पब्लिक प्लेस को ब्लॉक करने का किसी को अधिकार नहीं

शाहीन बाग आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

नई दिल्ली। दिल्ली के शाहीन बाग में 3 माह से ज्यादा समय तक चले आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अह्म फैसला दिया। कोर्ट ने साफ कहा है कि किसी भी नागरिक अथवा समूह को सार्वजनिक स्थानों को बंद करने का अधिकार नहीं है। सार्वजनिक स्थान पर कब्जा करना ठीक नहीं है। बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में आंदोलन किया गया था। यह आंदोलन 3 माह से अधिक समय तक चला था। प्रदर्शनकारियों द्वारा सार्वजनिक स्थान को ब्लॉक कर धरना दिए जाने से नागरिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। कोविड-19 (कोरोना वायरस) से निपटने को दिल्ली में धारा-144 लागू किए जाने के बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों को हटाकर सड़क को खाली करा लिया था। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को शाहीन बाग आंदोलन पर सुनवाई के दरम्यान जस्टिस एस.के. कौल ने कहा कि सीएए के खिलाफ एकत्र भीड़ ने सड़क को बंद कर दिया था। कोर्ट ने साफ कहा कि आवागमन का अधिकार अनिश्चितकाल तक बाधित नहीं किया जा सकता। संविधान विरोध करने का अधिकार देता है, मगर इसे समान कर्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लग सकता, मगर उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों में होना चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सीएए और शाहीन बाग आंदोलन के संबंध में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। जिन पर कोर्ट समय-समय पर संज्ञान ले रहा है। एक समय में शाहीन बाग आंदोलन की गूंज पूरे देशभर में सुनाई दी थी। इसके समर्थन और विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में आंदोलन देखने को मिले थे। दिल्ली पुलिस को भी लगभग 100 दिनों तक खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था।