आईबीसी के तहत और 3 माह कार्रवाई पर रोक

कर्जदार कंपनियों को सरकार की ओर से राहत

नई दिल्ली। सरकार इन्सॉल्वेंसी बैंकरप्सी कानून के अंतर्गत किसी भी प्रकार की नई कार्रवाई को और 3 माह हेतु सस्पेंड रखने की योजना बना रही है। सरकार के इस कदम से उन कर्जदार कंपनियों को राहत मिल सकेगी, जिनका काम-काज कोविड-19 (कोरोना वायरस) के कारण प्रभावित हो गया है। यह जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बेंगलुरु चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स (बीसीआईसी) को संबोधित कर कहा कि सरकार ने कंपनियों और नागरिकों की सहायता हेतु कई कदम उठाए हैं। इसके अंतर्गत टैक्स जमा करने की समय सीमा को भी बढ़ाया गया है। बता दें कि वित्त मंत्री सीतारमण के पास कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय का भी जिम्मा है। कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने कहा कि अनुपालन के साथ-साथ टैक्स के भुगतान की मियाद आगे बढ़ाकर भी राहत दी गई है। इन सबका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी को भी किसी प्रकार की परेशानी न हो सके। वित्त मंत्री ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सरकार ने आईबीसी के तहत कार्रवाई आरंभ करने के मामले में फंसे कर्ज की न्यूनतम सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी थी। इससे मुख्य रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों को कर्ज लौटाने में चूक को लेकर दिवाला कानून के अंतर्गत किसी भी प्रकार की कार्रवाई से राहत मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत नया मामला लाने की कार्रवाई को सस्पेंड रखने की मियाद को भी 25 दिसंबर से और 3 माह हेतु निलंबित किया जा सकता है। इस तरह पूरे साल आईबीसी निलंबित रहेगा। प्रत्येक उद्योग कोरोना महामारी के कारण संकट से गुजरा है। ऐसे में महामारी के दरम्यान किसी को भी आईबीसी प्रक्रिया की ओर खींचना ठीक नहीं होता। आईबीसी से जुड़ी नई कार्रवाई को निलंबित रखने को लेकर सरकार द्वारा जून में अध्यादेश लाया गया था। यह 25 मार्च 2020 से प्रभाव में आया। देशभर में उसी दिन लॉक डाउन लगाया गया था। संसद ने इस साल सितंबर में आईबीसी में संशोधन से जुड़े विधेयक को अनुमति दे दी, जिसने अध्यादेश का स्थान लिया।