टेंशन कम नहीं : कोरोना ने फिर पकड़ी स्पीड

कोरोना…कोरोना…कोरोना…। आखिर कब तक पड़ेगा रोना ? जी हां ! देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार एक बार फिर बढ़ रही है। इसकी वजह नई नहीं, वही पुरानी है। लापरवाही, लापरवाही और सिर्फ लापरवाही। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने को नागरिक तैयार नहीं हैं। जरा से हालात संभलने पर फिर वही पुराना ढर्रा अपना लिया जाता है। ना अपनी चिंता और न दूसरों की फिक्र। कोरोना संक्रमण की स्पीड को देखकर तीसरी लहर के नजदीक आने अथवा शुरू होने की आशंका प्रबल हो गई है।

2 लहरों के दौरान बिगड़े हालातों का सामना करने के बावजूद नागरिकों ने कोई सबक नहीं लिया है। कोविड-19 की मुसीबत से देश-दुनिया को कब तक छुटकारा मिल पाएगा, इस बारे में विशेषज्ञों के पास भी कोई सटीक जानकारी नहीं है। केरल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने खतरे की घंटी बजा दी है। भारत के अधिकांश हिस्से जब सामान्य हालात में आ चुके हैं, तब केरल में कोरोना का रफ्तार पकड़ना कम चिंताजनक नहीं है। देश में कोरोना के 46 हजार 759 नए केस सामने आए हैं। यह आंकड़ा पिछले 2 माह में सबसे ज्यादा है।

केरल में कोरोना संक्रमण में आई तेजी के पीछे अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं। वहां कुछ दिनों पहले ओणम का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया था। ओणम के बाद से कोरोना के केसों में एकाएक उछाल आया है। देश में इस समय 65 प्रतिशत से अधिक मामले अकेले केरल से सामने आ रहे हैं। ऐसे में वहां की स्थिति को आसानी से जाना जा सकता है। पॉजिटिविटी रेट की बात करें तो देशभर में केरल नंबर एक पर पहुंच गया है। केरल में पॉजिटिविटी रेट 19.22 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

जानकारों का मानना है कि ओणम उत्सव के दरम्यान नागरिकों ने सामाजिक दूरी का पालन नहीं किया था। उत्सव मनाने के लिए नागरिक बड़ी संख्या में जुटे थे। इससे संक्रमण को फैलने का मौका मिल गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय बार-बार कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की आवश्यकता पर बल दे रहा है, मगर नागरिकों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कोरोना की बढ़ती स्पीड के पीछे ओणम उत्सव से हटकर एक और कारण गिनाया है।

स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि कोरोना की चपेट में आने पर नागरिक होम क्वारंटाइन में भी नियमों को पालन नहीं कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ रोज पहले कराए गए अध्ययन से मालूम पड़ा है कि केरल में 35 फीसदी नागरिक घर से कोरोना की चपेट में आए हैं। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज का मानना है कि केरल में अभी कुछ दिन और कोरोना संक्रमण के केस बढ़ते रहने की संभावना है। देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आने की आशंका लंबे समय से जाहिर की जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि तीसरी लहर का बच्चों पर ज्यादा प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

तीसरी लहर से निपटने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें जरूरी तैयारियों में जुटी हैं। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में भयावह मंजूर देखने को मिला था। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि नागरिक अब गंभीर हो जाएंगे। हालाकि परिस्थितियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन महज औपचारिकता तक सीमित है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व नजदीक है। देशभर में यह पर्व प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में जन्माष्टमी पर्व की रौनक अलग होती है।

कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखकर यह पर्व अधिक सावधानी पूर्वक मनाने की जरूरत है। इसके लिए श्रद्धालुओं को भी सहयोग करना होगा। कोरोना संक्रमण की रोकथाम में उत्तर प्रदेश ने अब तक अच्छा काम किया है। योगी सरकार के काम-काज की काफी प्रशंसा हुई है। कोरोना संक्रमण के खिलाफ देशभर में वैक्सीनेशन कार्यक्रम जोर-शोर से चल रहा है। इस दौरान नागरिकों को कोवैक्सीन और कोविशील्ड जैसी वैक्सीन लगाई जा रही हैं। सरकारी एवं गैर सरकारी स्तर से वैक्सीनेशन कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार हो रहा है।

प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह समय पर वैक्सीन लगवाए ताकि इस महामारी के खतरे से खुद को बचाया जा सके। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर का कितना और कैसा असर होगा, यह बताना मुश्किल है, मगर कोरोना प्रोटोकॉल का अनुपालन कर संभावित खतरे को कम किया जा सकता है। कोविड-19 के कारण देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर जबरदस्त दबाव पड़ा है। इसके चलते अन्य बीमारियों के मरीजों के इलाज पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। कोरोना से आसानी से पीछा छूटना संभव नहीं है।

अलबत्ता घर से बाहर निकलने पर हर समय जागरूक रहना होगा। केरल से कोरोना संक्रमण का फैलाव अन्य राज्यों में न हो, इसे ध्यान में रखकर सरकार को रणनीति बनानी चाहिए। केरल के नागरिकों को फिलहाल राज्य से बाहर नहीं जाने देना चाहिए। सिर्फ बेहद महत्वपूर्ण कार्य से केरल छोड़ने की अनुमति दी जाए। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए सरकारी मशीनरी को सख्ती दिखाना चाहिए। बगैर सख्ती के नागरिकों के व्यवहार में परिवर्तन आना मुमकिन नहीं है। वरना केरल जैसे हालात देश के अन्य राज्यों में पैदा हो जाएंगे।

इस वैश्विक महामारी ने ज्वलंत समस्याओं को बढ़ावा दिया है। इसमें अर्थव्यवस्था को नुकसान होना, काम-धंधे प्रभावित होना, बेरोजगारी बढ़ना जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। यह समस्याएं जितनी बढ़ेंगी, आम जनता को उतना नुकसान उठाना पड़ेगा। कोरोना काल में बहुत कुछ बदल चुका है। अब नागरिकों को भी इन बदलावों को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। कोरोना को नजरअंदाज कर बेहतर जिंदगी जीना फिलहाल संभव नहीं है। चूंकि यह जानलेवा बीमारी कब गले पड़ जाए, कोई नहीं जानता।