पहली बोर्ड बैठक में नगर आयुक्त कम बोल अधिक सुना लेकिन गैर वाजिब मांगों को मानने से किया इंकार, पार्षदों को दिखाया आईना।
उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। नगर आयुक्त के रूप में पहली बोर्ड बैठक में डॉ. नितिन गौड़ ने अपनी कार्यशैली और विकास कार्यों की प्राथमिकता की मंशा से सभी को अवगत करा दिया। बोर्ड बैठक में अधिकांश समय हंगामा होता रहा। बेवजह की बातों पर कई पार्षद हंगामा करते रहे। बैठक में विकास कार्यों पर चर्चा से अधिक समय हंगामा और एक दूसरे पर आरोप लगाने में बीता। लेकिन नगर आयुक्त ने संयम के साथ पहले सबकी बातों को सुना फिर अपनी बातों को तर्कपूर्ण ढ़ंग से रखा। नगर आयुक्त ने नगर निगम हित और शहर के विकास से संबंधित सभी प्रस्तावों पर हामी भरी लेकिन किसी की मनमानी की छूट नहीं दी। बोर्ड बैठक की सबसे अच्छी बात यह रही कि नगर आयुक्त ने किसी भी पार्षद को अपनी बात कहने से कभी नहीं रोका। लेकिन सिर्फ उन्हीं बातों को माना जो वाजिब और लॉजिकल था। उन्होंने कई मर्तबा पार्षदों को आईना दिखाया। डॉ. नितिन गौड़ ने बैठक के दौरान स्पष्ट संदेश दिया कि विकास कार्यों में आने वाली हर अड़चन को दूर कराया जाएगा लेकिन दवाब बनाकर मनमाने ढ़ंग से प्रस्ताव तैयार कराने की परंपरा पर पूर्णविराम लगेगा। नगर निगम की आर्थिक स्थिति से सभी वाकिफ हैं ऐसे में नगर निगम को संकट से कैसे उबारा जाये यह प्राथमिकता रहेगी। कोई विकास कार्य नहीं रूकेगा लेकिन किसी भी तरह की फिजूलखर्ची नहीं होने दी जाएगी।
आईएएस डॉ. नितिन गौड़ ने पिछले महीने 20 सितंबर 2022 को गाजियाबाद के नगर आयुक्त का चार्ज संभाला। नगर आयुक्त के रूप में यह उनकी पहली बोर्ड बैठक थी। अमूमन बोर्ड बैठक में पार्षदों की रणनीति नगर आयुक्त पर दवाब बनाने और अधिकारियों के माध्यम से उन्हें घेरने की रहती है। शनिवार को भी बोर्ड बैठक में पार्षदों का यही रूख देखने को मिला। लेकिन उनकी रणनीति सफल नहीं रही। नगर आयुक्त की तर्कों से पार्षद भी संतुष्ट हुए और ज्यादातर पार्षदों ने नगर आयुक्त का समर्थन किया। नगर निगम की बोर्ड बैठक के शुूरू होते ही पार्षदों ने वार्डों में विकास कार्य पर रोक लगाने को लेकर हंगामा किया। कांग्रेसी पार्षद मनोज चौधरी ने कहा कि आजादी के बाद पहला ऐसा मौका है, जब नगर निगम में नये नगर आयुक्त के आते ही विकास कार्यों पर रोक लगा दी गई है। मनोज चौधरी के समर्थन में कई पार्षद आ गये और हंगामा करने लगे। भाजपा के वरिष्ठ पार्षद राजेंद्र त्यागी और अनिल स्वामी ने नगर आयुक्त पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ ने पहले सभी पार्षदों की बातों को पूरी तसल्ली से सुना फिर जवाब दिया। डॉ. नितिन गौड़ ने कहा कि किसी भी वार्ड में विकास कार्यों पर रोक नहीं लगाई गई है। पुराने कार्य जो भी पेंडिंग हैं वह पहले कराए जाएंगे। लेकिन हां आप सभी को इतना स्पष्ट कर दूं कि फिजूलखर्ची पर पूरी रोक रहेगी। नगर आयुक्त ने कहा कि विकास कार्य और फिजूलखर्ची के अंतर को सभी को समझना होगा। नगर निगम पर लगभग 350 करोड़ रुपये की देनदारी है और निगम को इन देनदारियों का भुगतान भी करना है। पार्षद सुनील यादव, संजय सिंह, एसके माहेश्वरी सहित कई पार्षदों ने नगर आयुक्त की बातों का समर्थन किया। सूर्य नगर से बीजेपी के पार्षद एसके माहेश्वरी ने पार्षदों पर ही गंभीर आरोप लगाये। एसके माहेश्वरी ने कहा कि जन सेवा का उददेश्य किसी भी पार्षद का नहीं है। उन्होंने अपनी पार्टी के लोगों पर ही ठेकेदार बनने का आरोप लगाया।
बसपा पार्षद आनंद चौधरी ने कहा कि विगत साढ़े 4 साल के कार्यकाल के दौरान वरिष्ठ पार्षदों को भ्रष्टाचार नहीं दिखाई दिया और आज अचानक भ्रष्टाचार उनकी आत्मा जागृत हो गई है। इस बात पर पार्षदों के बीच आपस में काफी तीखी नोकझोंक हुई। बोर्ड बैठक के दौरान पार्षदों ने सभी वार्डों में कम से कम 100 स्ट्रीट लाइटें लगाने की बात रखी। किसी ने 100 तो किसी ने 150 तो किसी ने 200 लाइटें मांगी। पार्षद चाह रहे थे कि यह प्रस्ताव पास हो जाये। मेयर आशा शर्मा ने कहा कि सभी वार्ड को 100-100 स्ट्रीट लाइट दिये जाये। लेकिन नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ ने कहा कि सभी को 100-100 लाइट देने के बजाय हमें यह सुनिश्चित करना चाहिये कि सभी कॉलोनियों में शत् प्रतिशत् स्ट्रीट लाइट जले। हो सकता है कि कहीं कम स्ट्रीट लाइट की जरूरत हो और कहीं अधिक। इसके अलावा हमें नगर निगम में फंड की उपलब्धता का भी ध्यान रखना होगा। बोर्ड बैठक के दौरान कई ऐसी बातें आई जिसे मानने से नगर आयुक्त ने इंकार किया। डॉ. नितिन गौड़ ने कहा कि हमें सदन, शासन के दिशानिर्देश के अनुरूप नगर निगम के हितों का भी पूरा ध्यान रखना होगा। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया कि नीति ना तो नगर निगम के लिए ठीक है और ना ही शहरवासियों के लिए ठीक रहेंगा। उन्होंने कहा कि नगर निगम की आमदनी बढ़ाने को लेकर भी हमें फोकस करना होगा। नगर आयुक्त ने पार्षदों से कहा कि वह कभी भी उनसे मिल सकते हैं और नगर निगम व शहरहित में सुझाव रख सकते हैं। पार्षद और अधिकारी गाड़ी के दो पहिये हैं। नगर निगम में पार्षदों का मान सम्मान सर्वोपरि है।