नगर निगम की कार्यशैली को लेकर पार्षद ने उठाए सवाल

बिना बोर्ड बैठक के नीतिगत फैसले लेने पर जताई आपत्ति

गाजियाबाद। नगर निगम की बोर्ड बैठक रद्दद होने के बाद से पार्षदों का मेयर एवं निगम अधिकारियों पर हमले का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। कांग्रेस पार्षद ने मेयर आशा शर्मा और म्युनिसिपल कमिश्रर महेंन्द्र सिंह तंवर द्वारा लिए जा रहे फैसले की आलोचना करते हुए इसे गलत बताया है। पार्षद का कहना है कि मुद्दा यह नहीं हैं कि फैसला गलत है या सही, बल्कि मुद्दा यह है कि सारे फैसले मनमार्जी से नियम विपरित लिए जा रहे हैं। पार्षद ने डिजीटिल होर्डिंग को लेकर भी सवाल खड़ा किया हैं।

यह भी पढ़ें: जनभागीदारी से नगर निगम बढ़ाएगा स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबरनगर निगम के कांग्रेसी पार्षद मनोज चौधरी ने बोर्ड बैठक के बिना अधिकारियों द्वारा नीतिगत फैसले लेने को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि आठ महीने से नगर निगम बोर्ड बैठक नहीं हुई। पार्षद ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन में पिछले 3 साल में बिना बोर्ड व कार्यकारिणी मीटिंग में बिना स्वीकृति के करोड़ों के काम कोटेशन पर कर दिए गए। पिछले साल नुक्कड़ नाटकों के लिए सवा करोड़ का भुगतान किया गया। करीब 6 करोड़ के कोटेशन के कार्य किए गए। पिछले 8 महीनों से कार्यकाल कार्यकारिणी व बोर्ड मीटिंग नहीं हुई है।

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मेयर आशा शर्मा और म्युनिसिपल कमिश्रर महेंन्द्र सिंह तंवर नीतिगत फैसले एक तरफा ले रहे हैं। जबकि कायदे से निगम बोर्ड बैठक में पास होने के बाद करोड़ों रुपये के नीतिगत फैसले होते है। इसी तरह से सिहानी गांव में में कूड़ा निस्तारण की कंपनी का शिलान्यास नीतिगत फैसला है। शहर मेंं बने शौचालय पर डिजिटल एलसीडी भी लगाना नीतिगत फैसला है। पांचों जोन में कूड़ा निस्तारण कंपनियां लगाई जानी है लेकिन इसकी अनुमति बोर्ड बैठक में नहीं ली गई। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ठेकेदारों के 400 कर्मचारी सफाई के लिए लगे है। लेकिन वह धरातल पर दिखाई नहीं देते हंै।