नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ ने बचाये गाजियाबाद नगर निगम के 4 करोड़

नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ ने नगर निगम के सभी विभागों के विभागाध्यक्षों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी होने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धात्मक होनी चाहिये। 15वें वित्त आयोग के कामों को लेकर ठेकेदारों में दिखा जबरदस्त कंप्टीशन, 20 प्रतिशत तक बिलो रेट पर डाले गये टेंडर। कंप्टीशन के कारण नगर निगम को हुए बचत से शहर में अन्य स्थानों पर विकास कार्य कराये जाएंगे।

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ की सख्ती के कारण ठेकेदारों के अरमानों पर पानी फिर गया और गाजियाबाद नगर निगम को लगभग 4 करोड़ रुपये की बचत हुई। जिन ठेकेदारों ने पहले आपसी मिलीभगत से टेंडर पूल करने की योजना बनाई थी उन्हीं ठेकेदारों के बीच जबरदस्त कंप्टीशन देखने को मिला। ठेकेदारों के इस कंप्टीशन का लाभ नगर निगम को मिल रहा है। निर्माण विभाग द्वारा 15वें वित्त आयोग के तहत मिले फंड से कराये जा रहे विकास कार्यों में ठेकेदारों ने 15 से 20 प्रतिशत तब बिलो रेट पर टेंडर डाला। नगर आयुक्त ने नगर निगम के सभी विभागों के विभागाध्यक्षों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी होने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धात्मक होनी चाहिये। कंप्टीशन के कारण नगर निगम को हुए बचत से शहर में अन्य स्थानों पर विकास कार्य कराये जाएंगे।

विदित हो कि नगर निगम के निर्माण विभाग में पिछले दिनों 15वें वित्त आयोग के तहत मिले फंड से विकास कार्य कराये जाने को लेकर टेंडर मंगाये गये थे। 15वें वित्त आयोग के तहत डेवलपमेंट से जुड़े बड़े काम कराये जाते हैं, बड़े काम होने के कारण टेंडर में पार्टिसिपेट करने वाले ठेकेदारों की संख्या कम होती है। ऐसे में इस बात की आशंका बनी रहती है कि ठेकेदारों द्वारा टेंडर पूल किया जा सकता है। पूर्व में ऐसे प्रकरण भी सामने आए हैं जिसमें ठेकेदारों ने एस्टीमेटेड रेट पर या फिर एस्टीमेटेड रेट से अधिक पर टेंडर डाले। पिछली बार जब टेंडर मंगाये गये थे तो यह बात सामने आई कि ठेकेदारों द्वारा डाले गये टेंडर की दर (बिलो रेट) काफी कम था। ठेकेदारों ने महज 2 से 4 प्रतिशत बिलो रेट पर ज्यादातर टेंडर डाले थे। कुछ टेंडर तो 1 प्रतिशत बिलो रेट पर डाले गये थे। निर्माण विभाग द्वारा इसकी रिपोर्ट नगर आयुक्त डॉ. नितिन गौड़ को दी गई। हालांकि टेंडर प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी। लेकिन टेंडर के रेट देखकर लगभग रहा था कि ठेकेदारों के बीच प्रतिस्पर्धा (कंप्टीशन) की कमी है। टेंडर पूल किये जाने और स्वच्छ प्रतिस्पर्धा की कमी की आशंका को देखते हुए पुराने टेंडर निरस्त कर फिर से टेंडर कराने का आदेश दिया।

पुन: कराये गये टेंडर में ठेकेदारों के बीच जबरदस्त कंप्टीशन देखने को मिला। इस बार कई बड़े-बड़े कामों के टेंडर 15 से 20 प्रतिशत बिलो रेट पर ठेकेदारों ने हासिल किया। जिन 18 विकास कार्यों से संबंधित टेंडरों की अनुमानित लागत (एस्टीमेटेड कॉस्ट) 31 करोड़ 83 लाख रुपये थी, वहीं टेंडर ठेकेदारों को 27 करोड़ 83 लाख रुपये में मिला है। 8 करोड़ रुपये के एक काम जो पहले ठेकेदारों द्वारा 1 से 2 प्रतिशत बिलो रेट पर डाले गये थे उसी काम का टेंडर इस बार 20 प्रतिशत से भी अधिक बिलो रेट पर डाला गया। इस तरह से नगर आयुक्त द्वारा पुन: टेंडर कराये जाने के निर्णय से निर्माण विभाग के कामों में नगर निगम को लगभग 4 करोड़ रुपये की बचत हुई है। प्रतिस्पर्धा की वजह से नगर निगम की जो बचत हुई है उससे किसी अन्य क्षेत्र में विकास कार्य कराये जाएंगे।