कृषि कानूनों के विरोध में जारी आंदोलन विपक्ष की पीडा

किसानों की गलतफहमी जल्द होगी दूर

मोदी सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है किसान हित

गाजियाबाद। कृषि कानूनों के विरोध में जो आंदोलन हो रहा है, वह आंदोलन नहीं बल्कि विपक्ष की पीड़ा है। जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से भ्रष्टाचार पर नकेल कसा जा रहा है। विपक्ष के नेता जो भ्रष्टाचार में लिप्त थे, उन्हें जेल जाने का डर सता रहा है। ऐसे लोग अब किसान के कंधे पर रखकर बंदूक चलाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बातें वरिष्ठ भाजपा नेता सौरभ जायसवाल ने कही। उन्होने कहा कि मेरठ के किसान सम्मेलन में हजारों किसान शामिल हुए है। यह कानून किसानों की आजादी तय करेगा। पूरे देश में किसान कहीं भी अपनी फसल बेच सकेगा। किसान हित मोदी सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है। किसानों के साथ नाइंसाफी नहीं होने दी जाएगी।

सरकार ने छह माह तक डेढ़ लाख किसानों के साथ आनलाइन चर्चा करके ही कृषि कानून को बनाया गया है। गांधी परिवार, जिसने कांग्रेस को डुबोया है वहीं अब किसानों के कंधे से हल उतारकर राजनीतिक बंदूक चला रहा है। शुक्रवार को मेरठ बाईपास स्थित संस्कृति रिसोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने किसानों की शंकाओं को दूर कर दिया है। उन्होने कहा आज विपक्ष पूरी तरह से निम्न स्तरीय राजनीति पर आ गया है जिसके चलते वे ऐतिहासिक किसान कानून को किसानों के लिए हानिकारक बता रहा है विपक्ष के छल कपट की राजनीति के दिन समाप्त हो गये है। क्योंकि किसान सम्मेलन के जरिए किसानों को कृषि कानून के बारे में लाभ बताया गया। जिससे किसानों को भी मालूम हो गया है कि उनके लिए कितना जरूरी है कृषि कानून। निश्चित रूप से मोदी सरकार किसानों के हित के लिए कृषि कानून लाई है। लेकिन कुछ लोगों ने गलतफहमी पैदा कर सारा बखेड़ा खड़ा कर दिया उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी किसानों के नाम खुला पत्र लिखा है। जबकि भाजपा हर स्तर पर किसानों के साथ बात करते हुए गलतफहमी को दूर करने का काम कर रही है। वहीं किसान मोर्चा महानगर मीडिया प्रभारी गौरव शर्मा ने कहा कि विपक्ष के पास ना कोई ऐजडा है ना कोई मुद्दा जिसके चलते वे मोदी सरकार के विरोध में किसी भी स्तर तक जा सकता है। लेकिन देश की जनता छल और कपट करने वालों को अच्छी तरह समझ चुकी है और अब बहुत जल्दी सारी स्थिति सामान्य हो जाएगी। ये कानून किसानों के जीवन में खुशहाली लाएंगे।

जो किसान दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हैं वे विपक्ष व बिचौलियों के द्वारा भड़काए हुए किसान हैं। इनमें से कई बिचौलिये हैं, आढ़ती हैं। नए कानूनों में कृषि मंडियों को चालू रखने की बात और न्यूनतम समर्थन मूल्य बरकरार रहने की बात केंद्र सरकार लिखित रूप में शामिल करने की बात कह चुकी है। इसके बाद तो कोई मुददा ही नहीं रह जाता है। लेकिन बॉर्डर पर जो लोग हैं, वे ये बातें मानने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि मेरठ मंडल के मेरठ, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद और सहारनपुर मंडल के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली जिले के किसान शामिल हुए।