पूर्व नगर आयुक्त IAS महेंद्र सिंह तंवर की योजना पर हो अमल तो देश के कई बड़े शहरों को पीछे छोड़ देगा गाजियाबाद

– गाजियाबाद को आर्थिक रूप से स्वाबलंबी बनाने की योजना चढ़ी राजनीति की भेंट विजन डॉक्यूमेंट पर नहीं हुआ अमल

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। शहर में हाउस टैक्स नहीं बढ़ेगा। बृहस्पतिवार को नगर निगम कार्यकारिणी बैठक में टैक्स वसूली प्रस्ताव को खारिज कर उसे ठंडे बस्ते में डालने की खबर शहर वासियों के लिए क्षणिक खुशी और बाद में दर्द देने वाला निर्णय है। डीएम सर्किल रेट के आधार पर टैक्स वसूली के निर्णय पर कई वर्ष बाद भी अमल नहीं होना सुधारात्मक कार्यों में राजनीतिक अड़ंगा है। जब तक कोई संस्था आर्थिक रूप से स्वाबलंबी और संपन्न नहीं होगा तब तक अपने निर्धारित लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकेगा। गाजियाबाद को देश का सुंदर शहर और नगर निगम को आर्थिक रूप से स्वाबलंबी बनाने का जो प्लान पूर्व नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने तैयार किया था उसे अमलीजामा पहनाने से बार बार रोका जा रहा है। महेंद्र सिंह तंवर का यह प्लान नगर निगम के साथ-साथ शहरवासियों के हित में था। महेंद्र सिंह तंवर ने गाजियाबाद नगर निगम का विजन प्लान तैयार किया था। जिसमें शहर विकास कार्य कराने से लेकर, लोगों को मिलने वाली जनसुविधाओं का विस्तार, हाईटेक सुविधाएं, सुंदर हरियाली युक्त शहर के साथ नगर निगम की आमदनी बढ़ाने और आर्थिक रूप से स्वाबलंबी बनाने का फूलप्रुप प्लान था। विजन डॉक्यूमेंट की शासन स्तर पर सराहना हुई थी और तत्कालीन नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने अन्य नगर निगम में भी इसी तरह का विजन प्लान तैयार करने को कहा था। लेकिन गाजियाबाद से महेंद्र सिंह तंवर की विदाई और नगर विकास मंत्री के पद से सुरेश खन्ना की विदाई के बाद विजन प्लान भी ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि सकारात्मक पक्ष यह है कि भले ही विजन प्लान को पूरी तरह नहीं लागू किया गया लेकिन उसके कई निर्देशों पर अमल करते हुए गाजियाबाद नगर निगम में काम हुआ जिसका लाभ आज भी हो रहा है।

दरअसल गाजियाबाद नगर निगम की सबसे बड़ी समस्या यही है कि यहां आमदनी अठ्ठनी और खर्चा रुपैया की परिपाटी पर काम होता रहा है। शहर के विकास से संबंधित योजनाओं के लिए फंड की कमी का रोना रोना और फंड के लिए शासन की तरफ मूंह ताकना सामान्य बात रही है। महेंद्र सिंह तंवर ने इस मानसिकता को बदलने का प्रयास किया। उनका मानना था कि यदि हमें शहर में विकास कार्यों को निर्बाध रूप से जारी रखना है, सतत विकास करना है और देश के अच्छे शहरों में शामिल होना है तो अपने आर्थिक संसाधनों को मजबूत करना पड़ेगा। आमदनी के स्त्रोत विकसित करने पड़ेंगे। गाजियाबाद आर्थिक रूप से संपन्न शहर है और यहां के लोगों की प्रतिव्यक्ति आय देश में टॉप – 5 में है। इसके बावजूद गाजियाबाद नगर निगम में नगर पालिका सरीखे योजनाओं पर ही काम होता रहा है। महेंद्र सिंह तंवर ने इस परिपाटी को बदला। आमदनी बढ़ाने के लिए उन्होंने डीएम सर्किल रेट के आधार पर यानी कि जहां पर अमीर लोग रहते हैं वहां से अधिक टैक्स और जहां पर गरीब लोग रहते हैं वहां पर कम टैक्स वसूली का प्लान तैयार किया। इस प्लान के अमल से नगर निगम की टैक्स से होने वाली वसूली 500 करोड़ के पार पहुंच जाएगा। वर्तमान में गाजियाबाद नगर निगम की आमदनी 200 से 250 करोड़ के बीच ही है। महेंद्र सिंह तंवर के डीएम सर्किल रेट के आधार पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव पिछले तीन वर्षों से अधर में लटका हुआ है। राजनीति के कारण ही हर बार इसका विरोध शुरू हो जाता है और राजनीतिक डर के कारण हर बार इसके अमल की योजना को टाल दिया जाता है।