धमेंद्र कुमार सिंह ने चौरासी कोस परिक्रमा में शामिल श्रृद्धालुओं पर की फूलों की वर्षा

श्रृद्धालुओं के लिए 24 घंटे भंडारे का आयोजन व चिकित्सा शिविर की व्यवस्था
ब्रज भूमि भगवान श्रीकृष्ण एवं उनकी शक्ति राधा रानी की लीला भूमि: धमेंद्र कुमार सिंह

मथुरा। ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। वहीं नोएडा के वरिष्ठ समाजसेवी एवं रियल एस्टेट कारोबारी धर्मेंद्र कुमार सिंह ने अपनी टीम के साथ मथुरा जिले में चल रही चौरासी कोस परिक्रमा पदयात्रा में शामिल श्रृद्धालुओं पर फूलों की वर्षा की और उनके खानपान के लिए 24 घंटे भंडारे का आयोजन किया। श्रृद्धालुओं की देखभाल के लिए दो दर्जन अधिक लोगों की टीमों ने करीब एक कुंटल फूलों की वर्षा करते हुए श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा शिविर भी लगाया। जिसमें यात्रा कर रहे लोगों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गई।

यात्रा में बड़ी तादाद में महिलाएं, बुजुर्ग के साथ-साथ बच्चे भी शामिल हैं। समाजसेवी एवं कारोबारी धर्मेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यह यात्रा 3 वर्ष में एक बार आती है और लगातार एक महीने तक चलती है। श्रृद्धांलुओ की सुविधाओं के लिए खानपान के लिए 24 घंटे भंडारा और चिकित्सा शिविर लगाया गया। जिसमें चौरासी कोस परिक्रमा करने वाले श्रृद्धालुओ की सेवा की गई। यह सब एक माह तक लगातार जारी रहेगा। श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए भजन कीर्तन का भी आयोजन किया गया। धमेंद्र कुमार सिंह ने चौरासी कोस परिक्रमा का महत्व बताते हुए कहा वेद-पुराणों में ब्रज की 84 कोस की परिक्रमा का बहुत महत्व है, ब्रज भूमि भगवान श्रीकृष्ण एवं उनकी शक्ति राधा रानी की लीला भूमि है।

इस परिक्रमा के बारे में वारह पुराण में बताया गया है कि पृथ्वी पर 66 अरब तीर्थ हैं और वे सभी चातुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं। ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा मथुरा के अलावा राजस्थान और हरियाणा के होडल जिले के गांवों से होकर गुजरती है। करीब 268 किलोमीटर परिक्रमा मार्ग में परिक्रमार्थियों के विश्राम के लिए 25 पड़ावस्थल हैं। इस पूरी परिक्रमा में करीब 1300 के आसपास गांव पड़ते हैं। कृष्ण की लीलाओं से जुड़ी 1100 सरोवरें, 36 वन-उपवन, पहाड़-पर्वत पड़ते हैं। बालकृष्ण की लीलाओं के साक्षी उन स्थल और देवालयों के दर्शन भी परिक्रमार्थी करते हैं, जिनके दर्शन शायद पहले ही कभी किए हों। परिक्रमा के दौरान श्रद्धालुओं को यमुना नदी को भी पार करना होता है।

परिक्रमा लगाने से एक-एक कदम पर जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि इस परिक्रमा के करने वालों को एक-एक कदम पर अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। साथ ही जो व्यक्ति इस परिक्रमा को लगाता है, उस व्यक्ति को निश्चित ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।