पावर कॉरपोरेशन में बड़ा घोटाला: इंजीनियरों ने नोएडा और ग्रेनो में बिल्डरों को पहुंचाया लाभ सरकार को लगाई करोड़ों रुपये की चपत

घोटाले और हेराफेरी के लिए बदनाम बिजली विभाग का एक और बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। बिजली विभाग के अधिकारियों ने बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए ना सिर्फ मनमानी की। बल्कि सभी कायदे कानून को ताक पर रख नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों को लाभ पहुंचाया। बिजली विभाग के अधिकारियों की इस कारगुजारी से सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।

उदय भूमि ब्यूरो
लखनऊ/नोएडा। घोटाले और हेराफेरी के लिए बदनाम बिजली विभाग का एक और बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। बिजली विभाग के अधिकारियों ने बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए ना सिर्फ मनमानी की। बल्कि सभी कायदे कानून को ताक पर रख नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों को लाभ पहुंचाया। बिजली विभाग के अधिकारियों की इस कारगुजारी से सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। सरकार को भले ही करोड़ों रुपये का चुना लगा। लेकिन अधिकारियों ने मोटी मलाई काटी। बिजली विभाग के इंजीनियरों ने भ्रष्टाचार के जरिये कमाई करने के मामले में किसी तरह की नरमी नहीं बरती। दरअसल बिजली विभाग में यह घोटाला अस्थाई बिजली के कनेक्शन देने को लेकर किया गया। सरकार पावर कॉरपोरेशन के इस घोटाले के कारण राजस्व को पहुंचे नुकसान का आंकलन कर रहा है। सही रकम का पता बाद में चलेगा लेकिन अनुमान है कि यह रकम कई सौ करोड़ में पहुंच सकता है। सरकार भी भ्रष्टाचार के आरोप में शामिल इंजीनियरों को छोड़ने के मूड में नहीं है। पावर कॉरपोरेशन द्वारा सख्त कार्रवाई करने की तैयारी हो चुकी है। इस घोटाले में लगभग दो दर्जन इंजीनियरों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया गया है और कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
बिजली विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अभी तक तो सिर्फ नोएडा और ग्रेटर नोएडा के तीन विद्युत वितरण खंड की जांच हुई है उसमें यह बात सामने आई है। यदि अन्य विद्युत वितरण खंडों की जांच कराई जाती है तो घोटाला काफी बड़ा होगा। जाहिर इसमें बड़े अधिकारियों की भी संलिप्तता होगी। आरोप है कि कनेक्शन देने के अलावा लोड में खेल करने और बिलिंग नहीं करने के अलावा रिकॉर्ड भी गायब करने के आरोप अधिकारियों पर लग रहे हैं। बिजली विभाग के चेयरमैन एम. देवराज की मानें तो प्रारंभिक जांच में ही बड़े स्तर पर गड़बड़ी मिली है। इसे किसी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बिल्डरों को लाभ पहुंचा कर बिजली विभाग को नुकसान पहुंचाया गया है। इससे राजस्व वसूली भी कम हुई है। यदि ऐसा नहीं होता तो विभाग का राजस्व वसूली बढ़ता। चेयरमैन ने बताया कि चार्ज शीट जारी कर सभी आरोपियों से जवाब देने को कहा गया है। जवाब मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। लेकिन किसी भी आरोपी को छोड़ा नहीं जाएगा। घोटाला कितना बड़ा है। उसे इस तरह देखा जा सकता है कि लोड में 10 से 12 गुना तक कम करके दिखाया गया। 50 किलोवाट के लोड को कागजों में सिर्फ 5 किलोवाट दिखाया गया। चीफ इंजीनियर अनिल कुमार तिवारी की अध्यक्षता में एक विशेष टीम ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के तीन विद्युत वितरण खंड की जांच की है।