उत्तर भारत के पहले मेडिकल डिवाइस पार्क प्रोजेक्ट की दिशा में बड़ा कदम, 37 भूखंडों का आवंटन, निवेश और रोजगार को भी मिलेगी रफ्तार

ग्रेटर नोएडा। उत्तर भारत के पहले मेडिकल डिवाइस पार्क प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन की दिशा में शुक्रवार को महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया गया। यमुना प्राधिकरण के बोर्ड रूम सभागार में भूखंडों की ड्रा प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न कराई गई। इस दौरान विभिन्न श्रेणी के 37 भूखंडों का आवंटन कर दिया गया। इन भूखंडों के आवंटन से यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में भविष्य में 8151 रोजगार का सृजन होगा। इसके अलावा 556 करोड़ का पूंजी निवेश कंपनियों द्वारा किया जाएगा। मेडिकल डिवाइस पार्क प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए भूखंड आवंटन प्रक्रिया पूर्ण कराई गई है। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के सेक्टर-28 में मेडिकल डिवाइस पार्क विकसित किया जाना है।

यह उत्तर भारत का पहला और इकलौता महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट होगा। केंद्र सरकार की तरफ से देशभर में चार मेडिकल डिवाइस पार्क के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में प्रस्तावित मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए 350 एकड़ भूमि आरक्षित की गई है। पहले चरण में 136 भूखंडों की योजना निकाली गई थी। योजना में एक हजार से लेकर चार हजार वर्ग मीटर तक के भूखंड हैं। इसमें 173 आवेदन आए थे। आवेदनों की जांच के लिए समिति गठित की गई थी। समिति ने 39 आवेदन सही पाए। यमुना प्राधिकरण के बोर्ड रूम सभागार में शुक्रवार की सुबह 11 बजे ड्रा प्रक्रिया की शुरुआत की गई।

यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉ. अरुणवीर सिंह की मौजूदगी में ड्रा प्रक्रिया कराई गई। ऐसे में विभिन्न क्षेत्री के 37 भूखंडों का आवंटन कर दिया गया। ड्रा प्रक्रिया का सीधा प्रसारण यमुना प्राधिकरण के फेसबुक लाइव, 10 न्यूज यू-टयूब चैनल व परिचौक डॉट कॉम के जरिए भी किया गया। सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि ड्रा प्रक्रिया में एक हजार मीटर के 70 भूखंडों के 11 आवेदक, 2100 मीटर के 61 भूखंडों के सापेक्ष 21 आवेदक और चार हजार मीटर के 5 भूखंडों के आवेदक सफल रहे। इस अवसर पर सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह के अलावा यमुना प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी मोनिका रानी, रविंद्र सिंह, विशेष कार्याधिकारी शैलेंद्र भाटिया, शैलेंद्र कुमार सिंह, महाप्रबंधक (वित्त) विशम्भर बाबू व महाप्रबंधक (परियोजना/योजना) के.के. सिंह, डीजीएम एके सिंह आदि अधिकारी मौजूद रहे।

यह कंपनियां भूखंड पाने में सफल
ड्रा प्रक्रिया में विभिन्न कंपनियां भूखंड पाने में सफल रहीं। इनमें ऑर्थोपेडिक इंप्लांट्स बनाने वाली मैसर्स ऑक्सिन मेडिकल प्रा.लि., मैसर्स बायोरेड मेडिसियस प्रा.लि., एनेस्थीसिया वर्क स्टेशन बनाने वाली मेडियोन हेल्थकेयर प्रा.लि., एक्स-रे मशीन बनाने वाली मैसर्स जनरल मेडिकल एक्यूपमेंट व एनेस्थीसियानिडिल बनाने वाली मैसर्स रोमसंस ग्रुप प्रा.लि. सफल रही।

समिति से कराई गई थी आवेदनों की जांच
मेडिकल डिवाइस पार्क प्रोजेक्ट के पहले चरण के तहत कुल 173 आवेदन आए थे। इन आवेदनों की जांच के लिए विशेष समिति गठित की गई थी। समिति ने 39 आवेदन सही पाए थे। निर्धारित शर्तों के मुताबिक मेडिकल उपकरण बनाने का लाइसेंस, दो साल से मेडिकल उपकरण बना रहे हो, दो साल से पहले जीएसटी पंजीकरण हो और योजना की चार श्रेणी के उपकरण बनाने वाले को भूखंड आवंटित किए जाएंगे। शर्तें पूरी नहीं करने पर 134 आवेदन निरस्त कर दिए गए थे।

556 करोड़ का पूंजी निवेश
मेडिकल डिवाइस पार्क प्रोजेक्ट के पहले चरण में भूखंड आवंटन प्रक्रिया पूरी होने से इस प्रोजेक्ट में कंपनियों द्वारा 556 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश किया जाएगा। इसके अलावा यीडा क्षेत्र में रोजगार के 8151 अवसर उत्पन्न हो सकेंगे। मेडिकल डिवाइस पार्क प्रोजेक्ट के निवेशकों की सुविधाओं का यमुना प्राधिकरण द्वारा भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। इसके लिए अभी से जरूरी तैयारियां चल रही हैं। जानकारों का कहना है कि देशभर में प्रस्तावित चारों मेडिकल डिवाइस पार्क विकसित होने से भारत की चीन पर निर्भरता कम हो सकेगी। मेडिकल के साजो-सामान एवं उपकरणों के लिए भारत को फिलहाल चीन पर काफी हद तक निर्भर रहना पड़ रहा है।

यमुना प्राधिकरण को मिलेगी अलग पहचान
उत्तर भारत का पहला मेडिकल डिवाइस पार्क प्रोजेक्ट आकार लेने के बाद यमुना प्राधिकरण क्षेत्र को भविष्य में नई पहचान मिल सकेगी। मेडिकल डिवाइस पार्क के अलावा यीडा क्षेत्र के कई अहम प्रोजेक्ट पर पहले से काम चल रहा है। इसमें जेवर एयरपोर्ट, फिल्मी सिटी जैसे नामचीन प्रोजेक्टस भी शामिल हैं। यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह के नेतृत्व में इन प्रोजेक्ट्स को रफ्तार मिल रही है।