-ना राजनीतिक अनुभव, न मतदाताओं के बीच पकड़, कैसे पार होगी नाव ?
गाजियाबाद। गाजियाबाद विधान सभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी जोरों पर है। जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रत्याशी खूब भाग-दौड़ कर रहे हैं। चुनावी जंग में कांग्रेस और सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार बेशक जोर-आजमाइश दिखा रहे हैं, मगर उनके लिए जीत की राह आसान नहीं है। सबसे बड़ा कारण इन दोनों प्रत्याशियों का राजनीतिक वजूद न होना है। राजनीति में दोनों प्रत्याशी नए चेहरे हैं। इसके अलावा उनका न जनता पर कोई प्रभाव है और ना व्यक्तिगत वोट बैंक। अलबत्ता गाजियाबाद सीट पर कांग्रेस और सपा-रालोद गठबंधन कोई करिश्मा कर पाएगा, इसकी संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। गाजियाबाद सीट पर 10 फरवरी को मतदान होना है। इसके पहले सभी प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने को खूब कसरत करने में लगे हैं।
गाजियाबाद सीट पर मुख्य रूप से भाजपा ने अतुल गर्ग, कांग्रेस ने सुशांत गोयल, सपा-रालोद गठबंधन ने विशाल वर्मा, बसपा ने के.के. शुक्ला को मैदान में उतारा है। सुशांत गोयल और विशाल वर्मा की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। कांग्रेस के दिवंगत नेता एवं पूर्व सांसद सुरेंद्र प्रकाश गोयल के पुत्र सुशांत गोयल को पैराशूट उम्मीदवार के नजरिए से देखा जा रहा है। जानकारों का कहना है कि सुशांत की ना पार्टी में कोई पकड़ है, न मतदाताओं में रसूख कायम है। वह राजनीति के नए खिलाड़ी हैं। चुनाव में वह अपने दिवंगत पिता के नाम पर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। हालाकि आज का मतदाता बेहद चतुर है। वह किसी प्रत्याशी के बहकावे में आसानी से आने वाला नहीं है। सुशांत गोयल के प्रति कांग्रेस के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में भी कोई खास उत्साह या लगाव देखने को नहीं मिल रहा है। एक तरह से पार्टी के नेता व कार्यकर्ता सिर्फ खानापूर्ति करने तक सीमित हैं।
उधर, सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार विशाल वर्मा भी चुनावी अखाड़े में कोई कमाल कर पाएंगे, इसकी उम्मीद नजर नहीं आ रही है। विशाल के पास भी राजनीतिक अनुभव का अभाव है। वह भी कांग्रेस प्रत्याशी की तरह राजनीति के नए खिलाड़ी हैं। अब से पहले राजनीतिक गलियारों में उनके नाम की चर्चा तक नहीं सुनी गई है। सपा-रालोद के दम पर वह चुनावी वैतरणी पार करने को उतावले हैं। चर्चा है कि विशाल को टिकट दिए जाने से अंदरखाने सपा के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता भी संतुष्ट नहीं हैं। कमजोर प्रत्याशी होने की वजह से पुराने एवं सक्रिय कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा पड़ा है। वह दिखावे के लिए विशाल वर्मा के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। जनसंपर्क के दौरान कई स्थानों पर मतदाता भी सपा-रालोद प्रत्याशी के साथ गर्मजोशी से पेश नहीं आ रहे हैं। लिहाजा वह भी विधान सभा चुनाव में कोई उलट-फेर करने का मादा नहीं रखते हैं।