हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी पीड़ित कर्मचारी को नहीं मिला न्याय

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी कलक्ट्रेट में तैनात कर्मचारी सचिन कुमार और उसका परिवार न्याय के लिए भटक रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीडि़त कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अधिकारी द्वारा की गई निलंबन की कार्रवाई को अनुचित ठहराया। इस आदेश के बाद पीडि़त कर्मचारी की समस्या कम होने के बजाय बढ़ गई है। कर्मचारी के साथ-साथ उसकी पत्नी पर भी रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। अधिकारी की इस कार्रवाई से कई सवाल उठ रहे हैं और कर्मचारियों में रोष बढ़ रहा है।

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कलक्ट्रेट में तैनात कर्मचारी को न्याय नहीं मिल रहा है। अलबत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद उसकी परेशानी और बढ़ गई है। कर्मचारी के साथ-साथ उसके परिवार को कानूनी पचड़े में फंसाया जा रहा है। हास्यपद बात यह है कि अधिकारी ने निजी खुन्नस निकालने के लिए कर्मचारी की पत्नी के खिलाफ ही रिश्वतखोरी का मुकदमा दर्ज करा दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि एक निलंबित कर्मचारी की पत्नी कैसे रिश्वत ले सकती है। उधर, कलक्ट्रेट में यह भी चर्चाएं हैं कि अधिकारी के खिलाफ कई शिकायतें आ रही है। इसी वजह से मुकदमेबाजी की कार्रवाई की गई है।
जिला पूर्ति अधिकारी डॉ. सीमा वालियान द्वारा विभाग में पूर्ति लिपिक के पद तैनात कर्मचारी सचिन कुमार और उनकी पत्नी सुषमा के खिलाफ रिश्वतखोरी करने सहित अन्य आरोप लगाते हुए कविनगर थाना में मुकदमा दर्ज कराया है। कलेक्ट्रेट में इस मुकदमे की खूब चर्चा हो रही है और अधिकारी की कार्रवाई की निंदा भी की जा रही है। आरोप लग रहे हैं कि जिला पूर्ति अधिकारी ने अपनी खुन्नश मिटाने के लिए कर्मचारी की पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। जिला प्रशासन के कर्मचारियों में उत्पीडऩ की इस कार्रवाई से रोष बढ़ रहा है। ऐसे में आने वाले समय में यह विवाद और गहरा सकता है।

हाईकोर्ट ने कर्मचारी के निलंबन को अवैध ठहराया था
ज्ञात हो कि कई महीने पहले गाजियाबाद जिला पूर्ति विभाग में तैनात पूर्ति लिपिक के खिलाफ जिला पूर्ति अधिकारी डॉ. सीमा वालियान ने फूड कमिश्नर (खाद्य आयुक्त) से शिकायत की थी। शिकायत के आधार पर जिला खाद्य विपणन अधिकारी रोली सिंह को जाँच अधिकारी नियुक्त करते हुये सचिन कुमार को निलंबित कर दिया गया। निलंबन के विरोध में सचिन कुमार ने हाईकोर्ट में रिट दायर की। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सचिन कुमार के निलंबन की कार्र्रवाई को अवैध ठहराते हुए उसे तत्काल बहाल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने माना कि निलंबन की पूरी कार्रवाई नियमों की अवहेलना करते हुए की गई है।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद बढ़ गया उत्पीडऩ
हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद सचिन को लगा कि अब उसे न्याय मिलेगा। लेकिन न्याय मिलने के बजाय उसका उत्पीडऩ बढ़ गया है। अभी तक तो मसला अधिकारी और कर्मचारी के बीच ही था लेकिन जिला पूर्ति अधिकारी ने इस मामले में कर्मचारी की पत्नी सुषमा को भी घसीट लिया है। सचिन की पत्नी के खिलाफ कविनगर थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया गया।

मुकदमें में लगाये गये हैं कई आरोप
जिला पूर्ति अधिकारी डॉ. सीमा ने सचिन और उसकी पत्नी सुषमा पर रिश्वत मांगने, धमकी देने, सरकारी कार्य में बाधा डालने सहित अन्य आरोप लगाते हुए कविनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। कर्मचारी की पत्नी पर रिश्वत मांगने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराने की आलोचना भी हो रही है। सवाल उठ रहा है कि जो कर्मचारी निलंबित है उसकी पत्नी किसी से कैसे रिश्वत मांग सकती है। सचिन के खिलाफ कार्रवाई को तो समझा जा सकता है लेकिन उसकी पत्नी का उत्पीडऩ क्यों किया जा रहा है।

जिला पूर्ति अधिकारी के खिलाफ आई हैं कई शिकायतें
कलक्ट्रेट में तैनात कर्मचारियों ने बताया कि जिला पूर्ति अधिकारी डॉ. सीमा वालियान के खिलाफ कई तरह की शिकायतें आई है। डॉ. सीमा को लगा कि यह सभी शिकायतें सचिन की शह की जा रही है। यही वजह है कि वह सचिन से खुन्नस रखने लगी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुस्सा और बढ़ गया और अब मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई भी की गई है।