कोरोना से जंग: गाजियाबाद देशभर में नंबर- 1

100 में से 76.9 रहा स्कोर, कोरोना संकट से गाजियाबाद को उबारने में जीडीए उपाध्यक्ष कृष्णा करुणेश और नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर का रहा महत्वपूर्ण रोल

गाजियाबाद। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जनपद गाजियाबाद द्वारा किए गए बेहतर कार्य को अब देशभर में सराहा जा रहा है। कोरोना को कंट्रोल करने के अच्छे परिणाम आने से गाजियाबाद को देश में पहला स्थान मिला है। गाजियाबाद का स्कोर 100 में से 76.9 रहा है। इन प्वाइंट के साथ जिले को शीर्ष पर आने का अवसर मिला है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में भयावह हालात देखने को मिले थे। जनपद गाजियाबाद में भी कोरोना की दूसरी लहर काफी चिंताजनक रही थी, मगर कोरोना से निपटने की रणनीति बेहद कारगर निकली थी।

इस कार्य को अब राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है। इस मामले में जनपद गाजियाबाद को देशभर में पहला स्थान मिला है। दूसरे नंबर पर हरियाणा का फरीदाबाद, तीसरे  नंबर पर मध्य प्रदेश का भोपाल, चौथे पर बिहार का सिहौर, पांचवें नंबर पर जम्मू-कश्मीर का गंदेरबल और छठे नंबर पर राजस्थान का जिला जयपुर आया है। यह सभी जिले अवार्ड कैटेगरी 16 के अधीन चयनित किए गए हैं।

अलग-अलग प्वाइंट पर नंबरों के आधार पर गाजियाबाद ने देश में पहला मुकाम हासिल किया है। बेस्ट कैपिटा इंसोलेशन बेड्स के मामले में गाजियाबाद को 10 में से 6.3, बेस्ट प्रैट्सि कंबोट कोविड-19 में 10 में से 9.7, कोविड प्लांट्स रिकवरी रेट के मामले में 20 में से 19.3, मोर्टलिटी रेट में 15 में से 11.5, कॉन्फिर्मेड केस पर पॉपलेशन रेशो में गाजियाबाद को 15 में से 14 प्वाइंट मिले हैं। इसके अलावा वैसीन एडमिस्ट्रेटिव पॉपलेशन प्वाइंट में 20 में से 7.3, डेंसिटी में 5 में से 4, पॉजिटिविटी रेट पर 5 में से 4.8 नंबर गाजियाबाद ने लिए हैं।

बेहाल और बदनाम गाजियाबाद बना प्रदेश में रोल मॉडल
कोरोना संकट की भयावह स्थिति, अस्पतालों में बेड की कालाबजारी, अस्पतालों के बाहर ऑटो रिक्शा में ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ते मरीज और रोते बिलखते परिजन, अस्पताल के अंदर मरीजों के लिए ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर भागते तीमरदार, शमशान घाट के बाहर अंतिम संस्कार के लिए लाइन में शवों के साथ खड़े उनके परिजन। इस तरह की वीडियो और फोटो गाजियाबाद की पहचान बन चुका था। बदहाली और अव्यवस्थाओं को लेकर गाजियाबाद बेहद बदनाम हो चुका था। स्वास्थ विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों के फोन उठाने बंद कर दिये थे। सरकारी व्यवस्था और प्रशासनिक इंतजामों पर से लोगों का विश्वास लगभग टूट चुका था। दरअसल गाजियाबाद में बड़ी ही भयावह स्थिति थी। हालात यह हो गए थे कि लखनऊ कानपुर की ही तरह गाजियाबाद के श्मशान घाटों में चिताओं की तस्वीरें लोगों को डरा रही थी। कोरोना संकट के आगे प्रशासनिक व्यवस्था पूरी फेल हो गई थी और प्रशासन पूरी तरह बेबस और लाचार नजर आ रहा था। जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे एवं मुख्य चिकित्साधिकारी स्वयं कोरोना संक्रमित हो गये। उसके बाद गाजियाबाद को संकट से उबाड़ने की चुनौती गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश और गाजियाबाद के नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर पर आई।corona-meeting-ghaziabadसीनियर आईएएस सेंथिल पेंडियन को शासन द्वारा जिले का नोडल अधिकारी बनाया गया। जीडीए उपाध्यक्ष कृष्णा करूणेश ने जिलाधिकारी का चार्ज लिया और संकट से निपटने को लेकर नये सिरे से प्लानिंग कर उस पर अमल शुरू किया। कोविड-19 के नोडल अधिकारी सेंथिल पांडियन के नेतृत्व में जीडीए उपाध्यक्ष एवं तत्कालीन प्रभारी जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश व नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर की तिकड़ी ने हर छोटे-छोटे बिंदुओं पर काम किया। इसका परिणाम भी जल्द दिखाई देने लगा। अव्यवस्थाओं के कारण बेहाल और बदनाम गाजियाबाद ना सिर्फ कोरोना संकट से उबरने में सफल रहा बल्कि संकट से कैसे निपटा जाये इसको लेकर पूरे प्रदेश में रोल मॉडल बना। अब हालिया एक सर्वे में कोरोना संकट से निपटने में गाजियाबाद को पूरे देश में नंबर-1 स्थान मिला है।

ऑक्सीजन ऑडिट और बेड के फिजिकल वेरीफिकेशन का फार्मूला लागू किया
प्रशासनिक अधिकारियों की अलग-अलग ड्यूटी लगाने के साथ उनसे रीयल टाइम फीडबैक लेकर क्विक एक्शन लिया गया। ऑक्सीजन की कालाबाजारी और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए दर दर भटकते लोगों में हताशा थी। इसी दौरान नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर को ऑक्सीजन और हॉस्पिटल का प्रभारी बनाया गया। महेंद्र सिंह तंवर ने अस्पतालों में ऑक्सीजन ऑडिट और बेड के फिजिकल वेरीफिकेशन का फार्मूला लागू किया। MNA-Hospital-Corona उन्होंने स्वयं पीपीई किट पहनकर अस्पतालों के कोरोना वार्ड और आईसीयू वार्ड का निरीक्षण किया। इसका परिणाम असरदार रहा और गाजियाबाद में कोरोना संकट काबू में आ गया। इसके बाद अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने पत्र जारी कर प्रदेश के अन्य जिलों में होम आइसोलेशन को लेकर गाजियाबाद नगर निगम की व्यवस्था को अपनाने का निर्देश दिया था।

ऑक्सीजन की मांग आपूर्ति का रीयल टाइम डेटा बेस तैयार कर हुई आपूर्ति
ऑक्सीजन संकट से निपटने के लिए गाजियाबाद में अपनाई गई रणनीति को पूरे प्रदेश में लागू किया गया। दरअसल हॉस्पीटल एवं होम आइसोलेशन में रह रहे सभी मरीजों को ऑक्सीजन मिले इसको लेकर गाजियाबाद में ऑक्सीजन के नोडल अधिकारी नगरायुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने एक फार्मूला तैयार किया था। फार्मूले के तहत जहां हॉस्पीटल में ऑक्सीजन की मांग आपूर्ति का रीयल टाइम डेटा बेस तैयार कर ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई वहीं, होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए शहर के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सीजन सेंटर बनाये गये। इन सेंटरों पर मरीजों का रिकार्ड दर्ज कर एवं सत्यापन कर सभी लोगों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराया गया। लखनऊ में कोरोना संकट से निपटने के लिए बनाई गई टीम-9 ने गाजियाबाद मॉडल को सराहा और उसे पूरे प्रदेश में लागू किया। गाजियाबाद के कोरोना संकट से निपटने में सीनियर आईएएस अधिकारी एवं गाजियाबाद के नोडल प्रभारी सैंथिल पांडियान का योगदान भी सराहनीय और प्रभावशाली रहा।