कुपोषण को लेकर डॉ. संजय मिश्र ने कही बड़ी बात, बोले क्षेत्रीय भोजन को दें बढ़ावा

नेशनल न्यूट्रीशन मंथ 2021- पारस हॉस्पिटल द्वारा आयोजित फेसबुक लाइव कार्यक्रम में डॉ. संजय मिश्र ने पोषण को लेकर लोगों के सवालों का दिया जवाब

उदय भूमि ब्यूरो
पटना। कुपोषण मुक्त भारत के मिशन को पूरा करने के लिए भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा नेशनल न्यूट्रीशन मंथ मनाया जा रहा है। 1 से 30 सितंबर तक मनाये जाने वाले चौथे नेशनल न्यूट्रीशन मंथ-2021 में केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के अलावा निजी अस्पतालों द्वारा भी कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। पटना स्थित पारस अस्पताल द्वारा विशेष जागरूकता कैंपेन चलाया जा रहा है। इसका नेतृत्व अस्पताल के चीफ डाइटीशियन डॉ. संजय कुमार मिश्र कर रहे हैं।

पारस हॉस्पिटल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में डॉ. संजय मिश्र ने फेसबुक लाइव के जरिये कुपोषण और भोजन को लेकर लोगों के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने लोगों को बताया कि किस तरह से हम सभी को कुपोषण के खिलाफ इस जंग को मिलकर लड़ना है। डॉ. मिश्र ने कहा कि यदि हमें कुपोषण छोड़कर पोषण की ओर जाना है तो सबसे पहले क्षेत्रीय भोजन की डोर को थामना होगा। क्षेत्रीय भोजन में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होता है और वह वहां के पर्यावरण और मौसम के अनुकूल होता है।

डॉ. संजय मिश्र ने कहा कि कुपोषण के खिलाफ सामूहिक जंग की जरूरत है और इसकी शुरूआत हमें अपने आप से और अपने घर से करनी होगी। घर से शुरू होने वाला यह बदलाव मोहल्ला, टोला, गांव, जिला, प्रदेश होकर राष्ट्रीय मुहिम बन जाएगा। उन्होंने बताया कि आहार में विविधता और पौष्टिकता को बढ़ाने के लिए बाजरा, दालें, बारहमासी और मौसमी स्थानीय सब्जियों, फलों आदि का उपयोग करना जरूरी है। यदि हमारे घर में अमरूद, पपीता जैसे फल उपलब्ध हैं तो उसी का सेवन करना चाहिये। ऐसा नहीं है कि सिफ महंगे फलों में ही पोषक तत्व होते हैं। सीजन फलों में सबसे अधिक पोषक तत्व पाये जाते हैं।

बच्चों के लिए 1000 दिन बेहद जरूरी
माता के गर्भधारण के बाद से ही बच्चे के पोषण को लेकर अलर्ट होने की जरूरत है। बच्चों के लिए शुरूआत के 1000 दिन बेहद महत्वपूर्ण होते है। 270 दिन बच्चा मां के गर्भ में रहता है। वहीं से उसकी ग्रोथ शुरू हो जाती है। उसके बाद 2 साल तक यानी 730 दिन तक बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व देना जरूरी है। यदि हम बच्चे के स्वस्थ लाइफ की परिकल्पना करते हैं तो हमें ध्यान देना होगा कि प्रेगनेंसी पीरियड में मां का भोजन कैलोरी, मिनरल्स, विटामिन सहित अन्य पोषक तत्वों से भरपूर हो। प्रेगनेंसी पीरियड में एनर्जी की आवश्यकता बढ़ जाती है।

जन आंदोलन की जरूरत
कुपोषण को खत्म करने के लिए एक जन आंदोलन चलाना पड़ेगा। यह हर व्यक्ति का दायित्व है। डॉ. संजय मिश्र ने कहा कि पोषण की मात्रा भरपूर मिले। इसका जरूर ध्यान रखना चाहिये। सोने से पहले एक गिलास दूध अवश्य पीयें। ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण दूर करने में आंगनवाड़ी की बड़ी अहमियत है। इसके माध्यम से भी अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना होगा। जब हम सभी कुपोषण को लेकर जागरूक होंगे तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वस्थ भारत का सपना पूरा होगा।