आने वाली पीढी को कोरोना से बचाने के लिए पौधा रोपण जरूरी: सिद्वार्थ कौशिक

-कोरोना की दुसरी लहर में आक्सीजन की कमी से सैकड़ो लोगों गवा चुके जान

गाजियाबाद। आक्सीजन की कमी का एक कारण इंसान की पर्यावरण संरक्षण के प्रति लापरवाही है। कोरोना की दुसरी लहर से जिले में सैकड़ो मरीज आक्सीजन की कमी से जूझते हुए अपनी जान से हाथ धो बैठे। पर्यावरण को संरक्षित रखने में पेड़ पौधों का अहम योगदान होता है। पेड़-पौधे जहां जीवनदायिनी आक्सीजन देते हैं। पर्यावरण में बढ़ते असंतुलन को लेकर एक ओर पूरी मानव जाति का अस्तिस्व खतरे में है, वहीं कई लोग मानव जाति पर मंडरा रहे इस खतरे को कम करने की दिशा में काम कर रह हैं। मनुष्य अपनी इच्छाओं की पूर्ति को लेकर तेजी से जंगलों व पेड़-पौधे को कटाता जा रहा है। तेजी से नई-नई इमारतों के अलावा माल व मकानों का निर्माण कराया जा रहा है। इससे शुद्ध हवा के साथ-साथ आक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है। वहीं सूर्य की किरणों से निकलने वाली पारा बैंगनी किरणों का प्रभाव तेजी से मनुष्य जाति पर पड़ता दिख रहा है।
उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के जिलाध्यक्ष सिद्वार्थ कौशिक ने बताया कुछ वर्षो पूर्व तक उन्हें पेड़-पौधे लगाने का शौक नहीं था। उनके पिता ने उन्हें इस दिशा में कार्य करने को प्रेरित किया। सिद्वार्थ कौशिक ने धीरे-धीरे अपने घर, मंदिर में पौधे लगाकर पर्यावरण को बचाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया। उन्होंने न केवल अपने आप को इस कार्य के लिए प्रेरणा बनाया बल्कि आसपास के दर्जनों युवाओं को इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया। आज उनका यह प्रयास धीरे-धीरे रंग ला रहा है। उनकी देखा देखी आसपास के लाग भी अपने घर के आसपास पौधे लगाने का कार्य कर रहें है।
पर्यावरण को संरक्षित के लिए उठाया कदम
सदर तहसील सचिव सुबोध शर्मा का कहना है कि अगर इंसान ने समय रहते पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाया तो शायद कोरोना संक्रमण की दुसरी लहर इतनी घातक नही होती और न ही ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती। प्रत्येक व्यक्ति को इस दिशा में कार्य करना चाहिए। लोगों को अपने व्यस्त समय में से कुछ समय पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में कार्य करना होगा। तभी जाकर पर्यावरण को बचाया जा सकता है। जंगलों के काटे जाने स इसका सीधा-सीधा असर मनुष्य पर देखने को मिल रहा है।
पौधे लगाने के साथ देखभाल भी जरूरी
विशाल सिंह का कहना है कि आज के युग में हर कोई व्यस्त है। आक्सीजन बनाने का काम पेड़ की पत्तियां करती हैं। इसलिए जिस पेड़ में ज्यादा पत्तियां होती हैं वो पेड़ सबसे ज्यादा आक्सीजन बनाता है। पीपल का पेड़ सबसे ज्यादा आक्सीजन देता है। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति को लेकर सभी बैचेन रहते हैं। लेकिन पर्यावरण को बचाने के लिए किसी के पास समय नहीं है। यहीं कारण है कि पर्यावरण असंतुलित होता जा रहा है। इसे बचाने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा। जब छोटे थे तो पर्यावरण को लेकर इतने सचेत नहीं थे। जब बड़े हुए तो पता चला कि मनुष्य के जीवन में पर्यावरण का क्या महत्व है। अन्य पेड़ों के मुकाबले 30 फीसद अधिक ऑक्सीजन छोड़ता है। पीपल के पेड़ की तरह नीम, बरगद और तुलसी के पेड़ भी अधिक मात्रा में आक्सीजन देते हैं। नीम, बरगद, तुलसी के पेड़ एक दिन में 20 घंटे से ज्यादा समय तक आक्सीजन का निर्माण करते हैं।