संकट : नेपाल में थमा नहीं सियासी भूचाल

प्रचंड प्रहार से प्रधानमंत्री ओली चारों खाने चित

नई दिल्ली। नेपाल में सियासी संकट चरम पर पहुंच गया है। शह-मात के खेल में केपी शर्मा ओली पर पुष्प कमल दहल प्रचंड भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। ओली को एक और झटका लगा है। नेपाल की सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (प्रचंड समूह) ने ओली को संसदीय दल के नेता पद से रूखसत कर दिया है। पुष्प कमल दहल प्रचंड को संसदीय दल का नया नेता चुना गया है। ऐसे में कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रचंड की पकड़ और ज्यादा मजबूत हो गई है। केपी ओली ने प्रधानमंत्री पद पर रहते कुछ दिन पहले देश की संसद को भंग करने की सिफारिश नेपाल के राष्टपति से की थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी थी। इसके बाद से नेपाल में सियासी भूचाल आ गया है। नेपाल में अप्रैल-मई में पुन: चुनाव होने की उम्मीद जाहिर की गई है। उधर, पुष्प कमल दहल प्रचंड की कोशिश है कि पिछली संसद को पुन: बहाल कर दिया जाए। संसद को भंग करने के केपी शर्मा ओली के फैसले का विरोध न सिर्फ पार्टी के भीतर बल्कि पूरे देश में हो रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी (प्रचंड समर्थक) ने ओली को मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष पद से भी हटा दिया था। पार्टी ने उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्णय भी लिया था। 66 साल के प्रचंड को कम्युनिस्ट पार्टी के संसदीय दल का नेता बनाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव कुमार ने प्रस्ताव रखा। नेपाल की सत्तारुढ़ पार्टी के भीतर प्रधानमंत्री को प्रचंड की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही थी। पुष्प कमल दहल प्रचंड और उनके समर्थक प्रधानमंत्री ओली पर तानाशाही तरीके से सरकार चलाने का आरोप लगाकर उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे थे। प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ प्रचंड संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी भी कर रहे थे, मगर केपी ओली ने एकाएक राष्ट्रपति से सिफारिश कर संसद भंग करा दी।