महाशिवरात्रि की तैयारी को लेकर महापौर ने श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर का किया दौरा

-10-15 कर्मचारी हर 15 मिनट्स में लगाएंगे झाड़ू ताकि श्रद्धालुओं को कंकर न चुभे: सुनीता दयाल
-मंदिर में अर्पित फूल मालाओं से साईं उपवन में बने खाद का दिया सुझाव

गाजियाबाद। आगामी 8 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व के मद्देनजर नगर निगम शहर के प्राचीन सिद्धपीठ दूधेश्वर नाथ मंदिर में सफाई व्यवस्था बेहतर रखने के साथ मंदिर परिसर के विद्यापीठ में फूलदार, छायादार और फलदार पौधे भी लगाए जाएंगे। बुधवार को महापौर सुनीता दयाल ने नगर निगम के चीफ इंजीनियर एनके चौधरी,महाप्रबंधक जल केपी आनंद, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश कुमार सिंह, उद्यान प्रभारी डॉ. अनुज कुमार सिंह, सिटी जोनल प्रभारी अनिल अरुण, अवर अभियंता जल अजय कुमार सिंह,अवर अभियंता नागेंद्र शर्मा,सफाई निरीक्षक संजीव कुमार,प्रकाश इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार एवं पूर्व पार्षद जाकिर अली सैफी के साथ सिद्वपीठ दूधेश्वर नाथ मंदिर का जायजा लेने के लिए पहुंचीं। महापौर ने मंदिर के श्रीमहंत नारायण गिरि के साथ व्यवस्थाओं को लेकर बैठक की। महापौर ने अधिकारियों के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर जलाभिषेक भी किया।

उन्होंने कहा कि 10 से 15 सफाई कर्मचारी प्रत्येक मिनट में झाडू लगाएंगे। ताकि श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो। इसके साथ ही मंदिर में अर्पित फूल-मालाओं से साईं उपावन में खाद बनाई जाए। आगामी 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व है। नगर निगम प्रत्येक साल पर्व को लेकर विशेष तैयारियां की जाती हैं। इसको लेकर महापौर ने अधिकारियों के साथ मंदिर में पहले जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की। उसके बाद मंदिर के श्रीमहंत से वार्ता की गई।मंदिर के आसपास बैरिकेड, पानी के टैंकर, गंगाजल की व्यवस्था, सीवर टैंक खाली कराए जाएंगे, साफ -सफाई की बेहतर व्यवस्था, चूने का छिड़काव, सफाई दस्ते में 15 कर्मचारी लगाए जाएंगे। इसके साथ ही आसपाास के गड्ढे भरने और अतिक्रमण हटाने, मोबाइल टॉयलेट, मंदिर परिसर व आसपास लाइट की व्यवस्था करने के अलावा पुल के नीचे वाहनों की पार्किंग आदि की व्यवस्था कराई जाएगी।

महापौर ने यह सभी तैयारियों को जल्द पूरी करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। महापौर ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि 10 से 15 कर्मचारी झाडू लगाने के लिए लगाए जाए।मंदिर में रोजाना अर्पित होने वाले फूल और मालाओं को एकत्रित कर सार्इं उपवन भेजा जाए और उनकी खाद बनाई जाए। मंदिर परिसर के विद्यापीठ में फूलदार,फलदार,छायादार आदि पौधे भी लगाए जाएं। जिससे कि आसपास का वातावरण भी अनुकूल रहे। बताया कि पूर्व में गांव बिसरख से मंदिर तक गुफा होती थी। जिससे रावण का परिवार पूजा करने सिद्धपीठ दूधेश्वर नाथ मंदिर आते थे। गौमाता यहां पर शिवलिंग पर दूध अर्पित करती थी। प्राचीन मंदिर होने के साथ शहर की धरोहर है। इसके लिए भविष्य की योजना बनाई जाएगी।