जेवर एयरपोर्ट : पहले चरण के लिए रकम जुटाने के प्रयास

उप्र शासन का तकादा, 172 करोड़ रुपए देगा यमुना प्राधिकरण

ग्रेटर नोएडा। जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण का काम ससमय निपटाने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। पहले चरण के तहत 1334 हेक्टेयर भूमि का बंदोबस्त किया गया है। भू-अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। इसी क्रम में यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण की तरफ से उत्तर प्रदेश शासन को जल्द 172 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे। यह प्रोजेक्ट के पहले चरण की अवशेष रकम है। इस रकम के लिए शासन ने डिमांड कर दी है। उधर, यमुना प्राधिकरण को जिला प्रशासन से 136 करोड़ रुपए मिलने हैं। प्राधिकरण अपने हिस्से की राशि शासन को अगले सप्ताह तक भेज देगा। इसके लिए जरूरी तैयारियां चल रही हैं। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट कंपनी लि. में उप्र सरकार व नोएडा प्राधिकरण की 37.5-37.5 प्रतिशत, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना विकास प्राधिकरण की 12.5-12.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके लिए अन्य तीनों हिस्सेदार अपनी अंशधारिता के सापेक्ष रकम दे चुके हैं। यमुना प्राधिकरण की राशि बकाया थी। शासन ने यमुना प्राधिकरण से यह रकम जल्द देने को कहा है। प्राधिकरण इस रकम को पुनर्वास कार्यों पर खर्च रकम से समायोजित कराना चाहता था। जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण के कारण नंगला शरीफ, नंगला फूल खां, नंगला छीतर, दयानतपुरा खेड़ा, किशोरपुर, रोही, नंगला गणेशी के परिवार प्रभावित हुए हैं। इन परिवारों को जेवर बांगर में बसाने की तैयारी हो रही है। इसके लिए 3 हजार से अधिक आवासीय भूखंड विकसित किए गए हैं। उप्र शासन ने जेवर बांगर में पुनर्वास के लिए ढांचागत विकास की जिम्मेदारी यमुना प्राधिकरण को सौंपी थी। इस पर साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए का व्यय आया है। जिला प्रशासन इस रकम में से 214 करोड़ रुपए यमुना प्राधिकरण को भुगतान कर चुका है। अवशेष 136 करोड़ रुपए प्राधिकरण अंशधारिता के सापेक्ष शेष रकम से समायोजित कराना चाहता था। इस अनुरोध को शासन ने ठुकरा दिया। जिला प्रशासन अब इस रकम का प्राधिकरण को भुगतान करेगा। उधर, जेवर एयरपोर्ट के दूसरे चरण के लिए 1185.69 हेक्टेयर भूमि अधिगृहित की जानी है। दूसरे चरण में कुल 1365 हेक्टेयर भूमि का प्रयोग होना है। वहीं, यमुना विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह का कहना है कि नोएडा एयरपोर्ट के पहले चरण की अवशेष राशि का जल्द भुगतान कर दिया जाएगा। पुनर्वास कार्यों पर खर्च रकम की अवशेष राशि जिला प्रशासन से मांगी गई है।