कैच द रेन अभियान के तहत नगर निगम ने ढूंढ निकाले लुप्त हो चुके चार तालाब

नगरायुक्त ने मोरटा जाकर शुरू कराया सौंदर्यीकरण का काम

गाजियाबाद। कैच द रेन अभियान के तहत नगर निगम ने रेवेन्यू रिकॉर्ड के आधार पर 4 तालाबों को तलाशा है। नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर के निर्देश पर यह कार्यवही अमल में लाई गई है। शहर में भूजल स्तर को बेहतर करने के लिए निरंतर काम चल रहा है। इसी क्रम में तालाबों के जीर्णोद्धार पर ध्यान दिया गया है। तालाबों को ढूंढ़ने के लिए नगर निगम कैच द रेन अभियान भी शुरू किया है। इसके तहत रेवेन्यू रिकॉर्ड के आधार पर 4 तालाबों को तलाशने में सफलता मिली है। नगरायुक्त के निर्देश पर जल संरक्षण की दिशा में काम किया जा रहा है।

कैच द रेन अभियान के जरिए लुप्त तालाबों की खोज का काम शुरू कराया गया है। रेवेन्यू रिकॉर्ड के आधार पर पुराने 4 तालाबों को तलाशा गया है, जोकि पूर्णतया लुप्त हो चुके थे। नगर निगम के मुताबिक वार्ड संख्या-16 में मोरटा, सिकरोड़ के मध्य तालाब की भूमि पर जो कि लगभग 15000 स्क्वॉयर मीटर है, कार्य शुरू कराया गया है। नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने मौके पर स्वयं जाकर सुधार कार्य शुरू कराया। इसके अलावा वार्ड संख्या-40 साहिबाबाद में भी रेलवे लाइन के किनारे दो तालाब खोजे गए हैं, जिसका क्षेत्रफल 3000 स्क्वायर मीटर है। इसी क्रम में कड़कड़ मॉडल वार्ड संख्या-46 में भी 1500 स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल के तालाब को खोजा गया है।

जिस पर तेजी से कार्य करने के लिए नगरायुक्त द्वारा संबंधित विभाग को निर्देशित किया गया है। अन्य कई स्थानों पर भी नगर निगम टीम द्वारा तालाबों की खोज की जाएगी, जिससे ना सिर्फ भूजल स्तर में इजाफा होगा बल्कि शहर के सुंदरीकरण का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा। नगर निगम द्वारा पूर्व में भी चयनित सभी तालाबों पर कार्यवाही की जा रही है, जिससे शहर के भूजल स्तर में इजाफा हुआ है। साथ ही ग्रामीणों को भी काफी लाभ मिला है। ग्रामीण क्षेत्रों के सौंदर्यीकरण में भी सफलता प्राप्त हुई है।

इसी क्रम में नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने मोरटा में उपस्थित होकर तालाब के कार्य को शुरू कराया है। इस दौरान क्षेत्रीय पार्षद एवं नागरिकों ने नगर निगम का आभार व्यक्त किया। उधर, नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि कैच द रेन अभियान का लाभ मिलने लगा है। पूर्णत: लुप्त हो चुके तालाबों के मिलने से उनके सौंदर्यीकरण का काम कराया जा रहा है। इससे जल संरक्षण में मिल मिलेगी। शहर के भूजल स्तर में भी सुधार होगा।