महिला सुरक्षा : एकाएक एक्शन में गृह मंत्रालय

एडवाइजरी जारी, अब लापरवाही पर नपेंगे अधिकारी

नई दिल्ली। देशभर में महिला सुरक्षा का मुद्दा जोर-शोर से उछल रहा है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों का ग्राफ चढऩे और त्वरित एवं प्रभावी कार्रवाई न होने से गृह मंत्रालय भी नाराज है। गृह मंत्रालय ने अब सभी राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत अपराध से पीडि़त महिला की तत्काल सुनवाई करनी होगी। लापरवाही बरतने पर संबंधित अधिकारी के विरूद्ध सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। देश के कुछ राज्यों में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। महिलाओं के साथ जघन्य अपराध होने से केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों की भी खूब किरकिरी हो रही है। उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद में दलित युवती की कथित गैंगरेप के बाद हत्या का मामला योगी सरकार के गले की फांस बन गया है। इस बीच गृह मंत्रालय ने महिला सुरक्षा को ध्यान में रखकर एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी के मुताबिक अब महिला अपराध पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा। गृह मंत्रालय ने आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधान गिनाकर कहा कि राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश इनका पालन सुनिश्चित करें। एडवाइजरी का पालन न करने पर संबंधित अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। संज्ञेय अपराध की स्थिति में रिपोर्ट लिखना अनिवार्य है। सरकार ने याद दिलाया है कि कानून में भी जीरो एफआईआर का प्रावधान है। जीरो एफआईआर तब दर्ज की जाती है, जब अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो। आईपीसी की धारा-166 ए(सी) के तहत यदि एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो अधिकारी को सजा का भी प्रावधान है। सीआरपीसी की धारा-173 में दुष्कर्म से जुड़े किसी भी मामले की जांच 2 माह के भीतर पूरी करने का प्रावधान है। अपराध में जांच की प्रगति जानने को गृह मंत्रालय ने ऑनलाइन पोर्टल बनाया है। एडवाइजरी में बताया गया है कि इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 32(1) के तहत मृत व्यक्ति का बयान जांच में अहम तथ्य होगा। सरकार ने कहा है कि यदि पुलिस इन प्रधावधानों का पालन सही प्रकार से नहीं करेगी तो महिलाओं को न्याय मिलने में दिक्कत होगी।