राज्य मंत्री ने की भगवान दूधेश्वरनाथ की पूजा-अर्चना

-कांवड़ मेले की तैयारी का लिया जायजा

गाजियाबाद। राज्य मंत्री नरेंद्र कश्यप ने गुरुवार को भगवान दूधेश्वरनाथ की पूजा-अर्चना की मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि से की मुलाकात कर कांवड़ मेले को लेकर चल रही तैयारियों का जायजा लिया।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि कांवडिय़ों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं होनी चाहिए। कांवडिय़ों को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्घ कराई जाएं और उन्हें कोई भी परेशानी ना हो। मंदिर के मीडिया प्रभारी एसआर सुथार ने बताया कि प्रदेश के राज्यमंत्री नरेंद्र कुमार कश्यप ने मंदिर में पूजा-अर्चना कर भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक किया। इसके बाद मंदिर का निरीक्षण कर उन्होंने मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि से मुलाकात की। श्रीमहंत नारायण गिरि ने उन्हें बताया कि नगर निगम के नलकूप फेल हो जाने से सावन मास, सावन सोमवार व सावन शिवरात्रि पर मंदिर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को पानी की किल्लत का सामना करना पडेगा। कई स्थानों पर सडकों के टूटा होने व मंदिर के आसपास गंदगी होने से भी कांवडिय़ों को परेशानी होगी।

इस पर राज्यमंत्री नरेंद्र कश्यप ने जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर व नगर आयुक्त को फोन कर मंदिर में पानी की व्यवस्था, साफ-सफाई की व्यवस्था, सडकों को ठीक करने व सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आदेश है कि कांवडिय़ों को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो। अत: कांवड़ मेले से पहले सभी व्यवस्थाएं पूरी की जाएं। मंदिर में कांवड़ मेला 14 जुलाई से 16 अअगस्त तक चलेगा। 12 जुलाई को वे अधिकारियों के साथ मंदिर का पुन: निरीक्षण करेंगे और यह देखेंगे कि व्यवस्थाओं में किसी प्रकार की कोई कमी तो नहीं रह गई है। इसके उपरांत मंत्री जी ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क इंडस्ट्रियल एरिया पहुंचकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जन्म जयंती के अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित की।

राज्य मंत्री ने कहा डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से अलख जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धान्तवादी थे। उन्होने बहुत से गैर कांग्रेसी हिन्दुओं की मदद से कृषक प्रजा पार्टी से मिलकर प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण किया। इस सरकार में वे वित्तमन्त्री बने। इसी समय वे वीर सावरकर के राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित हुए और हिन्दू महासभा में सम्मिलित हुए। मुस्लिम लीग की राजनीति से बंगाल का वातावरण दूषित हो रहा था। वहाँ साम्प्रदायिक विभाजन की नौबत आ रही थी। साम्प्रदायिक लोगों को ब्रिटिश सरकार प्रोत्साहित कर रही थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया कि बंगाल के हिन्दुओं की उपेक्षा न हो। अपनी विशिष्ट रणनीति से उन्होंने बंगाल के विभाजन के मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। 1942 में ब्रिटिश सरकार ने विभिन्न राजनैतिक दलों के छोटे-बड़े सभी नेताओं को जेलों में डाल दिया।