्स असेंबली का गठन स्थायी रूप से किया गया है।
2. असेम्बली की बैठक प्रत्येक तीन महीने या वर्ष में तीन बार आयोजित की जायेगी।
3. असेम्बली के अध्यक्ष निदेशक, आईएमटी गाजियाबाद और मुख्य प्रस्तावक हैड, स्पोर्ट्स रिसर्च सेन्टर, आईएमटी गाजियाबाद होंगे।
4.  असेम्बली  में लीडर और डिप्टी लीडर रोटेशनल आधार पर नियुक्त किये जाएंगे जो खेल में विभिन्न पुरस्कार विजेता होंगे।
5. विभिन्न विषयों के प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी जिसमें खेलों में सुधार, खेल संस्कृति के विकास आदि विषय होंगे और अन्त में प्राप्त सुझावों को कम्पाईल कर राज्य सरकारों एवं केन्द्र सरकार को भेजे जाएंगे।

देश में खेल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये डॉ. कनिष्क ने अगुवाई
1. कनिष्क पांडेय पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं।
2. कनिष्क की पूरी स्कूलिंग सेंट फ्रांसिस कॉलेज, लखनऊ से हुई है।
3. इन्होंने सेंट स्टीफन कालेज, नई दिल्ली से ग्रेजुएशन किया है।
4. सीएलसी यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली से एलएलबी की है।
5. कनिष्क ने चार वर्षों तक स्वतंत्र रूप से खेलों पर शोध किया है।
6. खेलों को मौलिक अधिकार का दर्जा दिलाने के लिए सभी स्तरों पर प्रयासरत हैं और इसे कानूनी जामा पहनाने के लिये कनिष्क द्वारा दायर पीआईएल सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकार की जा चुकी है।
7. कनिष्क ने मॉडल स्पोर्ट्स विलेज डेवलप करने की भी कार्ययोजना तैयार की है और मुजफ्फरनगर में देश का पहला स्पोर्ट्स मॉडल विलेज विकसित किया जा रहा है।
8. कनिष्क की खेलों के शोध पर निम्न पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जैसे-स्पोर्ट्स ए वे ऑफ लाईफ (अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वाले इण्डिया)
9. यह पुस्तक संस्कृत, ऊर्दू एवं हिन्दी भाषा में भी प्रकाशित है।
10. ज्ञदवूैचवतजे खेल प्रवेशिका, चलो खेलों की ओर, कनिष्क की प्रसिद्ध अन्य पुस्तकें हैं।
11. भारत के विभिन्न राज्यों में पारम्परिक खेलों पर शोध कर उन्हें पुन: जीवन्त करने का कार्य किया जा रहा है।
12. राजस्थान क्रीड़ा विश्वविद्यालय, झुन्झुनु के एकेडमिक काउंसिल में राज्यपाल की ओर से मनोनीत।
13. खिलाडिय़ों के रोजगार कौशल को बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम की शुरूआत।