खत्म होगा इंतजार, दिल्ली-मेरठ हाइवे से जुड़ेगा मधुबन-बापूधाम

-लंबी प्रतीक्षा के बाद आरओबी का निर्माण कार्य आरंभ

गाजियाबाद। जीडीए द्वारा विकसित मधुबन-बापूधाम कॉलोनी को दिल्ली-मेरठ हाइवे से जल्द कनेक्टिीविटी मिल जाएगी। इसके मद्देनजर रेलवे ट्रैक के ऊपर आरओबी का निर्माण आरंभ हो गया है। लंबे इंतजार के बाद सेतु निर्माण निगम ने निर्माण कार्य का श्रीगणेश कर दिया है। रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) का निर्माण करने को पिलर की स्थापना की जा रही है। पिलर बनने से आरओबी को मजबूत स्तंभ मिल सकेगा। यह आरओबी लगभग 700 मीटर लंबा और 45 मीटर चौड़ा होगा। जीडीए उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश ने सेतु निर्माण निगम के प्रोजेक्ट प्रबंधक निर्माण कार्य समय से निपटाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।

मनन धाम मंदिर तक बनेगा आरओबीरोपवे पर खर्च होने वाली धनराशि में प्रोजेक्ट की कुल लागत में से 60 फीसदी प्राइवेट एजेंसी की हिस्सेदारी होगी। जीडीए उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश ने बताया कि जीडीए के पास फंडिंग की कमी है। ऐसे में रोप-वे प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए पीपीपी मोड़ पर प्लानिंग है। इसमें 60 फीसद धनराशि प्राइवेट एजेंसी और बाकी 40 फीसद धनराशि में जीडीए एवं अन्य विभाग की फंडिंग पर विचार किया जा रहा हैं।रोप-वे को एजेंसी को 20 साल के लिए संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इस रोप-वे को साल-2024 तक प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य है। रोपवे प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 5.17 किलोमीटर होगी। इसमें वैशाली, वसुंधरा, साहिबाबाद और मोहननगर सहित कुल चार स्टेशन होंगे। रोपवे के दोनों आखिरी स्टेशन को फुटओवर ब्रिज के जरिए मेट्रो ब्लू लाइन पर वैशाली स्टेशन और रेल लाइन पर मोहननगर स्टेशन से जोडऩे की योजना है।

फंडिंग पैटर्न तय होने के साथ ही एजेंसी को सलेक्ट करने की प्रक्रिया शुरू होगी। इस प्रोजेक्ट की डीपीआर में कुल लागत 450 करोड़ रुपए तय की गई है। जो मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट से तीन गुना कम है। रोपवे की तैयार की गई डीपीआर में फंडिंग पैटर्न में प्रोजेक्ट का पूरा खर्चा सरकारी विभागों के होने की बात शामिल है। जीडीए की वित्तीय स्थिति खराब होने के चलते प्रदेश सरकार भी फंड नहीं देगी। ऐसे में जीडीए अब पीपीपी मोड़ पर इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की प्लानिंग में है। प्राइवेट एजेंसी के जरिए प्रोजेक्ट के शुरू होने की उम्मीद हैं।

जीडीए उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश ने बताया कि रोपवे प्रोजेक्ट की कम लागत और संचालन का कम खर्च होने से इसे शुरू करने की प्लानिंग है। इस रोप-वे प्रोजेक्ट के चलते मेट्रो की रेड और ब्लू लाइन आपस में जुड़ जाएंगी। रोपवे के एक डिब्बे में 10 लोगों के बैठने की सुविधा होगी। ऐसे में लिंक रोड पर लगने वाले जाम की चिंता किए बगैर लोग सीधे रोपवे से मेट्रो की एक लाइन से दूसरी लाइन तक पहुंच सकेंगे। इस प्रोजेक्ट का फंडिंग पैटर्न पर विधिवत मुहर लगने के बाद जल्द एजेंसी का चयन किया जाएगा। फंडिंग पैटर्न में पीपीपी मोड़ पर निजी एजेंसी का अधिक हिस्सा होने के साथ ही संचालन का जिम्मा उसी के पास होगा। इस प्रक्रिया को दिसंबर तक पूरा करने की प्लानिंग की जा रही हैं।