गाजियाबाद में मोबाइल टावर लगाने से पहले निगम से लेना होगा लाइसेंस

-25 हजार रुपए सालाना लाइसेंस शुल्क जमा करने पर ही मिलेगी अनुमति

गाजियाबाद। शहर में मकानों की छत एवं अन्य स्थानों पर मोबाइल टावर लगाने वाली कंपनियों को अब नगर निगम से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। बिना लाइसेंस के टॉवर लगाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई होगी और जुर्माना वसूला जाएगा। लाइसेंस शुल्क जमा करने के बाद ही कंपनी टॉवर लगा सकेंगे।
नगर निगम ने शासनादेश को लागू करते हुए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया हैं। इसके लिए उपविधि (बाईलाज) भी बना लिया गया है। एक सप्ताह में गजट नोटिफिकेशन का प्रकाशन होने आने के बाद लाइसेंस शुल्क की वसूली के लिए नोटिस जारी किए जाएंगे। टावर के लिए कंपनी को 25 हजार रुपए सालाना लाइसेंस शुल्क जमा कराना होगा।

नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ.संजीव सिन्हा ने बताया कि मोबाइल टावर लगाने के लिए कंपनियों से लाइसेंस शुल्क लेने के लिए बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास हो चुका हैं। निगम क्षेत्र में विभिन्न मोबाइल कंपनियों के करीब 408 टावर हैं। इन्हें व्यावसायिक श्रेणी में माना गया है। वर्ष-2014 में शासन ने टावर से लाइसेंस शुल्क लेने के आदेश जारी किए थे। लेकिन नगर निगम ने इसे लागू नहीं किया था। सिन्हा का कहना है कि लाइसेंस शुल्क से निगम को सालाना लगभग 10 करोड़ से ज्यादा की आमदनी होगी। टावर लगाने वाली मोबाइल कंपनियों से लाइसेंस शुल्क लेने के लिए इसी साल जून में बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास हो चुका है।

जुलाई में गजट प्रकाशन के लिए उपविधि शासन को भेज दी गई थी।एक सप्ताह में गजट नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। लाइसेंस शुल्क वसूलने के लिए 30 जून 2014 को शासनादेश सभी नगर निगम को जारी किया गया था। प्रदेश के कई जिलों में टावरों को लाइसेंस शुल्क लिया जा रहा है। लेकिन नगर निगम अधिकारी आठ साल तक शासनादेश को दबाए रखे रहे। नगर निगम क्षेत्र में केबल ऑपरेटरों से भी लाइसेंस शुल्क लेने को हरी झंडी मिल गई है। 200 तक कनेक्शन देने वालों से 5 हजार रुपए सालाना और 200 से अधिक कनेक्शन देने वाले केबल आपरेटरों से 7 हजार रुपए सालाना लाइसेंस शुल्क लिया जाएगा।