यमुना प्राधिकरण के 22 साल : कभी कर्ज में डूबा था प्राधिकरण अब लिख रहा विकास की नई गाथा

– बद से बदतर हालत में पहुंचे यमुना प्राधिकरण का ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में विलय करने की होने लगी थी चर्चा
– आईएएस डॉ. अरुणवीर सिंह ने 5 वर्षों में 642 करोड़ घाटे वाले प्राधिकरण को बनाया 405 करोड़ लाभ कमाने वाली संस्था

उदय भूमि ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा। 22 साल के सफर में यमुना प्राधिकरण ने तमाम नये आयाम स्थापित किए हैं। 2017 से पहले घाटे में चल रहा प्राधिकरण लाभ में तो आया ही, तमाम बड़े उद्योग यहां आ गए। उद्योगों के लिए कलस्टर संस्कृति की शुरूआत की और यहां मेडिकल डिवाइस पार्क, अप्रैल पार्क, ट्वाय पार्क, हैंडीक्राफ्ट पार्क आदि विकसित हो रहे हैं। आज स्थिति यह है कि औद्योगिक निवेश के लिहाज से यमुना प्राधिकरण क्षेत्र प्रदेश में टॉप पर है। एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में जिस तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं और औद्योगिक निवेश हो रहे हैं ऐसे में यमुना सिटी भविष्य में प्रदेश का इंडस्ट्रियल कैप्टिल बनकर उभर सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन इकोनॉमी वाला प्रदेश बनाने की दिशा में जिस तेजी से बढ़ रहे हैं उसमें यमुना प्राधिकरण का बड़ा योगदान है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 अप्रैल 2001 को यमुना प्राधिकरण की स्थापना की। ग्रेटर नोएडा से आगरा तक यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण और उसके दोनों ओर यमुना सिटी विकसित करने की परिकल्पना की गई। इस प्राधिकरण की जद में छह जिले गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा और आगरा आ गए। पहले चरण में गौतम बुद्ध नगर और बुलंदशहर के गांवों की जमीन लेकर यमुना सिटी विकसित की जा रही है। 2017 से पहले यमुना प्राधिकरण घाटे में चल रहा था। चर्चा तो यहां तक होती थी कि इस प्राधिकरण का ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में विलय करना होगा। यमुना प्राधिकरण के पास कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे नहीं थे। यहां तक स्थिति खराब हो गई थी कि प्राधिकरण बिजली के बिल नहीं भर पा रहा था। तमाम उतार-चढ़ाव के बीच 2021-22 में प्राधिकरण 404 करोड़ रुपये के फायदे में आ गया। यह एक बड़ी उपलब्धि रही है।

6 वर्ष पहले जिस आगेर्नाइजेशन ने 642 करोड़ नेट लॉस (शुद्ध हानि) का बैलेंसशीट पेश किया और तालाबंदी की चचार्एं होने लगी, उसी आगेर्नाइजेशन ने कुशल प्रबंधन के जरिये ना सिर्फ घाटे की भरपाई की, बल्कि 2022 में 400 करोड़ से अधिक का लाभ अर्जित किया है। यमुना प्राधिकरण के इस ट्रांसफॉर्मेशन (कायाकल्प) का पूरा श्रेय सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह को जाता है। डॉ. अरुणवीर सिंह ने जब यमुना प्राधिकरण के सीईओ का चार्ज संभाला तब उन्हें विरासत में 3800 करोड़ का कर्ज (लोन) और 642 करोड़ की शुद्ध हानि वाला खस्ताहाल प्राधिकरण मिला। चुनौती को स्वीकारते हुए डॉ. अरुणवीर सिंह ने धीरे-धीरे कमजोर पहलुओं पर काम करते हुए कुशल प्रबंधन के जरिये यमुना प्राधिकरण को सबसे मजबूत प्राधिकरण के रूप में स्थापित किया। आज यमुना प्राधिकरण क्षेत्र उद्यमियों और निवेशकों के लिए निवेश के लिहाज से सबसे पसंदीदा क्षेत्र बन गया। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में सबसे अधिक निवेश का एमओयू साइन करने का रिकार्ड यमुना प्राधिकरण के नाम दर्ज हुआ है।

यमुना प्राधिकरण के कायाकल्प के लिए सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने प्राधिकरण की ब्रांडिंग, मार्केटिंग स्ट्रेजी, मांग के अनुरूप जमीन की खरीद, फाइनेंशियल कंट्रोल, फिजूलखर्ची पर रोक, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर दिया। उनकी कार्यशैली का असर एक वर्ष के दौरान ही दिखाई देने लगा। वर्ष 2017 में प्राधिकरण का घाटा घटकर 165 करोड़ रुपये रह गया। वर्ष 2018 में नेट लॉस घटकर 1 करोड़ 38 लाख हो गया। वर्ष 2019 में यमुना प्राधिकरण ने पहली बार लाभ वाला बैलेंसशीट पेश किया। इस वर्ष प्राधिकरण को 141 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। वर्ष 2020 में शुद्ध लाभ 142 करोड़ ही रहा, लेकिन प्राधिकरण ने कई पुराने कर्ज को चुकता किया। इसका परिणाम रहा कि कर्ज की रकम घटकर 3489 करोड़ हो गया।

डॉ. अरुणवीर सिंह ने इस बात पर पूरा फोकस किया कि किस तरह से यमुना प्राधिकरण को कर्ज के मकड़जाल से मुक्त कराया जाये। 2021 में प्राधिकरण ने 1000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज का भुगतान किया और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और लैैंड एक्यूजेशन (भूमि अधिग्रहण) पर अधिक जोर दिया। वर्ष 2021 में प्राधिकरण को 154 करोड़ रुपये का लाभ मिला और कर्ज की रकम घटकर 2,225 करोड़ रुपये रह गई। यमुना प्राधिकरण की पिछली फाइनैंसियल रिपोर्ट के मुताबिक प्राधिकरण पर अब सिर्फ 1413 करोड़ रुपये का लोन शेष बचा है। जिसे जल्द से जल्द चुकता करके यमुना प्राधिकरण को कर्ज मुक्त प्राधिकरण बनाने की योजना पर काम चल रहा है।

इंटरनेशनल एयरपोर्ट परियोजना बना गेम चेंजर
जेवर के पास नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा यमुना प्राधिकरण के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है। यह न केवल भारत बल्कि एशिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा होगा। इसकी शुरूआत अगले साल की शुरूआत में हो जाएगी। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का असर यहां के प्रॉपर्टी बाजार पर साफ-साफ देख सकते हैं। यमुना प्राधिकरण को इस मेगा इंफ्रास्ट्रक्चरल प्रोजेक्ट का बड़ा फायदा मिल रहा है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 5-6 वर्षों के दौरान यमुना अथॉरिटी घाटे से उबरकर मुनाफा देने वाला सरकारी निकाय बन गया है। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में जिस तेजी के साथ औद्योगिक विकास हो रहे हैं, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क और डाटा सेंटर की बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। ऐसे में भविष्य में यमुना सिटी देश का प्रमुख फाइनैंसियल और इंडस्ट्रियल हब के रूप में स्थापित होगा।

मेडिकल डिवाइस पार्क में आवंटियों को जल्द मिलेगा कब्जा
यमुना प्राधिकरण ने अपने क्षेत्र में कलस्टर संस्कृति विकसित की। प्रदेश में पहली बार किसी प्राधिकरण में उद्योगों के कलस्टर विकसित किए गए। यहां पर अपैरल पार्क, हैंडीक्राफ्ट पार्क, एमएसएमई पार्क, टह्यवाय पार्क, डाटा पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क आदि की परिकल्पना की गई और इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है। अप्रैल, एमएसएमई, उत्तर भारत के पहले मेडिकल डिवाइस पार्क में आवंटियों को जल्द कब्जा देने की तैयारी है।

लॉजिस्टिक पार्क परियोजना पर चल रहा है काम
जेवर एयरपोर्ट का निर्माण शुरू होने से यमुना प्राधिकरण को बूस्टर मिल गया। सिविल एविएशन हब, लॉजिस्टिक एवं वेयरहाउसिंग का बड़ा केंद्र बनने की संभावनाएं प्रबल हो गईं। यमुना प्राधिकरण ने इस पर काम शुरू कर दिया। टप्पल में पहले चरण में 250 हेक्टेयर में लॉजिस्टिक पार्क विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ गए हैं। प्राधिकरण ने अपने चार सेक्टर सिविल एविएशन हब के लिए आरक्षित कर दिए गए।

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
प्राधिकरण अपने क्षेत्र को पर्यटन से भी जोड़ने की तैयारी में है। इसके लिए राया में हेरिटेज विकसित करने की योजना है। इसकी डीपीआर बन गई है। सेक्टर-21 में 1000 एकड़ में फिल्म सिटी विकसित करने की तैयारी है। इसके लिए तीसरी बार जल्द टेंडर निकाले जाएंगे।

एयरपोर्ट, मेट्रो, रेल और रेड नटवर्क से जोड़ने की योजना पर चल रहा काम
यमुना प्राधिकरण कनेक्टिविटी पर बड़ा काम कर रहा है। जेवर से नई दिल्ली तक एयरपोर्ट मेट्रो, एयरपोर्ट और प्रस्तावित फिल्म सिटी के बीच पॉड टैक्सी चलाना, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को जेवर एयरपोर्ट से जोड़ना, यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए इंटरचेंज बनाना और जेवर एयरपोर्ट के चारों ओर 100 मीटर चौड़ी पेरीफेरल रोड बनाने की दिशा में काम चल रहा है। जेवर इलाके को रेलमार्ग से भी जोड़ा जाएगा। इसके लिए दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग के चोला स्टेशन से जेवर तक रेलवे लाइन बिछाई जाएगी।