भारत में दिवाली, चीन का निकला दीवाला

लेखक:- प्रदीप गुप्ता
(समाजसेवी एवं कारोबारी हैं। व्यापारी एकता समिति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और राजनीतिक एवं सामाजिक विषयों पर बेबाकी से राय रखते हैं।

पिछले 2 साल से कोरोना महामारी का कहर झेलने के बाद इस साल पूरे भारत में दिवाली के त्यौहार पर देशभर में रौनक देखने को मिला। कोरोना का गम भुलाकर लोग घरों से बाहर निकले। दिवाली को लेकर जमकर खरीदारी की। इसका असर यह रहा कि इस बार दिवाली के मौके पर करीब 1.25 लाख का करोबार हुआ। जिसकी अनेक आर्थिक विशेषताएं रहीं, जिनमें मुख्य रूप से चीनी सामान का पूर्ण बहिष्कार, भारतीय सामान का बड़े पैमाने पर उपयोग और वोकल फॉर लोकल मुहिम का असर। देशभर के व्यापारी पिछले 2 साल की अभूतपूर्व मंदी के बाद इस दिवाली के करोबार से काफी राहत महसूस कर रहे हैं।

व्यापारी एकता समिति संस्थान ने भी चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान चलाया था। सजग एवं जागरूक व्यापारियों ने इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। इसके लिए सभी व्यापारियों का आभार व्यक्त करना जरूरी है। आप सबको ये जानकर बहुत खुशी होगी कि चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम का असर ये हुआ कि इस साल दिवाली पर देश ने चीन को 50 हजार करोड़ से अधिक के व्यापार के बड़े नुकसान का झटका दिया है। दिलचस्प बात यह है कि इस साल छोटे कारीगरों, कुम्हारों, शिल्पकारों और स्थानीय कलाकारों ने अपने उत्पादों की अच्छी बिक्री की।

राज्य स्तर, जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर हजारों छोटे निर्माताओं ने अपने स्वयं के ब्रांड के सामान की जबरदस्त बिक्री कर एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और किराना उत्पादों के क्षेत्र में बड़ी विदेशी और भारतीय कंपनियों के एकाधिकार को नष्ट कर दिया क्योंकि उन्होंने उस आपूर्ति की कमी को पूरा किया जो कि चीनी सामन की अनुपस्थिति के कारण हुआ था। दिवाली के दौरान की ये बिक्री इस ओर भी इशारा करती है कि भारत के लोगों ने कोविड से सुरक्षा और भारतीय सामान की बिक्री-खरीद के मामले में कोविड और चीन दोनों को पछाड़ दिया है।

बाजार के एक्सपर्ट्स ने उम्मीद जताई है कि दिवाली पर जिस तेजी से व्यापार हुआ है उसको देखते हुए दिसंबर 2021 के अंत तक देश भर के बाजारों में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की पूँजी का प्रवाह हो सकता है जिससे अर्थव्यवस्था तो पटरी पर आएगी ही बल्कि व्यापारियों की माली हालात में भी सुधार की गुंजाइश दिख रही है। दिवाली व्यापार में खास तौर पर एफएमसीजी सामान, उपभोक्ता सामान, खिलौने, बिजली के उपकरण और सामान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सफेद सामान, रसोई के सामान और सहायक उपकरण, उपहार के सामान, मिष्ठान्न आइटम, मिठाई, होम फर्निशिंग, टेपेस्ट्री, बर्तन, सोना और गहने, जूते, घड़ियाँ जैसे प्रमुख खुदरा कार्यक्षेत्र , फर्नीचर, जुड़नार, वस्त्र, फैशन परिधान, कपड़ा, घर की सजावट के सामान, मिट्टी के दीयों सहित दिवाली पूजा के सामान, देवता, दीवार पर लटकने वाली सजावटी वस्तुएं ,हस्तशिल्प के सामान, वस्त्र, शुभ-लाभ वंदनवार, ओम जैसे सौभाग्य के प्रतीक, त्योहारी सीजन में घर की साज-सज्जा आदि में जबरदस्त व्यापार हुआ।

व्यापारियों और देश के लोगों ने चीन को भारत को हल्के में न लेने की सीख के साथ एक मजबूत और बड़ा झटका दिया है और भारतीय नागरिक चीनी उत्पादों का पूरी तरह से बहिष्कार करने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। व्यापारियों के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय कारीगरों, मूर्तिकारों, हस्तशिल्प श्रमिकों और विशेष रूप से कुम्हारों ने भी अच्छा कारोबार किया। न तो व्यापारियों ने चीनी सामान बेचा और न ही उपभोक्ताओं ने चीनी सामान की मांग की या खरीदा। हम चीन से आयात को कम करने के अपने लक्ष्य दिसंबर 2022 तक भारत में चीनी वस्तुओं के आयात को 1.5 लाख करोड़ को पूरा करेंगे। देश भर के बाजारों, कार्यालयों और घरों की दुकानों को मिट्टी से बने छोटे तेल के दीयों से सजाया गया था, जिसकी चमक ही निराली थी। आने वाले समय में भी व्यापारी एकता समिति संस्थान चीनी समान का बहिष्कार जारी रखेगी ताकि ड्रैगन को जोर का झटका धीरे-धीरे लगता रहे।