विदेशी फंडिंग : भीम आर्मी तक पहुंची जांच की आंच

पीएफआई से लिंक के संकेत, एजेंसियों के कान खड़े

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश को जातीय दंगों की आग में झोंकने की साजिश की जांच में जुटी खुफिया एजेंसियों को निरंतर महत्वपूर्ण जानकारी मिल रही हैं। विदेशी फंडिंग का खुलासा होने के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एजेंसियों के निशाने पर है। इसी कड़ी में अब पीएफआई और भीम आर्मी के लिंक मिलने से इस प्रकरण में नया मोड़ आ गया है। ऐसे में भीम आर्मी के नेताओं और सदस्यों से पूछताछ संभव है। हाथरस कांड की आड़ में उत्तर प्रदेश में जातीय दंगे कराने का षडयंत्र बेनकाब हो चुका है। इसके बाद से उप्र सरकार और खुफिया एजेंसियां काफी सतर्क हैं। विदेशी फंडिंग की जांच में जुटी एसआईटी को कुछ और महत्वपूर्ण तथ्य मिले हैं। पुलिस और एसआईटी को फंडिंग प्रकरण में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और भीम आर्मी की संलिप्तता के लिंक मिले हैं। इसके बाद जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से लेकर हाथरस में पीडि़ता के गांव तक भीम आर्मी के कार्यकर्ता जगह-जगह मौजूद थे। ये कार्यकर्ता खुद को भीम आर्मी का न बताकर आम आदमी बता रहे थे। ईडी इस प्रकरण में भीम आर्मी के नेताओं और कुछ कार्यकर्ताओं को पूछताछ के लिए बुला सकती है। हाथरस कांड में पुलिस ने पीएफआई के 4 सदस्यों की गिरफ्तारी की है। एक आरोपी बहराइच के जरवल का रहने वाला है। बहराइच पुलिस का कहना है कि यह क्षेत्र इंडो-नेपाल सीमा से सटा है। भारत-नेपाल सीमा पर पीएफआई की गतिविधियां की जांच जारी है। जांच एजेंसियों का कहना है कि जिस वेबसाइट के जरिए विरोध-प्रदर्शन की जानकारी दी जा रही थी, उसके कनेक्शन एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़े होने के भी संकेत मिले हैं। कुछ इस्लामिक देशों से फंडिंग होने की भी जानकारी मिली है। बता दें कि हाथरस में कुछ दिन पहले दलित युवती की कथित गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी। इस कांड पर इन दिनों यूपी में सियायत गरमाई हुई है, जिससे योगी सरकार मुश्किल में नजर आ रही है।