भाजपा प्रत्याशी के 2 रूप, जरूरत के वक्त जनता से दूरी बनाई, चुनाव आए तो घर-घर दस्तक

अतुल गर्ग की चुनावी नाव भंवर में, परेशानी का सबब बन रहे कई मुद्दे

गाजियाबाद। गाजियाबाद सदर विधान सभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग की चुनावी नाव भंवर में फंसी दिखाई दे रही है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में उन्होंने जनता से दूरी बनाए रखी थी। होम क्वारंटाइन के नाम पर वह कई दिनों तक घर से बाहर नहीं निकले थे। जानलेवा बीमारी की मार और सरकार कुव्यवस्था के कारण जनता को कई दिनों तक संकट का सामना करना पड़ा था। जरूरत के समय जनता के बीच न रहने का खामियाजा अतुल गर्ग को अब नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा उनके कुछ करीबियों पर गरीब एवं जरूरतमंदों की संपत्ति हड़पने और विरोध करने पर डराने-धमकाने के आरोप भी लगे थे। इसके अतिरिक्त लाइनपार क्षेत्र को आज तक आवागमन के लिए बेहतर सुविधा नहीं मिल पाई है। विजय नगर-धोबी घाट आरओबी का काम अब तक लटका पड़ा है। गाजियाबाद सीट से भाजपा ने अतुल गर्ग को चुनाव मैदान में दोबारा उतारा है। वह मौजूदा विधायक होने के साथ-साथ योगी सरकार में राज्य मंत्री हैं। 2017 के विधान सभा चुनाव में गाजियाबाद जनपद की पांचों सीट पर भाजपा ने परचम लहराया था।

योगी सरकार आने के बाद पांचों विधायकों में सबसे ज्यादा ओहदा शहर विधायक अतुल गर्ग का बढ़ा। योगी सरकार में उन्हें पहले खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली थी। बाद में वह स्वास्थ्य राज्य मंत्री बनाए गए। कोरोना संक्रमण काल में अतुल गर्ग पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री का दायित्व था। इसके बावजूद वह गाजियाबाद की जनता के हित में बेहतर परफॉरमेंस का प्रदर्शन नहीं कर पाए। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गाजियाबाद शहर में कई दिनों तक कोहराम मचा रहा था। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और निजी अस्पतालों की मनमानी खुलकर सामने आई थी। कई मरीजों ने समय से उपचार न मिलने पर दम तोड़ दिया था। जबकि निजी अस्पताल उपचार के नाम पर मनमानी वसूली करते रहे। ऐसे समय में जब मंत्री जी की जरूरत जनता को सबसे ज्यादा थी, तब वह होम क्वारंटाइन के नाम पर कई दिनों तक अपने घर में दुबके रहे थे। इसके चलते उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था।

कोरोना की दूसरी लहर में जरूरी दवाओं की कालाबाजारी भी खुलकर हुई थी। इसके अलावा राज्य मंत्री अतुल गर्ग के कुछ करीबियों पर गरीबों की प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जा करने जैसे गंभीर आरोप लगे। पीड़ितों ने आवाज उठाई तो उन्हें आरोपियों ने खुली धमकी तक दी। पुलिस से शिकायत करने पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। यह मुद्दा भी चुनाव में अतुल गर्ग के खिलाफ खासा चर्चाओं में है। इसी क्रम में पिछले 5 साल के भीतर अतुल गर्ग की संपत्ति में भी काफी उछाल आया है। पांच साल में उनकी संपत्ति पांच करोड़ रुपए बढ़ गई। जबकि कोरोना काल में अच्छे-अच्छे धनाड्यों की हालत खराब रही। विपक्ष भी शहर सीट पर भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ इन मुद्दों को जोर-शोर से उठा रहा है।