स्वच्छता शरीर को ही स्वस्थ नहीं रखती, सोच को भी बेहतर बनाती है: ऋतु सुहास

स्वच्छता परमो धर्म: स्वच्छता अभियान के प्रति लोनी में संचालकों को किया जागरुक

गाजियाबाद। स्वच्छता परमो धर्म। स्वच्छता परम धर्म है। किसी समूह, जाति, समाज, धर्म और राष्ट्र की उन्नति के लिए स्वच्छता सबसे अहम तत्व है। यह मौलिक कला है। वैसे भी मनुष्य में स्वाभाविक सौन्दर्य-वृत्ति होती है, जो सफाई की प्रवृत्ति को जन्म देती है। धीरे-धीरे यह आदत और फिर संस्कार बन जाती है। स्व्च्छता परमो धर्म का किसे ने संकल्प लिया, तो कही लोगों ने साफ-सफाई किया। शनिवार को नगर पालिका लोनी में एडीएम प्रशासन एवं अधिशासी अधिकारी ऋतु सुहास के निर्देशन में अधिकारियों द्वारा स्वच्छता अभियान के प्रति संचालकों को जागरुक किया गया। स्वच्छ मैस्कॉट, नीले व हरे कूड़ेदान स्थापित करवाए गए और साफ-सफाई का महत्व तथा फायदों से भी अवगत कराया गया।

एडीएम प्रशासन एवं अधिशासी अधिकारी ऋतु सुहास ने कहा कि यह सोचना होगा कि सफाई की जिम्मेदारी सिर्फ कुछ कर्मचारियों की नहीं है। हम जहां भी रहते हैं, काम कर रहे हैं, वहा सफाई की जिम्मेदारी खुद अपने हाथों में लेनी होगी। सार्वजनिक स्थलों को स्वच्छ रखना होगा। क्योंकि जब आप खुद सफाई करेंगे तो यह अहसास होगा कि गंदगी फैलाना कितना आसान है, लेकिन उसे साफ करना बहुत मुश्किल।

उन्होंने कहा स्वच्छ वातावरण ही मानव जीवन को सुविधाजनक और सम्मान से जीने लायक बनाता है। स्वच्छता शरीर को ही स्वस्थ नहीं रखती, सोच को भी बेहतर बनाती है। यदि हमारे आसपास साफ-सुथरा माहौल हो तो वहां सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा मिलता है और ऐसी ऊर्जा कार्य संस्कृति को बेहतर बनाती है। स्वच्छता की शुरुआत खुद से करें तभी सोच बदलेगी। लोनी नगर पालिका का भी उद्देश्य यही है कि लोगों को स्वचछता के प्रति जागरुक करना। इसी उद्देश्य के साथ आज लोनी में संचलित प्रतिष्ठानों में जागरुकता अभियान चलाया गया और स्वच्छ मैस्कॉट, नीले व हरे कूड़ेदान को स्थापित किया गया। घर व दुकानों से निकलने वाले कचरे के इधर-उधर न फेंके। गीले कूड़े को हरे कूड़ेदान में व सूखे कूड़े को नीले कूड़ेदान में ही डालें।