समाज को नशा मुक्त करने में महिलाओं की भूमिका पर सेमिनार

-शिक्षा और आर्थिक मजबूती ने महिलाओं को दी पहचान

गाजियाबाद। नशा मुक्त भारत अभियान के तहत समाज कल्याण विभाग एवं भागीरथ सेवा संस्थान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मंगलवार को राम चमेली चढ़ा विश्वास गर्ल्स कॉलेज में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय था, समाज को नशा मुक्त करने में महिलाओं की भूमिका। इस सेमिनार में कॉलेज की लगभग 200 छात्राओं ने हिस्सा लिया। इस विषय पर भागीरथ सेवा संस्थान की तरफ से प्रियंका भनोट गुप्ता एवं विकास तिवारी द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। प्रियंका का कहना था कि महिलाएं परिवार की धुरी होती हैं और किसी न किसी रूप में प्रत्येक रिश्ते का केंद्र बिंदु होती हैं। इसलिए एक महिला यदि अपने परिवार और अपने इर्द-गिर्द मौजूद लोगों पर निगाह रखे एवं उनकी उचित समय पर काउंसलिंग करें तो मर्दों में तेजी से पनप रही नशा सेवन की प्रवृत्ति से दूर कर सकती हैं। भारतीय संविधान के 74वें संशोधन के साथ महिलाओं को जो भागीदारी राजनीतिक संस्थाओं में मिली उससे बड़े बदलाव समाज में आए। शिक्षा और आर्थिक मजबूती ने निसंदेह महिलाओं को पहचान दी है। किन्तु बिना राजनीतिक पहचान के इसमें स्थायित्व नहीं आएगा।विकास तिवारी ने कहा कि इन दिनों टीवी सीरियल, फिल्म एवं ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कंटेंट से जाने अनजाने में ही नशा सेवन की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिल रहा है, जो कि समाज के लिए एक बड़ा खतरा है। इसलिए हमें इस खतरे से सावधान रहना है जिसमें महिलाएं बड़ी भूमिका निभा सकती हैं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राम चमेली चढ़ा विश्वास गल्र्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर नीतू चावला नेे कहा कि एक महिला कभी मां, कभी बहन, कभी बेटी, कभी बहू, कभी पत्नी तो कभी चाची-मामी तो कभी नानी-दादी के रूप में कई रिश्तो का निर्वहन करती है और इस तरह महिला अपने जीवन में कई पुरुषों को बड़ी निकटता से देखती है। परिवार में यदि कोई व्यक्ति छिप-छिपा कर नशा कर रहा है तो वह महिला की दृष्टि से नहीं बच सकता। ऐसी सूरत में यदि महिलाएं अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए उनसे धैर्य पूर्वक बात करें एवं नशे से होने वाले शारीरिक, आर्थिक एवं सामाजिक नुकसान के बारे में उन्हें बताएं तो पुरुषों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।