कांवड़ यात्रा में तेज-तर्रार पुलिस अधिकारी डॉ. ईरज राजा की कर्तव्यनिष्ठा

गाजियाबाद। श्रावण मास में जनपद में कांवड़ यात्रा आरंभ हो चुकी है। शिवरात्रि पर्व में जिलेभर में शांति, सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था को पटरी पर रखने की चुनौती पुलिस-प्रशासन के सामने है। हरिद्वार से कांवड़ियों के लौटने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इसके मद्देनजर कुछ अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी को बखूवी निभाने में दिलचस्पी दिखाई है। तेज-तर्रार, ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी डॉ. ईरज राजा भी उन चुनिंदा अधिकारियों में से एक हैं, जो किसी भी दायित्व को भली-भांति निभाने से कभी पीछे नहीं हटते हैं। शांति एवं कानून व्यवस्था तथा शिवभक्त कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए उन्होंने खुद को मानो समर्पित कर दिया है। व्यवस्था का जायजा लेने वह कब निकल जाएं, इसका कोई समय निर्धारित नहीं है। दिन हो या रात इससे भी उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ता। असल मकसद कांवड़ यात्रा को सुचारू एवं शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराना, कांवड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और अराजक तत्वों को दिन-रात पुलिस की मौजूदगी का अहसास कराना है।

गाजियाबाद जनपद में पुलिस अधीक्षक ग्रामीण की जिम्मेदारी निभा रहे डॉ. ईरज राजा का नाम और काम खूब बोलते हैं। उन्हें अपनी जिम्मेदारी का पूरा अहसास हमेशा रहता है। काम के प्रति खुद को पूरी तरह समर्पित कर वह पुलिस विभाग को अच्छे परिणाम देने में अक्सर कामयाब रहते हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान भी डॉ. ईरज राजा शांति एवं कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। रात्रि में जब शिवभक्त कांवड़िए थक-हारकर सो जाते हैं तो उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए डॉ. राजा पैदल गश्त पर निकल पड़ते हैं। इस दौरान वह यह भी देखते हैं कि कांवड़ियों की सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मी कितने मुस्तैद हैं। रात्रि में उन्हें पैदल गश्त करते देख पुलिस कर्मी भी मुस्तैदी बरतने में कोई कमी नहीं छोड़ते। पुलिस फोर्स भी कांवड़ यात्रा मार्ग पर गश्त कर असमाजिक तत्वों पर नजर रख रही है।

रात्रि में गश्त के समय डॉ. ईरज राजा मातहतों की पीठ थपथपाने के साथ-साथ उन्हें सतर्क रहने के निर्देश देते हैं। काबिल पुलिस अधिकारी डॉ. ईरज राजा के काम करने के जुदा अंदाज का वीडियो पिछले दिनों सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हुआ था। केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना के विरोध में गाजियाबाद में भी जगह-जगह युवाओं ने प्रदर्शन किए थे। ऐसे में शांति एवं कानून व्यवस्था को लेकर खतरा उत्पन्न हो गया था। विषम परिस्थितियों से निपटने की काबिलियत रखने वाले डॉ. ईरज राजा ने उस दौरान आक्रोशित युवाओं को जिस तरीके से शांत कराया था, उसकी चर्चा लखनऊ तक में होती है। उन्होंने युवाओं का ज्ञानवर्द्धन कर उनसे हिंसा पर उतारू न होने की अपील की थी। कानून व्यवस्था को हाथ में लेने पर युवाओं को भविष्य में होने वाली परेशानी से भी अवगत कराया गया था। एसपी देहात की बातों से प्रभावित होकर आंदोलनकारी युवाओं को अपने पांव पीछे खींचने पड़े थे।