नोएडा सेक्टर-62 से साहिबाबाद तक मेट्रो ट्रेन में फंडिंग बनी अड़चन

-डीएमआरसी ने जीडीए से इस रूट की संशोधित डीपीआर तैयार करने के लिए मांगे 10 लाख रुपए

गाजियाबाद। नोएडा के सेक्टर-62 से साहिबाबाद तक मेट्रो ट्रेन विस्तार की अड़चन दूर होना संभव नहीं दिख रहा है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने जीडीए से इस रूट की संशोधित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए जहां 10 लाख रुपए मांगे है, वहीं बकाया 22 लाख रुपए की डिमांड की है। वहीं, जीडीए ने सिर्फ 5.50 लाख रुपएडीएमआरसी को दिए है। ऐसे में डीएमआरसी संशोधित डीपीआर तैयार करने कर पाएगा या नहीं। इस पर कोई सहमति पत्र नहीं भेजा है। जीडीए के चीफ इंजीनियर मानवेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि नोएडा के सेक्टर-62 से साहिबाबाद तक मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की संशोधित डीपीआर तैयार कराने के लिए डीएमआरसी को 5.50 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया है। इसके साथ ही इस संबंध में सहमति पत्र भी भेजा गया है। ताकि वह संशोधित डीपीआर तैयार कर दें, उसके बाद बकाया का भुगतान भी किया जाएगा।

दरअसल, जीडीए की प्लानिंग मेट्रो ट्रेन की रेड और ब्लू लाइन को जोड़ने की है। वर्ष-2020 में वैशाली और नोएडा के सेक्टर-62 से मोहन नगर तक मेट्रो ट्रेन फेज तीन के दो प्रोजेक्ट की योजना बनाई गई थी। इसकी कुल लागत 3325.22 करोड़ रुपए आ रही थी। इसके बाद जीडीए ने दो रूट की जगह एक रूट पर ही आगे बढ़ने का निर्णय लिया। नोएडा के सेक्टर-62 से साहिबाबाद तक मेट्रो ट्रेन रूट को प्राथमिकता दी गई। इस रूट की पूर्व में तैयार डीपीआर में लागत 1517 करोड़ रुपए थी।लेकिन अब इस रूट की संशोधित डीपीआर तैयार कराई जा रही है।

जीडीए ने इसके लिए डीएमआरसी को संशोधित डीपीआर तैयार करने को कहा है। वहीं, डीएमआरसी ने संशोधित डीपीआर तैयार करने के लिए जीडीए से 10 लाख रुपए और पूर्व के मेट्रो टे्रन प्रोजेक्ट का बकाया करीब 23 लाख रुपए देने का पत्र भेज दिया। इस पत्र के आधार पर जीडीए ने डीएमआरसी को 5.50 लाख रुपए का भुगतान करते हुए संशोधित डीपीआर तैयार करने के बाद बाकी रकम देने का सहमति पत्र भेजा है। लेकिन अभी तक डीएमआरसी की ओर से इस पत्र का जवाब नहीं दिया गया है। वह संशोधित डीपीआर तैयार करने में जुटा है या फिर पूरा भुगतान होने के बाद ही संशोधित डीपीआर तैयार की जाएगी।

ऐसे में संशोधित डीपीआर तैयार किए जाने का मामला अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका हैं। मेट्रो ट्रेन के इस रूट के लिए वर्ष-2020 में तैयार की गई डीपीआर में 1517 करोड़ रुपए की लागत आई थी। लेकिन अब तीन साल बाद लागत बढ़ने की संभावना है। इसमें एक अतिरिक्त स्टेशन भी बनाया जा सकता है। ऐसे में जीडीए के सामने मेट्रो ट्रेन के लिए फंडिंग की व्यवस्था करना बड़ी चुनौती दिख रही है। पूर्व में भी जीडीए ने मेट्रो ट्रेन के लिए प्रदेश शासन से 50 फीसदी फंडिंग और अन्य विभागों से शेयर करने की मांग की थी। लेकिन इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई हैं।