नगर निगम ठेकेदारों को मिली थोड़ी राहत, 5 फीसद हुई धरोहर राशि लेकिन सिर्फ बड़े कामों में मिलेगा लाभ

नगर निगम ठेकेदारों की मांग है कि जिस तरह से कोविड-19 महामारी का लाभ अन्य सरकारी विभागों में मिला है उसी तरह का लाभ गाजियाबाद नगर निगम में भी मिले। उधर, निगम अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 को लेकर ठेकेदारों को राहत दिये जाने संबंधित कोई शासनादेश नहीं मिला है। फिलहाल बड़े कामों में धरोहर राशि 5 प्रतिशत कर दी गई है।

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। ठेकेदारों को नगर निगम ने थोड़ी राहत दी है। लेकिन ठेकेदार इतने भर से संतुष्ट नहीं हैं। ठेकेदारों की मांग है कि जिस तरह से कोविड-19 महामारी का लाभ अन्य सरकारी विभागों में मिला है उसी तरह का लाभ गाजियाबाद नगर निगम में भी मिले। उधर, निगम अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 को लेकर ठेकेदारों को राहत दिये जाने संबंधित कोई शासनादेश नहीं मिला है। फिलहाल बड़े कामों में धरोहर राशि 5 प्रतिशत कर दी गई है।

गाजियाबाद नगर निगम में काम करे ठेकेदारों को कड़े नियमों के साथ-साथ भुगतान से संबंधित परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। समय से भुगतान नहीं होने के कारण छोटे ठेकेदारों की परेशानी ज्यादा होती है। गाजियाबाद नगर निगम में काम कर रहे 90 फीसद ठेकेदार निम्न और मझोले श्रेणी के हैं। सिर्फ 10 फीसद ठेकेदार ऐसे हैं जो बड़े काम कर पाने में सक्षम हैं। नगर निगम के वरिष्ठ ठेकेदार इकबाल वहीद ने ठेकेदारों से धरोहर राशि (एफडी) के रूप में 10 फीसद रकम लिये जाने का मुद्दा चीफ इंजीनियर एनके चौधरी के समक्ष उठाया था। चीफ इंजीनियर ने इस मामले में एग्जयूकेटिव इंजीनियर से जवाब मांगा और इकबाल वहीद की मांग को जायज मानते हुए 40 लाख रुपये से अधिक के कामों पर एफडीआर 5 फीसद करने का आदेश जारी किया। इस पर ठेकेदारों ने प्रसन्नता जताई है।

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Iqbal Vaheed Contractorइकबाल वहीद ने बताया कि उनकी मांग नगर निगम के समस्त ठेकदारों के लिए है। कोरोना संकट के दौरान सरकार द्वारा धरोहर रशि और परफॉरमेंस गारंटी को लेकर जो आदेश जारी हुआ था उसे अभी तक अमल में नहीं लाया गया है। फिलहाल 40 लाख से अधिक के कामों में धरोहर राशि 5 फीसद किये जाने के आदेश का स्वागत करते हैं। लेकिन हम सभी ठेकेदारों की मांग है कि जिस तरह से पीडब्ल्यूडी में कोविड-19 को लेकर जारी आदेशों का लाभ ठेकेदारों को मिल रहा है उसी तरह का लाभ गाजियाबाद नगर निगम में भी मिले।

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Contractor-Madan-Agarwalइकबाल की मांग को जायज बताते हुए वरिष्ठ ठेकेदार मदन अग्रवाल कहते हैं कि गाजियाबाद नगर निगम में ठेकदारों पर दोहरी मार पड़ती है। एक तो यहां पर अभी तक कोविड-19 के तहत केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश को लागू नहीं किया गया। दूसरा यहां टेंडर डालने की प्रक्रिया बेहद जटिल हैं। जटिल टेंडर प्रक्रिया की वजह से ठेकेदारों के साथ-साथ नगर निगम अधिकारियों का भी वक्त जाया होता है। जिस तरह से बड़े कामों में एफडीआर की राशि कम की गई है, उसी तरह छोटे कामों में भी एफडीआर को कम करना चाहिये।

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Contractor-Sachin-Tyagiठेकेदार सचिन त्यागी का कहना है कि जो कॉट्रैक्टर गाजियाबाद नगर निगम में पंजीकृत हैं उन्हें इन कागजी जटिलताओं से राहत मिलनी चाहिये। 10 से 15 लाख के छोटे कामों में भी उतने ही डॉक्यूमेंट लगाने पड़ते हैं जितने डॉक्यूमेंट 2 करोड़ रुपये के कामों में लगते हैं। जबकि पहले ठेकेदारों को इतने डॉक्यूमेंट नहीं लगाने पड़ते थे। ठेकेदारों के समक्ष भुगतान की भी समस्या है। अधिकारियों को भी ठेकेदारों की परेशानियों को समझते हुए राहत प्रदान करनी चाहिये।

क्या बोले चीफ इंजीनियरChief-Enginer-NK-Chaudharyस्थानीय स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है। कोविड-19 को लेकर अभी तक कोई शासनादेश नहीं मिला है। ऐसे में उसको लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है। बड़े कामों में धरोहर राशि को लेकर कुछ त्रुटियां थीं, जिसे दूर कर दिया गया है। 40 लाख से अधिक के कामों में ठेकेदारों को सिर्फ 5 फीसद धरोहर राशि जमा करनी होगी।
: एनके चौधरी
चीफ इंजीनियर
गाजियाबाद नगर निगम