प्रदेश अध्यक्ष से लेखपाल संवर्ग की समस्याओं के समाधान की मांग

अपने अधिकारों के प्रति एकजुट हों लेखपाल, शोषण नहीं होगा बर्दाश्त: राममूरत यादव
मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत के लेखपालों ने गिनाई समस्या

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के तत्वावधान में रविवार को सदर तहसील में खण्ड मंत्री मेरठ मण्डल मेरठ सिद्धार्थ कौशिक के नेतृत्व में बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष राममूरत यादव ने की। बैठक मे प्रदेश महामंत्री विनोद कश्यप, प्रदेश उपाध्यक्ष पश्चिमी जोन सुदेश चौधरी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहकर लेखपालों की समस्याओं के निराकरण के लिए आवश्यक सुझाव दिए।
बैठक मे जनपद मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत से आये उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के जिलाध्यक्ष, जिला मंत्री, तहसील अध्यक्ष एवं तहसील मंत्री मौजूद रहे।


प्रदेश अध्यक्ष राममूरत यादव ने कहा संगठन कार्य में लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगी। लेखपालों को सरकार से अपनी मांगों को मनवाने के लिए एकजुट होना पड़ेगा। कहा कि लेखपालों की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है। अपनी मांगों को लेकर लेखपालों ने कई धरना प्रदर्शन और कार्य बहिष्कार भी किया है, लेकिन फिर भी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। लेखपालों का शोषण किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा।
खण्ड मंत्री मेरठ मण्डल सिद्धार्थ कौशिक ने कहा कि लेखपाल भी किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता के साथ समाधान करें। नियमों का पालन करते हुए जन सेवा करें। किसानों के बहुत से काम लेखपालों के द्वारा किए जाते हैं। ऐसे में लेखपालों की जिम्मेदारी बनती है कि वह किसानों को भरपूर मान सम्मान दें। उन्होंने लेखपालों से एकजुट होकर संगठन को मजबूत बनाने की अपील की। लेखपालों की समस्याओं के निस्तारण के लिए जल्द ही शासन स्तर पर संगठन वार्ता करेगा।


प्रत्येक लेखपाल पर औसत 15 से 20 ग्रामों का कार्य
बैठक में वक्ताओं ने बताया कि वर्तमान में सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश मे लेखपालों के स्वीकृत पदों के सापेक्ष के एक तिहाई लेखपाल कार्यरत है। जिस कारण प्रत्येक लेखपाल पर शासन/अधिकारीगण द्वारा कई-कई इलाकों का भार थोप देते है। वर्तमान समय में प्रत्येक लेखपाल औसत 15 से 20 ग्रामों का कार्य देख रहा है। इस कार्य अधिकता की स्थिति को दृष्टिगत न रखकर प्रत्येक कार्य को तत्काल ही कर देने का दवाब दिन रात अधिकारीगण बनाते रहते है।

लेखपालों की मेहनत का श्रेय ले रहा कृषि विभाग
किसानों को मिलने वाली किसान सम्मान निधि योजना मूलत: कृषि विभाग का कार्य था। शासन में श्रेय भी कृषि विभाग को ही मिला। मगर वास्तविकता यह है कि किसान सम्मान निधि का सारा कार्य लेखपालों से कराया गया। काम लेखपाल करें और श्रेय कृषि विभाग लें। इस कार्य में किसी अन्य विभाग का कोई सहयोग प्राप्त नही हुआ। इसी प्रकार घरौनी, स्वामित्व योजना का कार्य पंचायत विभाग का है। मगर उसमें भी पूरे प्रदेश में स्वामित्व योजना का कार्य, कार्य के बोझ से दबे लेखपालों से कराया गया। वस्तुत: शासन द्वारा नाम मात्र के लिए दूसरे विभागों के कर्मचारियो की डयूटी लगाई जाती है। लेकिन सभी कार्य येन-केन प्रकारेण एवं लेखपालो के अनुशासित कर्मचारी होने के कारण अनर्गल दवाब बनाकर लेखपाल से ही लिया जाता है। काम नही करने पर कार्रवाई या फिर जांच बैठ दी जाती है।

सिद्धान्त: लेखपाल तकनीकी पद नही है। मगर आज के इस डिजिटल दौर में खसरा ऑनलाइन फीडिंग, रियल टाईम खतौनी, काप कंटिंग के आनलाईन प्रयोग, ई-डिस्ट्रिक योजना के तकनीकी कुशलता की उपेक्षापूर्ण कार्य लेखपाल संवर्ग द्वारा किए जा रहे है और अब शासन एग्री एप के माध्यम से ऑनलाइन फसल पड़ताल कराने की तैयारी में है। जिसे लेखपालों की कम संख्या एवं कार्यक्षेत्रों की अधिकता के कारण पूरा करना संभव नही है। वक्ताओं द्वारा इतने परिश्रम से कार्य करने के उपरांत भी अधिकारी द्वारा लेखपाल संवर्ग को अपेक्षित सम्मान-सहयोग नही दिए जाने से आहत है। लेखपाल संवर्ग की समस्याओं पर स्थानीय अधिकारियों एवं शासन द्वारा अपेक्षित संज्ञान न लिए जाने के कारण लेखपाल संवर्ग में आक्रोश व्याप्त है।

विभिन्न जनपदों से आये पदाधिकारीगण द्वारा संगठन को मजबूत बनाने के संबंध में विचार रखे। प्रदेश अध्यक्ष राममूरत यादव एवं महामंत्री विनोद कश्यप ने वक्ताओं की समस्याओं को सुनकर कहा कि किसी भी लेखपालों का उत्पीड़न बर्दाश्त नही किया जाएगा। अन्य विभागों की योजनाओं के लिए लेखपालों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है, शीघ्र ही प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है, जिसमे कठोर निर्णय लिया जाएगा। जिलाध्यक्ष सुबोध शर्मा ने बताया कि ई डिस्ट्रिक्ट योजना के तहत आय, जाति व निवास प्रमाण पत्र बनाने पर प्रत्येक प्रमाण पत्र पर लेखपालों को 5 रुपये का भुगतान किया जाना है। जबकि पिछले करीब ढाई सालों से यह भुगतान किसी लेखपाल को नहीं किया गया है। अगर जल्द ही लेखपालों की समस्याओं का निस्तारण नहीं किया गया तो आंदोलन के लिए लेखपाल संघ हुंकार भरेगा।