समय पर इलाज, बचाव ही कैंसर का इलाज: डॉ अभिषेक यादव

-कैंसर का इलाज संभव, जागरुकता से दी जा सकती है मात: डॉ दीपक जैन
-विश्व कैंसर दिवस पर यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी में जागरूकता कार्यक्रम
-क्लोजिंग द केयर गैप है वर्ष 2022 की विश्व कैंसर दिवस की थीम

गाजियाबाद। दुनिया में कैंसर किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। इसके कई रूप लगभग हर अंग से संबंधित कैंसर की एक बीमारी होती है। मुंह से लेकर पेट की अंतडिय़ों तक के कैंसर होते हैं और हर कैंसर के साथ एक बड़ी समस्या यही होती है कि देर होने पर हालात काबू में नहीं रहते और मरीज की जान जाने का खतरा बढ़ता जाता है। कैंसर को लेकर भ्रांतियां भी कम नहीं है। लेकिन आज भी इनके इलाज को लेकर कई चुनौतियां कायम हैं। यह बातेंं शुक्रवार को विश्व कैंसर दिवस पर यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक यादव एवं वरिष्ठ कैंसर रोग सर्जन डॉ दीपक जैन ने कहीं। उन्होंने कहा कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 4 फरवरी को दुनिया भर विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।

डॉ अभिषेक यादव ने बताया कि पिछले एक साल में हमने हॉस्पिटल में 500 से ज्यादा कैंसर के मरीजों का इलाज किया है। उन्होंने कहा कि यह दिन हमें अपनी पूरी प्रतिबद्धता और शक्ति के साथ इस संकटपूर्ण बीमारी से लडऩे के हमारे संकल्प की याद दिलाता है। नई और विकसित हो रही रणनीतियाँ कैंसर रोगियों और उनके उपचार और देखभाल में शामिल लोगों के लिए आशा की किरण दिखाती हैं। पिछले 10 वर्षों में हमने निदान और उपचार में इतना विकास और परिशोधन देखा है जो सुनिश्चित करता है कि हम सही रास्ते पर है।

डॉ दीपक जैन ने कहा कि भारत में कैंसर के मामले खतरनाक दर से बढ़ रहे हैं। वर्तमान आंकड़ों (ग्लोबोकैन 2020) के अनुसार, हमारे देश में हर साल 13 लाख नए मामले सामने आते हैं और हमारे देश में हर साल 8.5 लाख लोग कैंसर के कारण मर जाते हैं। यह दर हर साल 13 लाख से बढ़कर 19 लाख नए मामलों और भारत में 2040 तक 8.5 लाख से 13.3 लाख तक होने की भविष्यवाणी की गई है, जिससे पूरी दुनिया में भारत को एक अत्यधिक कैंसर रोगियों की संख्या वाला देश होने का ख़तरा भी बना हुआ है। उन्होंने बताया महिलाओं में सबसे आम कैंसर स्तन और गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर है, पुरुषों में मौखिक गुहा और हमारी आबादी में फेफड़ों का कैंसर अन्य सामान्य कैंसर के अलावा सबसे पाया जाता है। स्वस्थ आहार और जीवन शैली के साथ आदतों को संशोधित करके अधिकांश कैंसर को रोका जा सकता है।
डॉ अभिषेक यादव ने कहा कि अभी कुछ चुनौतियां बाकी हैं जिनका समाधान किया जाना बाकी है। उनमें से एक है लोगों को कैंसर की रोकथाम रणनीतियों, स्क्रीनिंग और शुरुआती पहचान के बारे में शिक्षित करना। हम जैसे विकासशील देश में उपचार, उपकरणों की लागत और इलाज के लिए दवाओं की कीमत फिर से एक बड़ा मुद्दा है। इन नई दवाओं की सस्ती जेनरिक बनाने की आवश्यकता है ताकि ये अधिक से अधिक रोगियों तक पहुंच सकें। वर्ष 2022 की वल्र्ड कैंसर डे का थीम क्लोज द केयर गैप है, जिसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को कैंसर बीमारी के रोकथाम एवं बचाव के बारे में जागरूक किया जाए है।

डॉ दीपक जैन ने कहा कि भारत सामाजिक-आर्थिक और क्षेत्रीय रूप से विविध देश है। कैंसर किसी को भी प्रभावित कर सकता है लेकिन इलाज का परिणाम कई कारकों पर निर्भर करता है। उन्होंने आह्वान किया कि इस वर्ष विश्व कैंसर दिवस की थीम क्लोज द केयर गैप है और इस दिन संकल्प लें कि कैंसर की देखभाल को सभी के लिए सस्ती, सुलभ और समान बनाने की दिशा में सभी संभव उपाय किए जाने चाहिए। कैंसर की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है इसलिए इस गंभीर रोग को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए इस प्रकार के आयोजनों को किया जाता है इससे रोग की गंभीरता को और मौत के खतरे को कम किया जा सकता है।