यमुना प्राधिकरण की शानदार उपलब्धि सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने 642 करोड़ घाटे वाले प्राधिकरण को बनाया 405 करोड़ लाभ कमाने वाली संस्था

सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह बने मैनेजमेंट गुरु यमुना प्राधिकरण ने कमाई में बनाया रिकार्ड जल्द कर्जमुक्त होगा प्राधिकरण

विजय मिश्रा (उदय भूमि ब्यूरो)
ग्रेटर नोएडा। यमुना प्राधिकरण के नाम एक और उपलब्धि दर्ज हुई है। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण प्रदेश में सबसे तेजी से विकास करने वाला प्राधिकरण बन गया है। यमुना प्राधिकरण ने वित्तीय वर्ष 2022-23 (क्वार्टर-3) के लिए दिसंबर 2022 को समाप्त तीसरी तिमाही की कमाई की रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक प्राधिकरण ने चालू वित्तीय वर्ष में 405 करोड़ नेट प्रॉफिट (शुद्ध लाभ) अर्जित की। इस अवधि में प्राधिकरण की कुल आमदनी 3705 करोड़ और ग्रॉस प्रॉफिट (सकल लाभ) 1637 करोड़ रुपया रहा। यमुना प्राधिकरण की इस उपलब्धि की चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है। प्राधिकरण की यह उपलब्धि मैनेजमेंट के छात्रों के लिए रिसर्च का विषय हो सकता है। जिस आर्गेनाइजेशन में कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे नहीं थे, नौबत यहां तक आ पहुंची थी कि खर्चे कम करने के लिए एसी, पंखे तक को बंद किया जाने लगा था। 6 वर्ष पहले जिस आर्गेनाइजेशन ने 642 करोड़ नेट लॉस (शुद्ध हानि) का बैलेंसशीट पेश किया और तालाबंदी की चर्चाएं होने लगी, उसी आर्गेनाइजेशन ने कुशल प्रबंधन के जरिये ना सिर्फ घाटे की भरपाई की, बल्कि आज 400 करोड़ से अधिक का लाभ अर्जित किया है।
यमुना प्राधिकरण के इस ट्रांसफार्मेशन (कायाकल्प) का पूरा श्रेय सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह को जाता है। डॉ. अरुणवीर सिंह ने जब यमुना प्राधिकरण के सीईओ का चार्ज संभाला तब उन्हें विरासत में 3800 करोड़ का कर्ज (लोन) और 642 करोड़ की शुद्ध हानि वाला खस्ताहाल प्राधिकरण मिला। चुनौती को स्वीकारते हुए डॉ. अरुणवीर सिंह ने धीरे-धीरे कमजोर पहलुओं पर काम करते हुए कुशल प्रबंधन के जरिये यमुना प्राधिकरण को सबसे मजबूत प्राधिकरण के रूप में स्थापित किया। आज यमुना प्राधिकरण क्षेत्र उद्यमियों और निवेशकों के लिए निवेश के लिहाज से सबसे पसंदीदा क्षेत्र बन गया। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में सबसे अधिक निवेश का एमओयू साइन करने का रिकार्ड यमुना प्राधिकरण के नाम दर्ज हुआ है।
यमुना प्राधिकरण के कायाकल्प के लिए सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने किसी रॉकेट साइंस का फार्मूला नहीं लगाया बल्कि उन्होंने प्राधिकरण की ब्रांडिंग, मार्केटिंग स्ट्रेजी, मांग के अनुरूप जमीन की खरीद, फाइनेंशियल कंट्रोल, फिजूलखर्ची पर रोक, इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर दिया। उनकी कार्यशैली का असर एक वर्ष के दौरान ही दिखाई देने लगा। वर्ष 2017 में प्राधिकरण का घाटा घटकर 165 करोड़ रुपये रह गया। वर्ष 2018 में नेट लॉस घटकर 1 करोड़ 38 लाख हो गया। वर्ष 2019 में यमुना प्राधिकरण ने पहली बार लाभ वाला बैलेंसशीट पेश किया। इस वर्ष प्राधिकरण को 141 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। वर्ष 2020 में शुद्ध लाभ 142 करोड़ ही रहा, लेकिन प्राधिकरण ने कई पुराने कर्ज को चुकता किया। इसका परिणाम रहा कि कर्ज की रकम घटकर 3489 करोड़ हो गया।

डॉ. अरुणवीर सिंह ने इस बात पर पूरा फोकस किया कि किस तरह से यमुना प्राधिकरण को कर्ज के मकड़जाल से मुक्त कराया जाये। 2021 में प्राधिकरण ने 1000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज का भुगतान किया और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और लैैंड एक्यूजेशन (भूमि अधिग्रहण) पर अधिक जोर दिया। वर्ष 2021 में प्राधिकरण को 154 करोड़ रुपये का लाभ मिला और कर्ज की रकम घटकर 2,225 करोड़ रुपये रह गई। चालू वित्तीय वर्ष में क्वार्टर-3 की रिपोर्ट के मुताबिक प्राधिकरण पर अब सिर्फ 1413 करोड़ रुपये का लोन शेष बचा है। जिसे जल्द से जल्द चुकता करके यमुना प्राधिकरण को कर्ज मुक्त प्राधिकरण बनाने की योजना पर काम चल रहा है।

इंटरनेशनल एयरपोर्ट परियोजना बना गेम चेंजर
जेवर के पास नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा यमुना प्राधिकरण के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है। यह न केवल भारत बल्कि एशिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा होगा। इसकी शुरूआत अगले साल की शुरूआत में हो जाएगी। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का असर यहां के प्रॉपर्टी बाजार पर साफ-साफ देख सकते हैं। यमुना प्राधिकरण को इस मेगा इंफ्रास्ट्रक्चरल प्रोजेक्ट का बड़ा फायदा मिल रहा है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 5-6 वर्षों के दौरान यमुना अथॉरिटी घाटे से उबरकर मुनाफा देने वाला सरकारी निकाय बन गया है। यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में जिस तेजी के साथ औद्योगिक विकास हो रहे हैं, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क और डाटा सेंटर की बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। ऐसे में भविष्य में यमुना सिटी देश का प्रमुख फाइनैंसियल और इंडस्ट्रियल हब के रूप में स्थापित होगा।

एयरपोर्ट पर 805 करोड़ और कनेक्टिविटी पर 500 करोड़ होंगे खर्च 

1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक प्राधिकरण 5,569.6 करोड रुपए खर्च करेगा। इनमें पूंजीगत व्यय के तहत 5.39 करोड़ रुपए का प्रावधान है। अथॉरिटी पूरे वित्त वर्ष के दौरान 801.50 करोड़ रुपए ऋण और अग्रिम के रूप में लौटाएगी। निर्माण और विकास कार्यों पर 1,395.59 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 195.38 करोड़ रुपए के अन्य व्यय शामिल किए गए हैं। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर 805 करोड़ रुपए प्राधिकरण खर्च करेगा। दिल्ली-एनसीआर से इंटरनेशनल एयरपोर्ट को कनेक्टिविटी देने के लिए मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट पर 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।