नगर निगम में टेंडर को लेकर ठेकेदारों में द्वंद, मेयर और विधायक के बाद अब पार्षद ने खोला मोर्चा

– एक दूसरे की शिकायत में मशगूल हैं ठेकेदार, कर रहे हैं राजनैतिक संरक्षणदाता की तलाश
– आरोपों को लेकर म्युनिसिपल कमिश्नर विक्रमादित्य सिंह मलिक सख्त, जांच के दिये आदेश

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। नगर निगम इन दिनों ठेकेदारों के जंग का अखाड़ा बना हुआ है। ठेकेदारों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ सबूत जुटाकर उसे अपने समर्थक राजनैतिक नेताओं तक पहुंचाया जा रहा है। ठेकेदारों की इस द्वंद का असर नगर निगम में दिखाई दे रहा है। नगर निगम के खिलाफ आरोपों की बौछार शुरू हो गई है। हालांकि आरोपों में कितनी सत्यता है। इसका पता तो जांच के बाद ही चलेगा। लेकिन जिस तरह से आरोपों का दौर चल रहा है। इससे नगर निगम की छवि जरूर धूमिल हो रही है। नगर निगम के कामकाज और भ्रष्टाचार की शिकायतों को लेकर म्युनिसिपल कमिश्नर विक्रमादित्य सिंह मलिक सख्त हैं। निर्माण विभाग के टेंडरों को लेकर मिली शिकायत के मामले में म्युनिसिपल कमिश्नर ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है।

कमेटी टेंडर प्रक्रिया की तकनीकि पहलुओं की जांच कर म्युनिसपल कमिश्नर को अपना रिपोर्ट सौंपेगी। दो दिन पूर्व मेयर सुनिता दयाल ने नगर निगम सीमा के बाहर काम कराने को लेकर आपत्ति जताई थी। हालांकि जिस सड़क की बात की जा रही है उसे नगर निगम के लिए महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। कूड़ा निस्तारण के लिए नगर निगम के वाहन डंपिंग साइट तक पहुंच सके। इसके लिए अप्रोच रोड का निर्माण कराया जाना जरूरी है। मेयर के अलावा साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा ने भी शिकायत की है। ठेकेदारों के एक एसोसिएशन ने भी टेंडर प्रक्रिया पर आपत्ति उठाई है। इन्हीं शिकायतों के बीच बृहस्पतिवार को नगर निगम के वरिष्ठ पार्षद अजय शर्मा ने प्रेस कांफ्रेस कर टेंडर प्रक्रिया पर ऊंगली उठाई है।

बृहस्पतिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस के पार्षद अजय शर्मा ने नगर निगम अधिकारियों पर निर्माण कार्यों के टेंडरों में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। पार्षद का आरोप है कि कुछ ठेकेदारों की टेंडर में कमियां को दरकिनार करते हुए उन्हें क्वालीफाई कर दिया गया है। जबकि कुछ ठेकेदारों को डिस्क्वालीफाई कर दिया गया है। पार्षद ने इस मामले की मेयर और म्युनिसिपल कमिश्नर से जांच कराने की मांग की है। पार्षद ने आरोप लगाया है कि नगर निगम के निर्माण विभाग द्वारा हाल ही में जो टेंडर छोड़े गए हैं उसमें सिर्फ पांच फर्म को इन विकास कार्र्यों को कराने के लिए कांट्रेक्ट दिया गया है।

बरेली की सुनील गर्ग एंड कंपनी का हॉट मिक्स के काम का अनुभव है। शपथ पत्र भी टेंडर के साथ नहीं लगाया गया। लेकिन उसे टेंडर नहीं दिया गया है। पार्षद ने अपने आरोपों के समर्थन में टेंडर से संबंधित दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि ठेकेदारों को पांच पैसे बिलो रेट पर ठेका दिया गया है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर एनके चौधरी ने का कहना है कि नियम के तहत टेंडर छोड़े गए है। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। म्युनिसिपल कमिश्नर विक्रमादित्य मलिक ने टेंडर की जांच के आदेश दिये हैं। मुख्य नगर लेखा परीक्षक विवेक सिंह, विधि अधीक्षक विशाल गौरव और जलकल विभाग के अधिशासी अभियंता आश कुमार की तीन सदस्यीय कमेटी जल्द इसकी जांच पूरी कर रिपोर्ट म्युनिसिपल कमिश्नर को सौंपेंगे।