Ghaziabad तहसील में रिश्वतखोरी का ऑडियो वायरल

Ghaziabad तहसील में रिश्वतखोरी को लेकर पूर्व में भी आरोप लगते रहे हैं। वर्तमान में सदर तहसील का एक वीडियो और ऑडियो वायरल हो रहा है। जिसमें तहसील के कर्मचारियों और अधिकारियों पर रिश्वत लेने के आरोप लग रहे हैं। पीडि़त व्यक्ति का कहना है कि उससे रिश्वत लेने के बाद भी काम नहीं किया गया और उसे परेशान किया गया। पीडि़त व्यक्ति ने इस मामले की शिकायत गाजियाबाद के जिलाधिकारी से की है। पूर्व में Ghaziabad तहसील की ही तरह गाजियाबाद नगर निगम के बदनाम स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें नगर स्वास्थ्य अधिकारी के अधीनस्थ एक सुपरवाइजर ने तेल आपूर्ति के बदले पेट्रोल पंप संचालक से रिश्वत में 2 लाख रुपए कम मिलने की बात कह रहा था। जीडीए सचिव संतोष राय के कार्यकाल में भी अवैध निर्माण के बदले प्रति लेंटर 1 लाख रुपए लिए जाने का एग्रीमेंट पेपर वायरल हुआ था। ठीक इसी तरह बिजली विभाग में भी भ्रष्टाचार के खेल का उजागर हुआ था। जिसमें नोएडा में तैनात बिजली विभाग के एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर द्वारा बिजली के कॉर्मशियल कनेक्शन देने बदले दो करोड़ रूपए की रिश्वत मांगी गर्ई थी। बहरहाल भ्रष्टाचार के इन आरोपों की जांच होनी चाहिए और कार्रवाई भी होनी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलता है।

गाजियाबाद। Ghaziabad तहसील (सदर) में भ्रष्टाचार का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। कानूनगो और चपरासी के बीच रिश्वतखोरी की रकम के लिए बातचीत का वीडियो और ऑडियो वायरल हो गया है। भूमि का डिमार्केशन कराने को आए आवेदन को पिछले पांच माह से लंबित रखा गया है। पीडि़त ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत जिलाधिकारी से की है। आरोप है कि एलआरसी पद पर अटैच किए जाने के बावजूद कानूनगो ने मलाईदार पद का मोह नहीं छोड़ा है।

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Ghaziabad तहसील सदर में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण पृथ्वी सिंह पुत्र मेघराज सिंह निवासी फ्लैट नंबर डी-610 अजनारा इंटीग्रीटी सोसाइटी राजनगर एक्सटेंशन काफी परेशान हैं। पृथ्वी सिंह ने भूमि का डिमार्केशन कराने को विगत 9 दिसंबर 2020 को डीएम गाजियाबाद को प्रार्थना पत्र दिया था। जांचोपरांत लेखपाल ने 17 मार्च को रिपोर्ट प्रेषित कर दी थी।

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रिपोर्ट में प्रश्नगत भूमि खसरा संख्या 86 मीटर का होना पाया गया। आरोप है कि कानूनगो ने यह रिपोर्ट पिछले पांच माह से दबा रखी है। रिपोर्ट को अग्रसरित करने की एवज में 50 हजार रुपए की डिमांड की गई है। 14 जुलाई को कानूनगो ने पीडि़त पृथ्वी सिंह को सदर तहसील के बाहर बुलाया। जहां एक घंटे इंतजार कराने के बाद वह बाहर आए।

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बाद में उन्होंने इशारा कर चपरासी राजेंद्र कुमार को बुलाया। चपरासी को 10 हजार रुपए देने की बात कही। पृथ्वी सिंह ने यह रकम चपरासी को दे दी। आरोप है कि काम की एवज में 40 हजार रुपए और मांगे जा रहे हैं। पूछने पर कानूनगो का जबाव है कि तहसीलदार और एसडीएम से भी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कराए जाने हैं। पृथ्वी सिंह ने कानूनगो के साथ बातचीत की वीडियो और ऑडियो भी बना ली है, जिसमें वह काम करने के बदले सुविधा शुल्क की डिमांड कर रहे हैं।

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साक्ष्यों के साथ पीडि़त ने इस बावत डीएम से शिकायत की है। मामले की जांच कराकर समुचित कार्रवाई की अपील की गई है। आरोप है कि कानूनगो को काफी समय पहले एलआरसी पद पर अटैच कर दिया गया था, मगर वह अब तक कानूनगो के पद पर जमे हैं।

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