गाजियाबाद विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष का चार्ज संभालते ही अतुल वत्स ने तैया किया एक्शन प्लान

-लैंड बैंक बनानेे के साथ सैटेलाइट इमेज से अवैध निर्माण पर लगाएंगे रोका: अतुल वत्स

गाजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) सीमा क्षेत्र में अवैध निर्माण रोकने के लिए सेटेलाइट इमेज के जरिए अंकुश लगाने का काम किया जाएगा। इसके साथ ही जीडीए अपना लैंड बैंक भी बनाएगा। मधुबन-बापूधाम आवासीय योजना को पूर्ण रूप से विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। किसानों से वार्ता कर उनकी समस्या का भी निस्तारण करेंगे। शनिवार को यह बातें जीडीए के 40वें नवागत उपाध्यक्ष आईएएस अधिकारी अतुल वत्स ने वार्ता के दौरान कहीं। प्रदेश शासन ने शुक्रवार को आईएएस अधिकारियों के तबादला किए जाने के बाद अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे अतुल वत्स को जीडीए उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। शुक्रवार की रात में करीब साढ़े 11 बजे इन्होंने अपना पदभार ग्रहण कर लिया था। वर्ष-2016 बैच के आईएएस अधिकारी अतुल वत्स अलीगढ़ विकास प्राधिकरण से पहले सुल्तानपुर जनपद में सीडीओ, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट मऊ,सोनभद्र जनपद में भी तैनात रह चुके हैं।

मूलरूप से हरियाणा के जनपद सोनीपत के रहने वाले है। जीडीए के नवागत उपाध्यक्ष अतुल वत्स अब सेटेलाइट इमेज का मदद लेने की तैयारी कर रहे है। उनका कहना है कि सेटेलाइट इमेज के माध्यम से यह पता चल जाएगा कि किस प्रवर्तन टीम के साथ अवैध निर्माण हुआ है। हर तीन महीने में एक बार कंपनी से सेटेलाइट इमेज को खरीदा जाएगा। पुरानी और नई इमेज से मिलान करके अवैध निर्माण का पता लगाया जाना संभव है। उनका कहना है कि सेटेलाइट इमेज की पिक्चर इतनी क्लीयर होती है। इससे अवैध निर्माण को छिपाया जाना संभव नहीं होगा। कंपनी के चयन को लेकर उन्होंने टेंडर करने की बात भी कहीं। उनका कहना है कि अवैध निर्माण के आरोपियों के खिलाफ जब कार्रवाई होती है तो जांच में वह बच जाते है। क्योंकि यह साबित करना मुश्किल हो जाता है कि किस प्रवर्तन अधिकारी के समय वह निर्माण हुआ है। सैटेलाइट इमेज होने से यह साबित करना आसान हो जाएगा। मालूम हो कि इससे पहले तत्कालीन उपाध्यक्ष कंचन वर्मा भी इस दिशा में कुछ काम शुरू किया गया था। लेकिन कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी।

जीडीए उपाध्यक्ष का कहना है कि अभी कोई अधिकारी अपने सीट पर बैठकर यह नहीं जान पाता है कि पब्लिक का कोई काम क्यों रुका हुआ है। जब बाबू से पूछा जाता है तो फाइल लाकर सामने रख देता है। जिससे काम में बिलंब होता है। इसलिए ऐसा प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर तैयार किया जाएगा। जिससे अधिकारी अपने सीट एक क्लिक से यह जान सके कि फाइल क्यों पेंडिंग है। समय से किश्त नहीं जमा है या फिर कोई और कारण है। इससे जिस स्तर पर फाइल रुकी हुई। उसकी ट्रैकिंग किया जाना भी आसान होगा। आवंटियों का काम प्राथमिकता पर तेजी के साथ काम होगा। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि कोई भी मकान बनाने से पहले उसका नक्शा पास कराकर ही निर्माण कराएं।मधुबन बापूधाम आवासीय योजना को प्राथमिकता के आधार पर विकसित कराया जाएगा। इसमें आने वाली अड़चनों को दूर किया जाएगा। युवा आईएएस अधिकारी अतुल वत्स ईमानदार अधिकारी माने जाते हैं।

बता दें कि जीडीए में करीब ढाई साल बाद पूर्ण रूप से उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति की गई है।इसमें अतिरिक्त प्रभार गाजियाबाद में तैनात जिलाधिकारी ही संभाल रहे थे। वर्ष 2016 में तत्कालीन जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा स्टडी लीव पर विदेश गई थी, तब शासन ने तत्कालीन जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी को जीडीए का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था, जिसके बाद वर्ष 2017 में कंचन वर्मा वापस विदेश से वापस लौटी और उन्हें फिर से जीडीए उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कृष्णा करूणेश के बाद जीडीए उपाध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार तत्कालीन जिलाधिकारी रहे राकेश कुमार सिंह को सौंप दिया गया था। शासन द्वारा 30 जनवरी 2024 को गाजियाबाद डीएम राकेश कुमार सिंह का तबादला जिलाधिकारी कानपुर के पद पर किया गया था। राकेश कुमार सिंह के स्थान पर इंद्र विक्रम सिंह को गाजियाबाद का नया जिलाधिकारी नियुक्त किया गया था। तब शासन ने उन्हें जीडीए का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा था। पिछले डेढ़ माह से गाजियाबाद डीएम ही जीडीए उपाध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे थे।

हरियाणा के बहादुरगढ़ जनपद में स्थित कुलासी गांव के मूल निवासी अतुल वत्स का परिवार वर्तमान में सोनीपत जनपद के निवासी है। पिता सतीश कुमार आर्मी से रिटायर्ड है और कारगिल युद्ध में अपनी वीरता का लोहा मनवा चुके हैं। अतुल वत्स की शिक्षा हरियाणा के सैनिक स्कूल से हुई है। 12वीं कक्षा में उन्होंने 92 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। उन्होंने आगे की शिक्षा चंडीगढ़ स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज से की है। अतुल वत्स ने कॉलेज से बीटेक करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की तलाश शुरु कर दी। जिसके बाद उन्हें जिंदल कंपनी में लाखों रुपए के पैकेज पर असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी मिली, लेकिन पिता की इच्छा थी कि वह प्रशासनिक सेवा में अपना करियर बनाएं। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2014 में नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। खास बात यह रही कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी की परीक्षा दी और वर्ष 2015 में सिविल सर्विस परीक्षा में 60वीं रैंक हासिल की थी। जिसके बाद उनका पहला चयन इनकम टैक्स इंस्पेक्टर के रूप में हुआ था।