सीईओ रितु माहेश्वरी के बहाने आईएएस लॉबी को सख्त संदेश दे चुका सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रितु माहेश्वरी को गिरफ्तारी से फिलहाल राहत मिल गई है, मगर सुप्रीम कोर्ट ने इसके पहले आईएएस लॉबी को सख्त संदेश जरूर दे दिया था। देश की शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी की आईएएस अधिकारियों को कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने पर अप्रिय परिणाम का सामना करना चाहिए, अपने आप में बेहद अहम है। इस टिप्पणी से उन नौकरशाहों को बड़ा संदेश गया है, जो अपने रसूख के आगे कानूनों को मानने से भी परहेज करते हैं।

नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी के खिलाफ पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने कड़े तेवर दिखाए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद आईएएस माहेश्वरी की मुश्किलें बढ़ गई थीं। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खट-खटाना पड़ा। देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले में पहले गरम और फिर नरम रूख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से यह संदेश देने का प्रयास किया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। आईएएस अधिकारियों को अदालत के आदेशों का पालन करना चाहिए। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले में पिछले सीईओ रितु माहेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। हाईकोर्ट ने इस मामले पर सख्त टिप्पणी की। गौतमबुद्ध नगर के सीजेएम को आदेश का पालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। कोर्ट ने साफ कहा कि आईएएस माहेश्वरी को गिरफ्तार कर हाईकोर्ट में पेश किया जाए। नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर-82 में 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को अर्जेंसी क्लॉज के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की थी। भू-स्वामी मनोरमा कुच्छल ने इस कार्रवाई को चुनौती दी थी। वर्ष 1990 में मनोरमा ने याचिका दायर की थी। जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को फैसला सुनाया था।

हाईकोर्ट ने अर्जेंसी क्लॉज के तहत किए गए भू-अधिग्रहण को निरस्त कर दिया था। याचिका कर्ता को नए भू- अधिग्रहण अधिनियम के तहत सर्किल रेट से दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का आदेश दिया गया था। इसके अलावा प्रत्येक याचिका पर 5-5 लाख रुपये का खर्च आंककर भरपाई करने का आदेश नोएडा प्राधिकरण को मिला था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश को नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। देश की शीर्ष अदालत में प्राधिकरण को मुंह की खानी पड़ी थी। इसके बाद भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने आदेश का पालन नहीं किया गया।

ऐसे में याचिका कर्ता मनोरमा ने प्राधिकरण के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। इस अवमानना याचिका पर सुनवाई कर 27 अप्रैल 2022 को कोर्ट ने आदेश पारित किए। इसके बाद मामले की सुनवाई पहले बुधवार और फिर गुरुवार को होना तय हुई। जस्टिस सरल श्रीवास्तव की कोर्ट ने इस मामले में कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा हारने के बाद भी नोएडा प्राधिकरण ने अदालती आदेश का पालन नहीं किया।

जिसके खिलाफ किसान की तरफ से अवमानना याचिका दायर की गई थी। इस पर हाईकोर्ट ने रिते माहेश्वरी को खुद कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था। इस प्रकरण में कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीईओ पेश नहीं हो सकीं। ऐसे में कोर्ट ने सख्त रुख अपना कर सीईओ के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया।