निकाय चुनाव की सरगर्मी तेज, कड़कड़ मॉडल में यादराम चौधरी के नाम से दावेदारों के उड़े होश

गाजियाबाद। यूपी की राजनीति में इन दिनों नगर निकाय चुनाव की सरगर्मी तेजी से चल रही है। सभी की निगाहें आरक्षण लिस्ट पर टिकीं है। चुनाव आयोग से लेकर जिला प्रशासन तक तैयारियों में जुट गया है। एक ओर वोटर लिस्ट फाइनल करने का काम चल रहा है तो दूसरी ओर आरक्षण पूरा करने पर जोर है। मगर इन सब के बीच अपने-अपने वार्डों में अभी से ही जनसंपर्क के कार्य में जुट गए है। कोई होर्डिंग लगाकर अपना प्रचार कर रहा है तो कोई दिवाली त्यौहार के चलते घर-घर मिठाई बांटने का काम कर रहा है। हालांकि संभावनाओं की उम्मीद पर कुछ दावेदार जोड़ तोड़ में जुट गए हैं। सबसे अधिक कशमश भाजपा में हैं। पार्टी के वरिष्ठ व पुराने नेता लाबिंग में लगे हैं लेकिन बाहरी कई नामों ने उनके माथे की शिकन बढ़ा दी है। इसका असर तब नगर निगम चुनाव में भी दिखा था। मगर, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की आंधी में सपा ढेर हो गई। इसका असर नगर निगम चुनाव पर भी पड़ा। वहीं इस बार नगर निकाय चुनाव में कड़कड़ मॉडल वार्ड-43 में भी सभी दावेदारों के बीच एक नया नाम उभर कर सामने आया है।

वार्ड-43 में यादराम चौधरी के नाम से क्षेत्र में पार्षद के लिए दावेदारी कर रहे अन्य दावेदारों में खलबली मच गई है। हालांकि अभी तक सभी वार्डों में किसी भी प्रत्याशी का नाम पार्टी से फाइनल नही हुआ है। लेकिन इस वार्ड से दावेदारों की लिस्ट लंबी है। इस लिस्ट में यादराम चौधरी का नाम भी जुडऩे से कुछ दावेदारों ने पहले ही हार माननी शुरु कर दी है। यादराम चौधरी राजनीति के पुराने खिलाड़ी है। सबसे अहम बात वह जमीनी से जुड़े हुए व्यक्ति है। समाजसेवा में अग्रणी और लोगों की शिकायतों का समाधान करने में हमेशा तत्पर रहते है। अपने सौम्य व्यवहार के चलते ही यादराम चौधरी के नाम से ही क्षेत्र के लोगों में भी खुशी का माहौल है।

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यादराम चौधरी बहुत ही व्यवहारिक किस्म के व्यक्ति है। सामाजिक कार्यों में सबसे अग्रणी रहते है। क्षेत्र की कोई भी समस्या रहती है तो क्षेत्र के लोग सबसे पहले उनसे ही वार्ता करते है। क्योंकि उन्हें मालूम है, क्षेत्र का पार्षद हो या फिर विधायक भले ही उनकी न सुने लेकिन यादराम चौधरी के कार्यों को कोई नही रोक सकता है। अगर हम राजनीति की बात करें तो यादराम चौधरी कोई नए खिलाड़ी नही है। उन्हें राजनीति के सभी पैंतरे मालूम है। लेकिन वह राजनीति से परे होकर सामाजिक कार्य एवं क्षेत्र के विकास कार्यों को रफ्तार देने पर विश्वास रखते है।

यादराम चौधरी ने बताया कि अगर क्षेत्र के लोगों का सहयोग और प्यार मिला तो वह जरुर अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। क्योंकि पूर्व पार्षद ने अपने पांच साल के कार्यों मे जिस तरह से क्षेत्र के विकास को अनदेखा किया है। उससे क्षेत्र की जनता भलिभांति परिचित है। चुनाव लडऩे का मात्र एक ही उद्देश्य है कड़कड़ मॉडल वार्ड 43 क्षेत्र को कायाकल्प बदलना। जब तक हम क्षेत्र का विकास नही कराएंगे, तब तक हमारे की वार्ड की पहचान कुछ नही है। कड़कड़ मॉडल दिल्ली की सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है। क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या जल भराव और नाले की है। बरसात में नाले का पानी लोगों की घरों में पहुंच जाता है। जिस समस्या का तत्कालीन पार्षद ने आज तक कोई समाधान नही किया। अपने क्षेत्र के विकास को भूल कर वह अपना विकास करने में मश्गुल रहे। अगर चुनाव जीते तो क्षेत्र में सीवर लाइन का कार्य करवाएंगे।