नगर निगम के ठेकेदार परेशान, कागजी कार्रवाई ने किया बेदम

– वरिष्ठ ठेकेदार इकबाल वहीद ने उठाई आवाज बोले कोविड-19 को लेकर जारी हुए सरकार के निर्देशों पर अभी तक नगर निगम में नहीं हुआ अमल

उदय भूमि ब्यूरो
गाजियाबाद। गाजियाबाद नगर निगम में काम करना ठेकेदारों के लिए काफी परेशानियों भरा है। ठेकेदारों की पीड़ा है कि उनसे शासन और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) सभी आदेशों एवं निर्देशों का अनुपालन कराया जाता है। लेकिन जो आदेश ठेकेदारों के हित से जुड़े होते हैं। उनमें नगर निगम चुप्पी साध लेता है। वरिष्ठ ठेकेदार इकबाल वहीद ने ठेकेदारों की आवाज उठाते हुए निगम अधिकारियों को कोविड-19 (कोरोना) को लेकर जारी आदेशों को अमल में लाने को कहा है। इकबाल वहीद की यह मांग इसलिए भी जायज है क्योंकि इसको लेकर सरकार ने आदेश जारी कर रखा है और पीडब्ल्यूडी में यह लागू भी हो चुका है। इकबाल वहीद के इस मांग को भाजपा सांसद अनिल अग्रवाल ने भी जायज माना है और उन्होंने भी इसका समर्थन किया है। उधर, नगर निगम में कागजी कार्रवाई से भी ठेकेदार परेशान हैं। ठेकेदारों का कहना है कि अन्य विभागों के मुकाबले नगर निगम में अधिक कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है और कागजों को डिजीटल प्लेटफार्म पर अपलोड करने की प्रक्रिया भी बेहद जटिल है। अक्सर नगर निगम के कई कामों के टेंडर खाली रह जाते हैं और ठेकेदार उन कामों के लिए टेंडर नहीं डाल पाते। इसकी एक वजह यह कागजी जटिलता भी है।

ठेकेदार इकबाल वहीद ने बताया कि कोरोना संकट से सभी परेशान हैं। सिविल कॉट्रैक्टर भुगतान सहित कई तरह की समस्या से जूझ रहे हैं। ठेकेदारों को समय से भुगतान नहीं होता है। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने ठेकेदारों को कुछ राहत प्रदान की। धरोहर राशि और परफारमेंस गारंटी को लेकर ठेकेदारों को राहत दी गई है। दरअसल मार्केट में तरलता बढ़ाने, विकास कार्यों को गति देने और ठेकेदारों की परेशानियों को कुछ कम करने के उद्देश्य से सरकार ने यह निर्देश लागू किया था। केंद्र सरकार द्वारा जारी यह निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा माना गया। पीडब्ल्यूडी में यह लागू भी हो चुका है। लेकिन गाजियाबाद नगर निगम में अभी तक इसे नहीं लागू किया गया है। इकबाल बताते हैं कि नगर निगम में टेंडर डालते समय 10 फीसद धरोहर राशि ली जाती है जबकि पीडब्ल्यूडी में टेंडर डालते समय सिर्फ 2 फीसद और भुगतान के समय 3 फीसद यानि महज 5 फीसद ही धरोहर राशि जमा होती है। परफारमेंस गारंटी के मामले में भी पीडब्ल्यूडी के नियम गाजियाबाद नगर निगम में लागू नहीं है।

Sanjeev Ttyagi Contractor
Sanjeev Ttyagi
Contractor

वरिष्ठ ठेकेदार संजीव त्यागी बताते हैं नगर निगम में टेंडर की प्रक्रिया बेहद जटिल है। छोटे-छोटे टेंडरों में भी इतने कागजात लगाने पड़ते हैं कि कई ठेकेदार टेंडर डाल ही नहीं पाते। टेंडर प्रणाली कागजों में इस तरह उलझ गई है कि 60 से 70 प्रतिशत ठेकेदार कंडीशन पूरा ही नहीं कर पाते हैं। यहि वजह है कि अक्सर हम देखते हैं कि नगर निगम के टेंडर या तो खाली रह जाते हैं या फिर सिंगल टेंडर के कारण पुन: टेंडर कराना पड़ता है। इसका असर काम की स्पीड पर पड़ता है।