जीआईएस मैपिंग से स्मार्ट होगी निगम की वर्किंग कार्यों की प्राथमिकता तय करना होगा आसान: नगर आयुक्त

-स्ट्रीट लाइट, सड़कें-नाले, संपत्तियों को किया डिजिटल, नगर आयुक्त को लखनऊ की टीम ने दिया अंतिम प्रेजेंटेशन

गाजियाबाद। सड़क, पानी, बिजली सहित शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए ज्यादा से ज्यादा सरकारी सहायता पाने शहर की हर प्रॉपर्टी की जीआईएस (ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम) मैपिंग को लेकर कवायद तेज हो गई। ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम से नगर निगम के पास हर प्रॉपर्टी और उससे मिलने वाले संपत्ति कर की जानकारी एकत्र हो जाएगी। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि संपत्ति कर बचाने के लिए बड़े मकान को छोटा बताने या व्यावसायिक उपयोग को आवासीय बताने जैसी गड़बडिय़ां नहीं की जा सकेगी। इसके साथ ही स्ट्रीट लाइट, सड़के, नालों की भी जीआईएस मैपिंग की जा रही है। जिसमें सड़कों की लंबाई, सड़कों की चौड़ाई, सड़कों की स्थिति, डाबर की सड़क, आरसीसी की सड़क या इंटरलॉकिंग की सड़क, सभी को कैटेगरी में अलग-अलग करके दर्शाया गया है। निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत आने वाली सड़कों से लेकर स्ट्रीट लाइट, संपत्ति, नाले, शौचालयों और पार्कों समेत अन्य डाटा जियोग्राफिक इंर्फोमेशन सिस्टम मैपिंग (जीआईएस) डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ दिए गए है। नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने शहर की सफाई व्यवस्था को सुधारने के साथ अब नगर निगम की कार्यशैली को भी स्मार्ट बनाने में जुट गए है।

जीआईएस मैपिंग से नगर निगम की वर्किंग स्मार्ट होगी और कार्यों की प्राथमिकता तय करना भी आसान हो जाएगा। लोगों की समस्याओं के निस्तारण के लिए गाजियाबाद 311 ऐप की शुरुआत की, जिससे शहर के लोग घर बैठे अपनी समस्या बता सकें। गुरुवार को नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक की अध्यक्षता में जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम मैपिंग को लेकर बैठक हुई। बैठक में रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर लखनऊ से आए वैज्ञानिक आलोक सैनी ने नगर आयुक्त, अपर नगर आयुक्त अरुण यादव, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह, जलकल महाप्रबंधक केपी आनंद, उद्यान प्रभारी डॉ. अनुज सिंह, अधिशासी अभियंता फरीद अख्तर जैदी, जलकल विभाग के सहायक अभियंता आस कुमार आदि की मौजूदगी में प्रेजेंटेशन दिया।

वैज्ञानिक आलोक सैनी ने बताया नगर निगम सीमा अंतर्गत आने वाले नाले, सड़क, शौचालय, स्ट्रीट लाइट, संपत्ति को किस प्रकार डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इस कार्य प्रणाली को और अधिक आसान बनाया जा रहा है। नगर निगम के भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) सर्वे का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। जिसमें नगर निगम सीमा अंतर्गत आने वाली सड़कें, स्ट्रीट लाइट, संपत्ति, नालों, शौचालय, पार्कों व अन्य डाटा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़ दिया गया है। इस प्रकार एक ही प्लेटफार्म पर सभी प्रकार की सूचना अधिकारियों व निगम की टीम को सरलता से प्राप्त होगी जिस पर प्राथमिकता के आधार पर तय होने वाले कार्य के लिए निर्णय लिया जा सकेगा, विस्तार पूर्वक प्रेजेंटेशन उपस्थित जनों को दिया गया, संबंधित टीम द्वारा बताया गया कि सड़कों की लंबाई सड़कों की चौड़ाई सड़कों की स्थिति डाबर की सड़क, आरसीसी की सड़क या इंटरलॉकिंग की सड़क, सभी को कैटेगरी में अलग-अलग करके दर्शाया गया है।

जिसके माध्यम से नगर निगम की योजना के अंतर्गत कार्य करने का निर्णय प्राथमिकता निश्चित करते हुए लिया जा सकेगा। जिससे शहर वासियों को भी सहूलियत रहेगी, इसी आधार पर नालों की सफाई स्ट्रीट लाइट की स्थिति निगम की संपत्ति का विवरण शौचालय की स्थिति व अन्य विवरण भी आसानी से एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्राप्त हो सकेंगे। जिसके माध्यम से जनहित में बेहतर कार्य नगर निगम कर सकेगा। नगर आयुक्त ने बताया रिमोट सेंसिंग के द्वारा कराए गए सर्वे के उपरांत जीआईएस मैपिंग के माध्यम से नगर निगम सीमा अंतर्गत 70 लेयर की कैटेगरी में संपत्ति की सूचनाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है। जिसका कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। अंतिम रूप से प्रेजेंटेशन दिया गया, एक माह में कार्यों को सफलतापूर्वक किया जा सकेगा। इस प्रकार की प्रणाली से न केवल विभागीय स्मार्ट वर्किंग होगी। बल्कि शहर वासियों को भी इसका पूरा लाभ मिलेगा। संपूर्ण जानकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्राप्त होने से कार्यों की प्राथमिकता पारदर्शिता के साथ निर्धारित करने में आसानी रहेगी।