पहले कोरोना और 5 के बाद 12 फीसद की मार से व्यापारी बेहाल: प्रदीप गुप्ता

गाजियाबाद। व्यापारी वर्ग कोरोना की मार से जैसे-तैसे उभर ही रहे थे कि अब केंद्र सरकार ने कपड़े पर जीएसटी की दर पांच से 12 फीसद करने का फैसला किया है। यह दर एक जनवरी 2022 से लागू होगी।
आजादी से लेकर आज तक कभी कपड़ा किसी टैक्स के अंतर्गत नहीं आया, यह पहली बार है जब कपड़े पर 5 फिसद टैक्स लगाया गया था उसको भी व्यापारी अब सहजता से लेने लगा था लेकिन यदि 12 फिसद होता है तो इसका बहुत बड़ा भार उपभोक्ता के ऊपर आने वाला है और अभी जो महंगाई है।
व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम पत्र जारी करते हुए कहा कि पहले कोरोना ने मारा, अब 12 फीसद टैक्स होने से उनका कारोबार पूरी तरह से चौपट हो जाएगा। सरकार को इस समय व्यापारियों की मदद करनी चाहिए थी, उल्टा टैक्स बढ़ा दिया गया। कपड़े पर टैक्स की दर पहले की तरह पांच फीसद ही रखा जाए। कपड़ों और जूतों पर जीएसटी में इजाफे के फैसले को व्यापारी और सामाजिक हित में वापस लिया जाए और अगर आपको ऐसा लगता है कि आपका फैसला सही है तो आप एक कमेटी का गठन करें। जिसमें इस फैसले के असर पर एक व्यापक चर्चा हो उसके बाद ही इस संबंध में अगला कदम उठाया जाये।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जीएसटी लागू होने से पहले कपड़ा-कपड़ों पर कोई टैक्स नहीं था। कपड़ा उद्योग पर जीएसटी लगाकर कर के दायरे में लाना ही पूरे कपड़ा उद्योग के लिए एक बड़ा झटका था। आज कपड़ा उद्योग को 5 फिसद से बढ़ाकर 12 फिसद करना तर्कसंगत नहीं है। देश में मौजूदा व्यापारिक हालात को देखते हुए इसे 5 फिसद जीएसटी पर ही बरकरार रखा जाए। क्योंकि पहले ही कपड़ा उद्योग वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों के मुकाबले में सक्षम स्थिति में नहीं है। दिए गये पत्र में उन्होंने वित्त मंत्री से कहा आज जहां एक और हमारी सरकार मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही है, तो वहीं दूसरी और जीएसटी बढ़ाने का फैसला लेने से व्यापार में अनिश्चितता और निराशा का माहौल पैदा होगा। करोड़ो कपड़ा व्यापारियों के हित में ध्यान रखते हुए गंभीरता से विचार किया जाए।