-ऋषिपाल शर्मा ने विकलांग बच्चे को भेंट की ट्राईसाइकिल
गाजियाबाद। व्यक्ति को कभी भी मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिये। मानव एक समुद्र के समान होती है। ऐसे में यदि इस सागर की कुछ बूंदे गंदी भी हो जाए तो पूरा समुद्र गंदा नहीं होता है। मनुष्य को हमेशा इसी मानवता की सेवा करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए क्योंकि मानवता इंसान का सिर्फ एक अच्छा गुण ही नहीं बल्कि उसका धर्म ही होता है। मानव की प्रतिष्ठा में ही धर्म की प्रतिष्ठा है। कोई भी धर्म श्रेष्ठ और महान हो सकता है, लेकिन मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता। मानवता की मिसाल पेश करते हुए एक बार फिर बुलंदशहर के इंस्पेक्टर ऋषिपाल शर्मा एवं युवा समाजसेवी अमित कुमार ने एक 14 वर्षीय विकलांग बच्चे को ट्राई साइकिल भेंट की। ऋषिपाल शर्मा पूर्व में गाजियाबाद में चौकी प्रभारी नवयुग मार्केट के पद पर नियुक्त रहे थे। जो वर्तमान में जनपद बुलंदशहर में प्रभारी निरीक्षक आईजीआरएस के पद पर नियुक्त हैं। यह कोई पहली बार नहीं है कि उन्होंने इस तरह का कार्य किया है। इससे पूर्व भी उन्होंने कई बार मानवता की मिसाल पेश की है।
ऋषिपाल शर्मा का कहना है कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नही है। मनुष्य को अपने जीवन में इस तरह के कार्य करते रहना चाहिए है। ईश्वर ने हमे इसी उद्देश्य से मानव जीवन दिया है, जिससे हम दूसरे का काम आ सकें। बच्चा विकलांग होने के साथ-साथ बहुत ही गरीब था। जिसके पास न कोई आस थी और न ही कोई उम्मीद। जब इंस्पेक्टर ऋषिपाल शर्मा ने बच्चे की यह हालत देखी तो उनसे रहा नहीं गया और बिना सोचे उन्होंने बच्चे के लिए ट्राई साइकिल मंगाई और उसे बुलाकर भेंट की। जिससे वह बच्चा अपने आपकों को कमजोर न समझें और आगे चलकर वह सक्षम हो सकें। शर्मा जी इससे पूर्व एक नेत्रहीन बच्चे की आंखों का उपचार करा चुके है, जो कि वह बच्चा आज इस खूबसूरत दुनिया को अपनी आंखों से देख रहा है। बच्चे को ट्राई साइकिल मिलने पर उनके माता-पिता ने इंस्पेक्टर की भरी-भूरि प्रशंसा की। नशा मुक्ति केंद्र उदय फाऊंडेशन जनपद हापुड़ में भी समय-समय पर पहुंचकर नशे से के आदि व्यक्तियों को नशे की बुरी लत से बचाने के लिए मार्गदर्शन करते रहते है।
इंस्पेक्टर ऋषिपाल शर्मा का कहना है कि कुछ दिन पूर्व बच्चे के घर पर गए थे तो वहां बच्चे की हालत को देखकर मन बहुत ही चिंतित हो उठा, इस बीच बच्चे ने अपने माता-पिता से कहां कि आप कहीं घुमाने नहीं ले जाते हो। बच्चे की इस बात को सुनकर बहुत ही तकलीफ हुई। अब बच्चे को पुन: पैर तो नहीं दिया जा सकता था, मगर ट्राई साइकिल देने से बच्चा आज कहीं भी घूम फिर सकता है। इसी उद्देश्य के साथ बच्चे को ट्राइसिकल भेंट की गई। गौरतलब हो कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेना आज के समय में हर किसी की बस में नहीं है। ऐसा नहीं है कि सरकार विकलांगों के लिए योजना नहीं चला रही है। मगर सरकारी योजना का लाभ जब तक मिलता है, तब लोगों की आधी उम्मीद टूट चुकी होती है।