विद्युत कर्मचारियों का आंदोलन, एक्शन में सीएम

मंत्रियों और आला अधिकारियों को किया तलब

उदय भूमि ब्यूरो
लखनऊ। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. के निजीकरण के खिलाफ विद्युत कर्मचारियों के आंदोलन ने उत्तर प्रदेश सरकार के माथे पर पसीना ला दिया है। नाराज कर्मचारियों ने मंगलवार को भी कार्य बहिष्कार किया। इससे विद्युत व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पडऩे लगा है। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एकाएक सकते में आ गए हैं। उन्होंने ऊर्जा विभाग की बैठक बुलाई है। इस बैठक में विद्युत कर्मचारियों की मांगों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. के निजीकरण के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस प्रस्ताव का विभिन्न विद्युत संगठनों ने पुरजोर विरोध किया है। इन संगठनों के आह्वान पर प्रदेशभर में कर्मचारी कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। इसका असर विद्युत व्यवस्था पर पडऩे लगा है। लखनऊ के वीआईपी एरिया में भी बिजली संकट गहराने लगा है। हालात को ध्यान में रखकर अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन में दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने ऊर्जा विभाग की बैठक बुलाई है। बैठक में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी, अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी, प्रमुख सचिव ऊर्जा अरविंद कुमार और वित्त विभाग के अधिकारियों को बुलाया गया है। बता दें कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और संघर्ष समिति के मध्य सोमवार को वार्ता हुई थी। इस दरम्यान घाटे को कम करने के लिए कर्मचारियों को सुधार के लिए मौका दिया गया था। ऊर्जा मंत्री ने इसके लिए 31 मार्च तक का समय दिया था। नतीजन मार्च तक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. के निजीकरण को टालने पर सहमति बन गई थी। विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति ने भी आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी थी, मगर उप्र पावर कारपोरेशन के चेयरमैन इसके लिए तैयार नहीं हो पाए। इससे बात बिगड़ गई। दरअसल पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. कई अरब रुपए के घाटे में है। सरकार द्वारा हिदायत देने के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं आ सका।