एलिवेटेड रोड-मेट्रो सेस वसूली में जीडीए को हाईकोर्ट से झटका

-जीडीए लेगा विधिक राय, हाईकोर्ट एवं सुप्रीमकोर्ट में जाने की तैयारी

गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन में गु्रप हाउसिंग सोसायटी विकसित करने वाले बिल्डरों से एलिवेटेड रोड और मेट्रो ट्रेन स्टेशन सेस वसूलने के मामले में जीडीए को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जीडीए अब राजनगर एक्सटेंशन में मेट्रो व एलिवेटेड सेस के साथ फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) पर फरवरी 2020 में आए निर्णय के खिलाफ जीडीए की पुनर्विचार याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के इस निर्णय से बिल्डरों के साथ राजनगर एक्सटेंशन की करीब 35 गु्रप सोसायटियों में रहने वालों को राहत मिली है। हाईकोर्ट के इस फैसले से जीडीए को सेस और एफएआर के रूप में मिलने वाली करीब 450 करोड़ रुपए की धनराशि अब खटाई में पड़ सकती है। जीडीए के सीएटीपी आशीष शिवपुरी का कहना है कि इस मामले में अब विधिक राय ली जाएगी। विधिक राय लेने के बाद जीडीए फिर से हाईकोर्ट एवं सुप्रीमकोर्ट में जा सकता है। राजनगर एक्सटेंशन में वर्तमान में 35 सोसायटियों में लगभग 50 हजार परिवार रहते हैं। वहीं करीब दो दर्जन निर्माणधीन गु्रप हाउसिंग में काम चल रहा हैं। बिल्डरों ने फ्लैट खरीदारों से मेट्रो व एलिवेटेड सेस का पैसा लिया था। एफएआर खरीदने के लिए भी एक्सटेंशन में तमाम बिल्डरों ने जीडीए में पैसे जमा करवाए। अब बिल्डरों की ओर से जमा कराए गए पैसे की मांग की जा सकती है। जीडीए में सेस और एफएआर के रूप में करीब 35 करोड़ जमा कराया गया है। बिल्डरों से राजनगर एक्सटेंशन एलिवेटेड रोड सेस 650 रुपए प्रति वर्गमीटर और करीब 500 रुपए प्रति वर्ग मीटर मेट्रो सेस लिया जा रहा था। सेस के साथ अतिरिक्त एफएआर के निर्णय के खिलाफ राजनगर एक्सटेंशन में 25 बिल्डरों के समूह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बिल्डरों ने एफएआर बेचने और सेस को शासन के आदेश के खिलाफ बताया था। बीते साल फरवरी में हाईकोर्ट ने जीडीए के निर्णय पर रोक लगाकर बिल्डरों के पक्ष में फैसला सुनाया था। जीडीए की ओर से मेट्रो कॉरिडोर के 500-500 मीटर के दायरे में संपत्तियों को खरीदने पर मेट्रो सेस लगाया जाता है। निर्णय के बावजूद एफएआर से प्राधिकरण को बीते छह सालों में करीब 18 करोड़ मिले हैं। जबकि सेस के रूप में 150 करोड़ की आय की उम्मीद लगाई गई थी। हाईकोर्ट में याचिका व निर्णय के बाद तमाम बिल्डरों ने सेस का पैसा जमा नहीं कराया है।जीडीए के सीएटीपी आशीष शिवपुरी का कहना है कि हाईकोर्ट द्वारा खारिज की गई याचिका की वजह से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। इस मामले में विधिक राय लेने के बाद हाईकोर्ट एवं सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर करने का निर्णय लेंगे।