Mamata Banerjee – विपक्ष का चेहरा बनने की कोशिश

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री Mamata Banerjee का दिल्ली दौरा आजकल चर्चाओं में है। विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं के साथ वह निरंतर मुलाकात कर संवाद कर रही हैं। ममता दीदी का मकसद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करना है। उन्हें उम्मीद है कि विपक्ष के संगठित होने से 2024 में भाजपा को सत्ता से बाहर करना आसान होगा। इसके मद्देनजर वह देश की राजधानी में हरसंभव प्रयास कर रही हैं।

दिल्ली आगमन के दौरान उन्होंने सबसे पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मुलाकात की थी। पिछले कुछ साल में प्रशांत किशोर ने काफी ख्याति अर्जित की है। उन्हें चुनावी रणनीति बनाने में महारथ हासिल हैं। प्रशांत के ज्यादातर अनुमान सटीक बैठते हैं। इसके चलते वह कुछ दिग्गज राजनीतिज्ञों के चहेते बन गए हैं। प्रशांत किशोर के बाद Mamata Banerjee ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। उन्हें पेगासस जासूसी प्रकरण में अपनी मंशा से अवगत कराया था। पेगासस जासूसी प्रकरण सामने आने के बाद से केंद्र सरकार के खिलाफ समूचा विपक्ष आक्रामक मुद्रा में है।

मुख्यमंत्री Mamata Banerjee भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही हैं। पीएम मोदी से भेंट के दरम्यान उन्होंने इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराने की अपील की। इसके अलावा कुछ और मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। पीएम मोदी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के अलावा ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व वायनाड सांसद राहुल गांधी से भी मुलाकात कर जरूरी बिंदुओं पर चर्चा की है।

राहुल गांधी और Mamata Banerjee इस समय प्रधानमंत्री मोदी के सबसे बड़े आलोचक माने जाते हैं। वह समय-समय पर पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की खिलाफत करते रहते हैं। पश्चिम बंगाल के विधान सभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त देने के बाद से टीएमसी प्रमुख Mamata Banerjee के हौंसले बुलंद हैं। वह भाजपा को लेकर और ज्यादा आक्रामक नजर आ रही हैं। दिल्ली दौरे के दौरान उन्होंने बयान दिया है कि जब पश्चिम बंगाल में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मात दी जा सकती है तो बाकी राज्यों में क्यों नहीं ? पश्चिम बंगाल में मिली शानदार जीत से उत्साहित ममता अब भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम में जुट गई हैं।

भाजपा के अच्छे दिन के नारे के विरोध में उन्होंने सच्चे दिन लाने का नारा भी बुलंद किया है। उन्होंने कहा है कि अच्छे दिन लाने का वादा कर भाजपा ने जनता को ठगा है। जबकि विपक्ष सच्चे दिन लाकर जनता के हितों की रक्षा करेगा। विपक्ष को संगठित करने की मुहिम के दरम्यान Mamata Banerjee ने भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण बयान भी दिया है। उनका कहना है कि वह विपक्ष की मुख्य नेता बनने की मंशा नहीं रखती हैं। वह सिर्फ काडर के तौर पर काम करेंगी। दरअसल यह कयास लगाए जा रहे हैं कि विपक्ष को एकजुट करने के बहाने ममता दीदी खुद को 2024 से पहले विपक्ष का सबसे बड़ा लीडर साबित करना चाहती हैं ताकि विपक्ष उन्हें भविष्य में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करे। हालाकि इन कयासों को उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया है। पश्चिम बंगाल के विधान सभा चुनाव में खेला होवे का नारा भी खुल चला था। इस नारे का मतदाताओं पर खासा असर पड़ा था।

अलबत्ता Mamata Banerjee ने दिल्ली आकर इस नारे को धार देने की कोशिश की है। उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) खासकर भाजपा की आलोचना कर देश में खेला होवे का नारा जोरदार तरीके से लगाया है। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधान सभा चुनाव होने हैं। यूपी विस चुनाव पर टीएमसी सुप्रीमो की राय है कि भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए सपा-बसपा को एक होने की जरूरत हैं। यह दोनों प्रमुख दल भाजपा के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ें।

मुख्यमंत्री Mamata Banerjee के दिल्ली दौरे का भविष्य में कितना असर पड़ेगा, यह जल्द मालूम पड़ जाएगा। वैसे ममता दीदी की निगाह भी दिल्ली की गद्दी पर जरूर टिकी होगी। फिलवक्त टीएमसी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा भाजपा है। भाजपा को कमजोर करने के लिए टीएमसी प्रमुख पूरी ताकत लगा रही हैं। जिस समय Mamata Banerjee दिल्ली में विपक्ष को एकजुट करने की कवायद में जुटी हैं, उसी समय भाजपा के एक सांसद ने टीएमसी की महिला सांसद पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगाया है। भाजपा सांसद की पीड़ा है कि टीएमसी सांसद ने उन्हें बिहारी गुंडा कहकर संबोधित किया है। इस पर विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा का कहना है कि टीएमसी को हिंदी भाषी नागरिकों से परहेज है। इसलिए इस प्रकार का विवादित बयान दिया गया है। इसके पहले पश्चिम बंगाल विस चुनाव में ममता बनर्जी ने यूपी के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। जिस पर काफी हंगामा मचा था।

केंद्र की सत्ता से भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाना क्या इतना आसान है? इस सवाल पर विपक्ष के कई नेता भी नहीं में उत्तर देते हैं। इस कारण यह है कि कांग्रेस की हालत खराब है। देश के सबसे पुराने इस दल की ताकत निरंतर कमजोर होती जा रही है। Mamata Banerjee को भी मालूम है कि जब तक कांग्रेस मजबूत नहीं होगी तब तक विपक्ष को एकजुट करने का भी कोई लाभ नहीं है। कुछ माह पहले देश में तीसरे मोर्चे के गठन की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया था। इसके लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कोशिशें की थीं। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी। उस बैठक में कांग्रेस को छोड़कर विपक्ष के अन्य नेताओं को आमंत्रित किया गया था। हालाकि बैठक में कांग्रेस के कुछ शीर्ष नेताओं ने प्रतिभाग किया था। शरद पवार की मंशा कांग्रेस से इतर देश में तीसरा मोर्चा गठित करने की थी ताकि 2024 के चुनाव में भाजपा को कड़ी चुनौती दी जा सके, मगर पवार के प्रयासों ने रंग नहीं दिखाया।